AMAR UJALA : Sep 19, 2020, 09:11 AM
Delhi: चीन की तरफ से दक्षिण एशियाई देशों में प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों के बीच भारत और जापान एक नई साझेदारी की तरफ बढ़ रहे हैं। दोनों देश क्षेत्र में श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे किसी तीसरे देश के अंदर एक साथ मिलकर काम करने की संभावना तलाश रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच सामरिक हितों को लेकर बढ़ते तालमेल को दिखाता है।
विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने शुक्रवार को कहा, भारत और जापान, दोनों ने वास्तव में तीसरे देश में व्यवहारिक तौर पर काम करने की संभावना देखनी शुरू कर दी है।हमने श्रीलंका में थोड़ा सा काम साथ किया है। उन्होंने कहा, भारत और जापान के बीच हाल ही में किया गया सैन्य लॉजिस्टिक समझौता दोनों देशों के हिंद-प्रशांत नजरिये को बढ़ाने के लिए ‘बिग प्लस’ की तरह काम करेगा। साथ ही एशिया में सुरक्षा और स्थिरता पैदा करेगा। जयशंकर औद्योगिक चैंबर फिक्की की तरफ से आयोजित सम्मेलन में भारत-जापान के संबंधों पर बोल रहे थे। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना यह भी कहा कि एशिया के बड़े और अहम देशों को एक-दूसरे का मुकाबला करने में अपनी ऊर्जा खर्च करने के बजाय एक साथ मिलना चाहिए, क्योंकि यह महाद्वीप के हितों को आगे नहीं बढ़ाएगा।विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दोनों एशियाई दिग्गज भारत व चीन आपस में कटु सीमा गतिरोध में उलझे हुए हैं। उन्होंने कहा, यदि हम एशिया को वैश्विक राजनीति में सबसे ज्यादा अहम देखना चाहते हैं तब यह सभी देशों के लिए खासतौर पर बड़े और प्रमुख देशों के लिए अहम है कि वे एकसाथ आएं। क्योंकि यदि वे अपनी ऊर्जा किसी सकारात्मक काम में लगाने के बजाय एक-दूसरे का मुकाबला करने में ही खर्च करते रहेंगे तो यह एशियाई हितों को आगे नहीं बढ़ाएगा।
विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने शुक्रवार को कहा, भारत और जापान, दोनों ने वास्तव में तीसरे देश में व्यवहारिक तौर पर काम करने की संभावना देखनी शुरू कर दी है।हमने श्रीलंका में थोड़ा सा काम साथ किया है। उन्होंने कहा, भारत और जापान के बीच हाल ही में किया गया सैन्य लॉजिस्टिक समझौता दोनों देशों के हिंद-प्रशांत नजरिये को बढ़ाने के लिए ‘बिग प्लस’ की तरह काम करेगा। साथ ही एशिया में सुरक्षा और स्थिरता पैदा करेगा। जयशंकर औद्योगिक चैंबर फिक्की की तरफ से आयोजित सम्मेलन में भारत-जापान के संबंधों पर बोल रहे थे। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना यह भी कहा कि एशिया के बड़े और अहम देशों को एक-दूसरे का मुकाबला करने में अपनी ऊर्जा खर्च करने के बजाय एक साथ मिलना चाहिए, क्योंकि यह महाद्वीप के हितों को आगे नहीं बढ़ाएगा।विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब दोनों एशियाई दिग्गज भारत व चीन आपस में कटु सीमा गतिरोध में उलझे हुए हैं। उन्होंने कहा, यदि हम एशिया को वैश्विक राजनीति में सबसे ज्यादा अहम देखना चाहते हैं तब यह सभी देशों के लिए खासतौर पर बड़े और प्रमुख देशों के लिए अहम है कि वे एकसाथ आएं। क्योंकि यदि वे अपनी ऊर्जा किसी सकारात्मक काम में लगाने के बजाय एक-दूसरे का मुकाबला करने में ही खर्च करते रहेंगे तो यह एशियाई हितों को आगे नहीं बढ़ाएगा।