AMAR UJALA : Apr 19, 2020, 09:16 AM
Coronavirus: कोरोना से बचाव के लिए पूरी दुनिया की निगाहें इस वक्त सिर्फ वैक्सीन पर टिकी हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कोविड-19 के खिलाफ यह कितनी कारगर रहेगी। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि वैक्सीन का प्रभाव वायरस की आनुवांशिक संरचना में बदलाव (म्यूटेशन) पर ज्यादा निर्भर करेगा। इसके हिसाब से ही वैक्सीन में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। अगर वायरस ज्यादा म्यूटेट नहीं करता है तो अधिकांश लोगों पर एक ही वैक्सीन प्रभावी रहेगी।ऐसे होगी एक ही वैक्सीन सभी पर कारगरकिसी भी वैक्सीन की सफलता तभी संभव है, जब वायरस म्यूटेट न करे। वैज्ञानिकों का कहना है कि दूसरे वायरसों की तरह ही कोविड-19 एक से दूसरे इंसान में जाते वक्त म्यूटेट कर रहा है। हालांकि संक्रमण की प्रक्रिया पहले जैसी ही रहती है। सामान्यतया कोई भी वायरस कोशिका पर काबू पाकर कुनबा बढ़ाने (रेप्लिकेशन) में जुट जाता है। कुछ मामलों में इस रेप्लिकेशन में म्यूटेशन दिखाई दे सकता है। लेकिन म्यूटेशन में वक्त लगता है। वैक्सीन से दी जाने वाली एंटीबॉडी सीमित म्यूटेशन से खास ढंग से निपट लेती हैं।अगर म्यूटेशन वैक्सीन का प्रभाव कम कर दे तो...अगर कोरोना इस तरह म्यूटेशन कर ले कि एंटीबॉडी का उस पर असर ही न हो, तो फिर सभी के लिए एक ही वैक्सीन काम नहीं करेगी। एंटीबॉडी वायरस एंटीजन को थामकर अपना प्रभाव दिखाती है लेकिन अगर वायरस एंटीजन में लगातार तब्दीली करता रहे तो एंटीबॉडी का असर कम हो जाता है। ऐसा फ्लू के वायरसों में अकसर देखने को मिलता है, जब एक ही वायरस कई आनुवांशिक रूपांतर (स्ट्रेन) के साथ सामने आने लगता है। हरेक स्ट्रेन के लिए अलग-अलग वैक्सीन की जरूरत पड़ती है। इन नए स्ट्रेन को ध्यान में रखते हुए ही वैज्ञानिक वैक्सीन बनाते हैं।ज्यादा बदलाव की आशंका नहींवैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल कोरोना के खिलाफ लोगों में व्यापक प्रतिरक्षा मौजूद नहीं है। लिहाजा, वायरस को टिके रहने के लिए ज्यादा बदलावों की जरूरत नहीं है। अगर म्यूटेशन से एंटीजन का आकार बदलता भी है तो वह ज्यादा स्थायी नहीं होगा। लेकिन जिस दिन लोगों में कोरोना के प्रभावी स्ट्रेन के खिलाफ प्रतिरक्षा आ जाएगी, तब इसके नए स्ट्रेन बनने की आशंकाएं बढ़ जाएंगी।वैक्सीन के बाद दिख सकता है जीनोम में बदलावएक वैज्ञानिक का कहना है कि कोविड-19 म्यूटेट कर रहा है। जॉन हॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स लेबोरेट्री में मॉलेक्युलर बायोलॉजिस्ट डॉ पीटर थिएलेन का कहना है कि मरीजों के हजारों सैंपलों में अब तक 11 प्रकार के म्यूटेशन सामान्य पाए गए हैं। लेकिन अभी दुनियाभर में इसकी एक ही स्ट्रेन मौजूद है। इसके स्पाइक प्रोटीन में बहुत कम तब्दीली आई है, लिहाजा यह अपना स्वरूप बहुत ज्यादा नहीं बदलेगा। थिएलेन का कहना है कि अभी यह पूरी तरह नहीं बताया जा सकता कि वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद कोरोना के जीनोम में किस तरह बदलाव आएगा। इसलिए हम इस पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं।