देश / 13 साल की बातचीत के बाद भारत और ईयू ने असैन्य परमाणु करार को अंतिम रूप दिया

AMAR UJALA : Jul 14, 2020, 10:38 PM
नई दिल्ली | भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने बुधवार को होने वाले डिजिटल शिखर सम्मेलन से पहले असैन्य परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिए एक मसौदा समझौते को अंतिम रूप दिया है। दोनों पक्षों ने 13 साल से हो रही बातचीत के बाद इसे अंतिम रूप दिया है। 27-सदस्यों वाले संगठन के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने उम्मीद जताई कि शिखर सम्मेलन में दोनों पक्ष संबंधों को व्यापक बनाने, समुद्री सुरक्षा पर अलग से बातचीत शुरू करने और व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के अलावा सीबीआई और यूरोपोल के बीच प्रभावी सहयोग के लिए एक प्रक्रिया की शुरुआत की खातिर पांच साल का रोडमैप जारी करेंगे।

शिखर बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे वहीं यूरोपीय पक्ष का नेतृत्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन करेंगी।

यूरोपीय संघ भारत के लिए रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। ईयू 2018 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 2018-19 में ईयू के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 115.6 अरब अमेरिकी डॉलर था जिसमें निर्यात 57.67 अरब अमेरिकी डॉलर का था जबकि आयात 58.42 अरब अमेरिकी डॉलर का था।

यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि बुधवार को शिखर सम्मेलन के दौरान असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को ठोस रूप दिए जाने के संबंध में कोई घोषणा की जाएगी। इस समझौते में असैनिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सहयोग पर जोर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा संगठित अपराध और आतंकवाद से निपटने के लिए कामकाजी व्यवस्था के लिए यूरोपोल और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। यूरोपोल कानून प्रवर्तन सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की एजेंसी है।

अधिकारियों ने कहा कि उम्मीद है कि दोनों पक्ष रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के प्रयासों के तहत समुद्री सुरक्षा बातचीत शुरू कर सकते हैं।

लंबे समय से लंबित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बारे में अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच के मौजूदा व्यापारिक संबंध इसकी क्षमता से कम हैं और संगठन की अपेक्षा से काफी कम है। लंबित समझौते को यूरोपीय संघ-भारत स्थित व्यापार एवं निवेश समझौते (बीटीआईए) के रूप में जाना जाता है।

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