उपलब्धि / भारतीय मूल की डॉक्टर मोनीषा घोष अमेरिका में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर नियुक्त

Dainik Bhaskar : Dec 22, 2019, 10:33 AM
ह्यूस्टन | ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय मूल की डॉक्टर मोनीषा घोष को अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (संघीय संचार आयोग) में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) नियुक्त किया है। वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। वे 13 जनवरी को पद संभालेंगी। भारतीय मूल के अजीत पई इस वक्त कमीशन के चेयरमैन हैं। मोनीषा घोष उन्हें तकनीक और इंजीनियरिंग के मुद्दे पर सलाह देंगी। इसके अलावा वे आयोग के टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ करीब से काम करेंगी। 

वायरलेस टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञ हैं डॉक्टर घोष

मोनीषा घोष ने 1986 में आईआईटी खड़गपुर से बी.टेक किया था। इसके बाद 1991 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। एफसीसी में नियुक्ति से पहले वे नेशनल साइंस फाउंडेशन के कम्प्यूटर नेटवर्क डिविजन में प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं। यहां वे वायरलेस रिसर्च पोर्टफोलियो देखने के साथ वायरलेस नेटवर्किंग सिस्टम्स में मशीन लर्निंग के प्रोग्राम्स पर भी काम कर रही थीं। डॉक्टर घोष यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में रिसर्च प्रोफेसर भी रही हैं। यहां वे वायरलेस टेक्नोलॉजी पर रिसर्च में शामिल रहीं। उन्होंने इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी और मॉडर्न वाई-फाई सिस्टम पर शोध किया है। 

संचार से जुड़े कानून लागू करने में एफसीसी की अहम भूमिका

फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन अमेरिका के सभी 50 राज्यों में रेडियो, टेलीविजन, वायर, सैटेलाइट और केबल के संचार को नियंत्रित करता है। यह एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है, जो संचार से जुड़े कानून और नियम लागू करने में अहम भूमिका निभाती है। 

पई ने कहा- 5जी में  अमेरिका को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी घोष

एफसीसी के चेयरमैन अजीत पई के मुताबिक, घोष 5जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को बढ़त दिलाने में मदद करेंगी। घोष की वायरलेस टेक्नोलॉजी की गहरी समझ काफी कीमती साबित होगी। पाई ने आगे कहा, “डॉक्टर घोष ने इंडस्ट्री में वायरलेस से जुड़े कई मुद्दों पर रिसर्च की है। उनकी विशेषज्ञता काफी ज्यादा है। वे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) से लेकर मेडिकल टेलिमेटरी और प्रसारण के मानकों तक की जानकारी रखती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी नियुक्ति ऐतिहासिक साबित होगी। हमें गर्व है कि वे एफसीसी की पहली महिला सीटीओ होंगी। उम्मीद है कि उनका उदाहरण युवा महिलाओं को विज्ञान क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरणा देगा।”

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