India China Border / मध्यस्थता करने की पेशकश पर बोला, चीन बोला- हिंदी-चीनी भाई-भाई

NavBharat Times : May 29, 2020, 10:17 AM
पेइचिंग | भारत-चीन सीमा विवाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सक्रियता के बाद चीन के रूख में नरमी देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं। वहीं, चीन सरकार के प्रोपगेंडा मैगजीन ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन और भारत को वर्तमान में सीमा पर जारी गतिरोध को हल करने के लिए अमेरिका की सहायता की जरूरत नहीं है।

यह कहा था ट्रंप ने

बता दें कि ट्रंप ने एक ट्वीट में कहा था कि हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से ट्रंप के ट्वीट के जवाब में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन सरकारी समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया कि दोनों देशों को राष्ट्रपति ट्रंप की ऐसी सहायता की जरूरत नहीं है।

भारत-चीन द्विपक्षीय वार्ता सुलझाने में सक्षम

इसमें कहा गया है कि हालिया विवाद को भारत और चीन द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाने में सक्षम हैं। दोनों देशो को अमेरिका से सतर्क रहना चाहिए जो कि क्षेत्र में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने के अवसर की तलाश में रहता है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- चीन से कर रहे हैं बात

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय सैनिक सीमा प्रबंधन को लेकर बहुत जिम्मेदार रुख अपनाते हैं। उन्होंने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दोनों पक्षों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में उत्पन्न हो सकने वाली स्थितियों का वार्ता के जरिए शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तरों पर तंत्र स्थापित किए हैं और इन माध्यमों से चर्चा जारी रहती है।

दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं

चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने बुधवार को एक प्रकार से मेल-मिलाप की भाषा में कहा कि भारत और चीन ने कभी भी मतभेदों की छाया अपने समूचे द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने दी है और वे इस आधारभूत सिद्धांत को मानते हैं कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं। वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने बुधवार को कहा था कि मुद्दों को वार्ता और चर्चा के माध्यम से सुलझाने के लिए चीन और भारत के पास उचित तंत्र और संपर्क माध्यम हैं।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER