देश / भारतीय सेना ने लहराया परचम, चीनी सीमा पर 20 दिन में 6 पहाड़ियों पर किया कब्जा

AajTak : Sep 20, 2020, 10:10 PM
भारत और चीन के बीच पिछले काफी समय से तनाव की स्थिति जारी है। इसी बीच पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर भारतीय सेना ने पिछले 20 दिन में बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारतीय सेना ने पिछले 20 दिन में चीन की सीमा पर छह नई पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है। जबकि चीनी सेना की नजर इन पहाड़ियों पर थी। 

दरअसल, भारतीय सेना के जवानों ने छह नई बड़ी पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया है जिसमें मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला राचाना ला, मोखपारी और फिंगर 4 रिज लाइन पर सबसे बड़ी चोटियां शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये पहाड़ियां दक्षिण से उत्तरी किनारे तक फैली हुई हैं। इस कामयाबी ने फिलहाल भारत को चीन पर बढ़त दिला दी है।

भारत और चीनी सेना के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए संघर्ष 29 अगस्त के बाद शुरू हुआ, जब चीनी ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के पास थाकुंग क्षेत्र के दक्षिण में ऊंचाइयों पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

उस दौरान चीनी सेना की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए पैंगोंग के उत्तरी तट से लेकर झील के दक्षिणी किनारे तक कम से कम तीन मौकों पर हवाई फायरिंग करनी पड़ी थीं। ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियां एलएसी के चीनी हिस्से में हैं, जबकि भारतीय पक्ष द्वारा कब्जा की गई चोटियां भारतीय क्षेत्र में एलएसी पर हैं।

भारतीय सेना द्वारा चोटियों पर कब्जा किए जाने के बाद चीनी सेना ने अपनी संयुक्त ब्रिगेड की लगभग 3,000 अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया है। इसमें रेजांग ला और राचाना ला हाइट्स के पास इंफैट्री और बख्तरबंद सैनिक शामिल हैं। पिछले कुछ हफ्ते में अतिरिक्त सैनिकों के साथ चीनी सेना की मोल्डो गैरीसन भी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा पूरी तरह से सक्रिय की गई है।

बता दें कि चीनी आक्रामकता के बाद भारतीय सुरक्षा बल बहुत समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नणवाने की निगरानी में सैन्य ऑपरेशन किए जा रहे हैं।

बता दें कि एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच कई बार आमना-सामना हो चुका है। जून के मध्य में भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, कई चीनी सैनिक भी मारे गए लेकिन चीन ने मारे गए सैनिकों की संख्या का जिक्र नहीं किया था।

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