नई दिल्ली / जुलाई में भारत की रिटेल महंगाई दर घटकर 3.15% रही

Live Hindustan : Aug 14, 2019, 11:04 AM
ईंधन और बिजली सस्ता होने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में मामूली घटकर 3.15 प्रतिशत हुई। हालांकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में वृद्धि हुई है। सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई दर जून में 3.18 प्रतिशत तथा पिछले साल जुलाई में 4.17 प्रतिशत थी।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में 2.36 प्रतिशत रही जो इससे पूर्व महीने में 2.25 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। आंकड़ों के अनुसार सब्जियों की महंगाई दर आलोच्य महीने में कम होकर 2.82 प्रतिशत रही जबकि जून में इसमें 4.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं दाल और उसके उत्पादों की कीमतों में जुलाई महीने में 6.82 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इससे पिछले महीने जून में यह 5.68 प्रतिशत थी।

फलों के मामले में कीमत में तेजी की प्रवृत्ति रही। इस खंड में महंगाई दर आलोच्य महीने में शून्य से 0.86 प्रतिशत नीचे रही जबकि एक महीने पहले इसमें 4.18 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। मांस और मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की महंगाई दर इस साल जुलाई में 9.05 प्रतिशत रही जो जून के 9.01 प्रतिशत के लगभग बराबर है। हालांकि अंडों के मामले में महंगाई दर घटकर 0.57 प्रतिशत पर आ गयी जबकि इससे पिछले महीने जून में यह 1.62 प्रतिशत थी।

ईंधन और बिजली की श्रेणी में कीमतों में जुलाई महीने में 0.36 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि इससे पूर्व महीने में इसमें 2.32 प्रतिशत की तेजी आयी थी। इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ''उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में मामूली गिरावट का कारण ईंधन और बिजली के दाम में कमी है। यह स्थिति तब है जब खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़े हैं।"

उन्होंने कहा, ''कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए खाद्य वस्तुओं के दाम की प्रवृत्ति पर सतर्कता पूवर्क ध्यान देने की जरूरत है। इससे सब्जियों के दाम चढ़े हैं और खरीफ फसलों की की बुवाई में देरी हो रही है...।" खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के संतोषजनक स्तर से नीचे है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर नजर रखता है।

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