देश / सबसे पहले भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्ट लॉकडाउन मॉडल

इस हेडलाईन को देख कर सबको अचरज जरुर होगा कि कोरोना के खिलाफ जंग में अपनाए गए भारत के लॉकडाउन मॉडल को दुनिया ने सराहा है। घरों में बंद भारत के नागरिकों को थोड़ी दिक्कतें तो हुई लेकिन पीएम मोदी के आह्वान और मोदी सरकार का रोजमर्रा की चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना लोगों को 21 दिनों तक घरों में बंद रखा। तब्लीगी जमात के लोगों के चलते संक्रमण फैला तो जरुर लेकिन इस संकट की घड़ी में लोगों का अनुशासन देखते ही बनता था।

News18 : Apr 16, 2020, 04:36 PM
दिल्ली: इस हेडलाईन को देख कर सबको अचरज जरुर होगा कि कोरोना के खिलाफ जंग में अपनाए गए भारत के लॉकडाउन मॉडल को दुनिया ने सराहा है। घरों में बंद भारत के नागरिकों को थोड़ी दिक्कतें तो हुई लेकिन पीएम मोदी के आह्वान और मोदी सरकार का रोजमर्रा की चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना लोगों को 21 दिनों तक घरों में बंद रखा। तब्लीगी जमात के लोगों के चलते संक्रमण फैला तो जरुर लेकिन इस संकट की घड़ी में लोगों का अनुशासन देखते ही बनता था।

कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत भी बढ़ने लगा। इस बीच दुनिया के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से पीएम मोदी की बातचीत जारी रही। जिन चीजों के निर्यात के रोक रखा था, उसे तोड़ कर अमरीका, ब्राजील जैसे देशों को भेजा गया। यानी अपना ख्याल रखने के साथ-साथ भारत कोरोना संकट से जूझ रहे दूसरे देशों के लिए मदद का हाथ बढ़ाता रहा।

पीएम को कई राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने महत्‍वपूर्ण सुझाव दिए

जाहिर है भारत दुनिया के सबसे बड़े स्मार्ट लॉकडाउन मॉडल के रुप में उभरा है। एक ऐसा मॉडल जो चर्चा, एक दूसरे का हाथ थाम कर केन्द्र औऱ राज्य सरकारों के सहयोग से मजबूती से उभरा है। पूरी की पूरी कवायद लॉकडाउन पार्ट-1 लागू होते ही शुरु हो गयी थी और लॉकडाउन बढ़ाए जाने और लोगों की जिंदगी पटरी पर वापस लाने के लिए युद्ध स्तर पर माथापच्ची भी होने लगी थी। सूत्र बताते हैं कि पीएम मोदी खुद समाज के विभिन्न वर्गों के साथ वीडियों कॉफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा कर रहे थे और महत्वपूर्ण सुझावों पर खुद ही नोट्स ले रहे थे। मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बातचीत में पीएम को बड़े महत्वपूर्ण सुझाव मिले।

पीएम मोदी ने लॉकडाउन में तमाम स्टेकहोल्डर्स से सुझाव लेने के लिए 11 एमपावर्ड ग्रुप बनाए। इस ग्रुप ने उद्योग जगत, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र के एक्सपर्ट, किसानों के समुहों से इस बात पर चर्चा की कि अगर लॉकडाउन जारी रहता है तो उनके क्षेत्रों में कैसे लोगों को संतुष्ट रखा जाएगा या फिर उनका आने वाले दिनों का कैलेंडर क्या होगा। सूत्र बताते हैं कि इस चर्चा के बाद पीएम मोदी ने खुद भी इन सरकारी और एक्सपर्ट्स के ग्रुप से लंबी बैठकें कीं। पीएम मोदी की कोशिश यही रही कि उन्हें और सरकार को पता रहे कि हर सुझाव को लागू करने के पीछे आम आदमी के लिए क्या अच्छा और क्या बुरा है।

केंद्र ने तय किया- सोशल डिस्टेंसिग पर समझौता नहीं होगा

तमाम मंथन के बाद पीएम मोदी इस नतीजे पर पहुंचे, एक ऐसा बेसिक मॉडल तैयार किया जाए जो मिनिमम इनफोर्सिंग गाइडलाइन को लागू कराए। सूत्र बताते हैं कि पीएम मोदी इसके लिए सहमत इस लिए हुए क्योंकि इससे राज्य सरकारों को इसको लागू करने में अड़चन नहीं आए और साथ ही उन्हें और ज्यादा नियमों को जोड़ सकें। लेकिन ये भी सुनिश्चिकत किया गया कि राज्य अपने हिसाब से नए नियम जोड़ कर लागू तो कर लें लेकिन केन्द्र सरकार के निर्देशों को खारिज नहीं कर पाएं। केन्द्र ने ये तय कर दिया कि सोशल डिस्टेंसिग पर कोई समझौता नहीं होगा और राज्य सरकारों को इसे सख्ती से लागू करना होगा। साथ ही चिंता इस बात की भी थी कि एक साथ लोगों की आवाजाही न शुरु हो जाए या फिर भीड़ इक्‍ट्ठी नहीं हो जाए। इसलिए फैसला ये हुआ कि सभी सरकारों को हर वक्त सतर्क रहना है और हर स्तर से लोगों की गतिविधि पर नजर भी रखना है।

सूत्र बताते है कि लॉकडाउन पार्ट-2 का पूरा प्लान तैयार करने में पीएम मोदी और उनकी टीम को सिर्फ 10 दिन लगे। एक्शन प्लान तैयार होते ही पीएम मोदी ने 11 अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ अपने संवाद में जान भी और जहान भी का नारा बुलंद किया। संदेश साफ था कि जान है तो जहान है यानी कोरोना से जंग के शुरुआती दौर में आम आदमी की जान बचाने के मकसद से आगे बढ़ते हुए पीएम मोदी अब लोगों के जहान यानी उनकी दुनिया बसाने की भी सोंच रहे हैं। जहां रोजमर्रा मेहनत कर कमाने वाले लोगों को दिक्कतें नहीं हों और लोगों के घरों तक जरुरत का सामान पहुंचना शुरु हो जाए और थोड़ी आर्थिक गतिविधियां भी चालू हो जाएं ताकि जिंदगी पटरी पर आने लगे। तभी तो गृहमंत्रालय की जो गाइडलाइन आयी तो साफ हो गया कि था कि कृषि संबंधी गतिविधियां, उत्पादन, लॉजिस्टिक्स, ई-कॉमर्स, जैसी आर्थिक गतिविधियों को छूट देने का प्रावधान दे दिया गया।