News18 : Nov 20, 2019, 07:53 AM
नई दिल्ली। पिछले डेढ़ दशक में श्रीलंका के साथ भारत के संबंध बहुत उत्साहजनक नहीं रहे। इस दौरान श्रीलंका भारत की बजाए चीन के ज्यादा करीब गया। यही कारण है कि अब नए राजनीतिक हालात में भारत ने अपना ध्यान श्रीलंका पर केंद्रित किया है। गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने हैं। पीएम मोदी ने उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। अब वह पहली विदेश यात्रा पर भारत आएंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) बिना तय कार्यक्रम के मंगलवार को श्रीलंका (Srilanka) पहुंचे। उनकी ये यात्रा इसलिए भी अहम है, क्योंकि सोमवार को ही श्रीलंका में राष्ट्रपति के चुनाव में गोटबाया राजपक्षे (Gota baya Rajapaksa) नए राष्ट्राध्यक्ष चुने गए हैं। एस जयशंकर (S Jaishankar) की यह यात्रा छोटी है। श्रीलंका में नए राजनीतिक समीकरण के बीच वह बिना तय कार्यक्रम के श्रीलंका पहुंचे हैं।सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार शाम को कोलंबो पहुंचे। वह बुधवार सुबह भारत लौटेंगे। कोलंबो में उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति गोटाबाया से मुलाकात की और उन्हें पीएम मोदी की ओर से भारत आने के लिए निमंत्रण दिया। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर गोटाबाया से बात की थी। साथ ही पीएम मोदी ने गोटाबाया को पहले विदेशी टूर पर भारत आने के लिए उन्हें निमंत्रण दिया। सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने "विकास और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा" व्यक्त की।गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के बाद 29 नवंबर को अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान भारत आएंगे। बता दें कि गोटबाया राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं। जब श्रीलंका सेना और लिट्टे के खिलाफ युद्ध के दौरान वह रक्षा सचिव थे।
भारत के लिए इसलिए है बड़ी चिंतादरअसल, भारत श्रीलंका का साथ गंभीरता से ले रहा है। दरअसल, गोटबाया के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे के समय 2005 से 2015 तक श्रीलंका के संबंध भारत की बजाए चीन से ज्यादा अच्छे रहे। महिंदा राजपक्षे पर आरोप है कि उन्होंने श्रीलंका को चीन के कर्ज के जाल में फंसा दिया। यहां तक कि हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को सौंप दिया। भारत के विरोध के बावजूद ये बंदरगाह चीन ने 99 साल की लीज पर ले लिया है। भारत के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी ही हो सकती है कि इस बंदरगाह का उपयोग श्रीलंका की सहमति के बिना सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है।A warm meeting with Sri Lanka President @GotabayaR. Conveyed PM @narendramodi’s message of a partnership for shared peace, progress, prosperity & security. Confident that under his leadership, #IndiaSriLanka relations would reach greater heights. pic.twitter.com/pDxZf0ZM3A
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 19, 2019