Share Market News: भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ समय से लगातार दबाव में है, जिसका मुख्य कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा बड़े पैमाने पर पूंजी की निकासी है। नवंबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय इक्विटी बाजार से 21,612 करोड़ रुपये (लगभग 2.56 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाले। यह आंकड़ा अक्टूबर 2024 की तुलना में काफी कम है, जब एफपीआई ने 94,017 करोड़ रुपये (11.2 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी बिकवाली की थी।
गिरावट के पीछे मुख्य कारण
मार्केट विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि, डॉलर की मजबूती और घरेलू आर्थिक मंदी के कारण एफपीआई अपनी पूंजी निकाल रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी भी इस निकासी को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों और वैश्विक आर्थिक कारकों पर भी निवेशकों की पैनी नजर है।
कंपनियों की तिमाही नतीजों पर रहेगी नजर
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के संयुक्त निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनियों के तिमाही नतीजे एफपीआई की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति और मुद्रास्फीति के रुझान भी निवेशकों के रुख को प्रभावित करेंगे।
पिछले सप्ताह का प्रदर्शन
भारतीय शेयर बाजारों ने पिछले सप्ताह काफी उतार-चढ़ाव देखा, लेकिन सप्ताह का अंत सकारात्मक नोट पर हुआ। मास्टर कैपिटल सर्विसेज की निदेशक पलका अरोड़ा चोपड़ा के अनुसार, आने वाले सप्ताह में बाजार भारत के विनिर्माण पीएमआई, सेवा पीएमआई और आरबीआई की मौद्रिक नीति जैसे घरेलू आर्थिक संकेतकों के साथ-साथ वैश्विक डेटा पर निर्भर करेगा।
आगामी समय की चुनौतियां
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीना का कहना है कि सोमवार को बाजार भारत की निराशाजनक 5.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि पर प्रतिक्रिया देगा। आगामी आरबीआई नीति का निर्णय और इसके तहत ब्याज दरों पर की गई टिप्पणियां बाजार के भविष्य को आकार देंगी।
निवेशकों के लिए क्या करें?
मौजूदा परिस्थितियों में निवेशकों को संयम बरतने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निवेश करने की सलाह दी जाती है। कमजोर शेयरों की खरीदारी से बचते हुए, मजबूत और मौलिक रूप से सुदृढ़ कंपनियों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार फिलहाल विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण दबाव में है। हालांकि, बाजार की दीर्घकालिक संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई हैं। निवेशकों को तिमाही नतीजों और आरबीआई की आगामी नीति पर पैनी नजर रखनी चाहिए।