Zoom News : Aug 01, 2019, 04:49 PM
जयपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधानसभा में कहा कि भारतीय संसदीय व्यवस्था हम सभी के सतत् संघर्ष की परिणिति है। यह व्यवस्था न तो हमें सहजता से मिली है और ना ही ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली है।
मुखर्जी गुरूवार को विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) एवं लोकनीति- सीएसडीएस के संयुक्त तत्वावधान में विधायकों के लिए आयोजित एक दिवसीय सेमिनार ‘चेंजिग नेचर ऑफ पार्लियामेंट डेमोक्रेसी इन इंडिया’ मेें उद्घाटन सत्र कोे संबोधित कर रहे थे। मुखर्जी ने भारतीय संविधान के अंगीकार से लेकर इसके वर्तमान स्वरूप तक हुए बदलावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होेंने कहा कि संविधान में लगातार संशोधन हुए हैं लेकिन फिर भी हमने अब तक इसकी मूल आत्मा को जीवित रखा है। उन्होेंने राष्ट्रमण्डल के गठन की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के प्रयासों से यह संभव हुआ कि इसके नाम से ब्रिटिश शब्द कोे हटाया गया।
मुखर्जी ने बताया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह संविधान का अभिन्न अंग है, उच्चतम न्यायालय में बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय इस आधार पर लिये गये हैं। उन्होंने गोलकनाथ, केशवानन्द भारती जैसे महत्वपूर्ण प्रकरणों की जानकारी देते हुए बताया कि किस तरीके से भारतीय संसदीय व्यवस्था में लगातार बदलाव हुए है। उन्होंने विधायकों को अनुच्छेद 368 के पुराने तथा नए स्वरूप को गहनता से अध्ययन करने के लिए कहा जिससे संविधान संशोधन की प्रकिया में हुए बदलाव की जानकारी मिल सके। श्री मुखर्जी ने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता द्वारा निर्वाचित होते है इसलिए उनकी सबसे पहली जिम्मदारी जनता के हितों की रक्षा करना है।राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ(#राजस्थान शाखा) एवं लोकनीति-सी एस डी एस के संयुक्त तत्वावधान में 15वीं विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए #भारत के पूर्व राष्ट्रपति @CitiznMukherjee जी...https://t.co/KRtbzPawiz pic.twitter.com/3sTXwZctAX
— Rajasthan Vidhan Sabha (@RajAssembly) August 1, 2019
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की (राजस्थान शाखा) के उपाध्यक्ष मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से देश के समृद्ध संसदीय लोकतंत्र का गौरव और बढ़ाया है। अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में मुखर्जी जिस भी पद पर रहे हैं वहां उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ी है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है।
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया ने कहा कि दीर्घ राजनैतिक अनुभव रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के ज्ञान का हमें लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश एवं विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पार्टियों का शासन है लेकिन सबका मकसद लोकतंत्र को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने लोकतंत्र को आगे बढ़ाया इसमें जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, हमें इनसे प्रेरणा लेनी होगी।
प्रारम्भ में सीपीए के सचिव एवं विधानसभा सदस्य संयम लोढा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी हमारे गौरव हैं और इन्होंने राजनीति ही नहीं, एक पत्रकार और प्रोफेसर के रूप में भी देश की सेवा की है। उन्होंने कहा कि देश में 70 वर्ष के दौरान प्रजातंत्र में कई परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस सेमीनार का आयोजन किया, जिसमें वर्तमान सदस्यों सहित पूर्व सदस्यों को भी शामिल किया गया है।
प्रारम्भ में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी, प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया एवं विधायक संयम लोढ़ा ने पूर्व राष्ट्रपति एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि को खुशहाली के प्रतीक हरित पौधे भेंट कर स्वागत किया, इससे पहले मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया
इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को राजस्थान विधानसभा भवन की आकृति का स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम के अन्त में सीएसडीएस के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने आभार व्यक्त किया तथा संचालन डॉ. ज्योति जोशी ने किया।