News18 : Aug 09, 2020, 08:58 AM
लेह। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव खत्म करने के लिए शनिवार को भारत और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर (Major General-Level Talks ) की बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान भारत ने चीन को डेपसांग (Depsang) सेक्टर से तुरंत अपने सैनिक पीछे हटाने को कहा। साथ ही भारत ने चीन को इन इलाकों में निर्माण कार्य भी बंद करने को कहा। यहां दोनों देशों ने भारी संख्या में सैनिक तैनात कर रखे हैं।
पीछे हटे चीनी सेनाअंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत ने मेजर जनरल स्तर की बातचीत में सीमा पर तनाव खत्म करने पर ज़ोर दिया। खासकर डेपसांग में सेना को पीछे हटने को कहा। बता दें कि यहां पिछले कुछ समय से चीन की सेना भारत को पेट्रोलिंग करने के लिए भी नहीं दे रही है। अगर सामरिक तौर पर देखा जाए तो पैंगोंग सो से भारत के लिए डेपसांग ज्यादा अहम है। इस इलाके से तनाव खत्म करने के लिए अब तक यहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोरभारतीय पक्ष की ओर से तीसरी इन्फेंट्री डिवीजन के जनरल अफसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट ने बातचीत का नेतृत्व किया। कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों ने गतिरोध के क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के लिए एक समयसीमा तय करने पर भी बातचीत की। सैन्य वार्ता में भारतीय पक्ष जल्द से जल्द चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया पर और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले के अनुसार यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोर दे रहा है।
सैनिकों का जमावड़ासूत्रों के अनुसार चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने गलवान घाटी और कुछ अन्य गतिरोध स्थलों से सैनिकों को वापस बुला लिया है लेकिन पैंगोंग सो, गोगरा और डेपसांग में फिंगर क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन को फिंगर चार और आठ के बीच के क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी। पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों सेनाओं के बीच टकराव के बाद गतिरोध की स्थिति बन गयी थी।
पीछे हटे चीनी सेनाअंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारत ने मेजर जनरल स्तर की बातचीत में सीमा पर तनाव खत्म करने पर ज़ोर दिया। खासकर डेपसांग में सेना को पीछे हटने को कहा। बता दें कि यहां पिछले कुछ समय से चीन की सेना भारत को पेट्रोलिंग करने के लिए भी नहीं दे रही है। अगर सामरिक तौर पर देखा जाए तो पैंगोंग सो से भारत के लिए डेपसांग ज्यादा अहम है। इस इलाके से तनाव खत्म करने के लिए अब तक यहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है।
यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोरभारतीय पक्ष की ओर से तीसरी इन्फेंट्री डिवीजन के जनरल अफसर कमांडिंग मेजर जनरल अभिजीत बापट ने बातचीत का नेतृत्व किया। कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों ने गतिरोध के क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के लिए एक समयसीमा तय करने पर भी बातचीत की। सैन्य वार्ता में भारतीय पक्ष जल्द से जल्द चीनी सैनिकों के पूरी तरह पीछे हटने की प्रक्रिया पर और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में पांच मई से पहले के अनुसार यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोर दे रहा है।
सैनिकों का जमावड़ासूत्रों के अनुसार चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने गलवान घाटी और कुछ अन्य गतिरोध स्थलों से सैनिकों को वापस बुला लिया है लेकिन पैंगोंग सो, गोगरा और डेपसांग में फिंगर क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन को फिंगर चार और आठ के बीच के क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए। सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जुलाई को शुरू हुई थी। पांच मई को पैंगोंग सो में दोनों सेनाओं के बीच टकराव के बाद गतिरोध की स्थिति बन गयी थी।