चाबहार / US के प्रतिबंधों पर भारत के बहाने मिली छूट का फायदा उठाना चाहता है ईरान?

NavBharat Times : Jul 25, 2020, 05:06 PM
तेहरान: भारत से लद्दाख में सीमा विवाद और अमेरिका से कोरोना वायरस से लेकर दक्षिण चीन सागर तक कई मुद्दों पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने वाले चीन के साथ ईरान की नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। दूसरी ओर भारत की अमेरिका से करीबी उसे रास नहीं आ रही है। इस बीच भले ही उसने चाबहार-जहेदान रेलवे प्रॉजेक्ट से भारत को हटाने की खबरों का खंडन किया हो लेकिन माना जा रहा कि इसके पीछे भी एक रणनीति रही है। दरअसल, तेहरान यह झटका देकर अमेरिका के लगाए प्रतिबंधों पर भारत को मिलने वाली छूट का फायदा उठाना चाह रहा था।

चीन से नजदीकी, भारत से तल्खी?

एशियाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान चीन के साथ 400 अरब डॉलर की डील कर रहा है जबकि वह इस बात से नाराज है कि भारत ने अमेरिका के प्रतिबंधों का पालन करते हुए ईरान से ऊर्जा आयात रोक दिया। उसका यह भी कहना है कि चाबहार में भारत दिलचस्पी नहीं ले रहा। हालांकि, ईरान ने इन खबरों को अफवाह बताया है और चीन से अपनी नजदीकी के बावजूद वह साफतौर पर भारत से तल्खी नहीं जाहिर कर रहा। इस बात की संभावना पहले ही जताई जा रही थी कि तेहरान और नई दिल्ली के बीच 2026 में 10 साल का चाबहार समझौता पूरा होने के बाद चीन इसे अपने बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत ले लेगा।

देश के अंदर मिले-जुले विचार

ऐसे में सवाल यह है कि ईरान एक साथ चीन और भारत के साथ संतुलन कैसे बनाएगा। भारत के उसके विरोधियों, अमेरिका और इजरायल के साथ बेहतर संबंध हैं जबकि चीन से संबंधों में शांतिपूर्ण तनाव फिलहाल बना है। ईरान में एक बड़ा तबका ऐसा है जिसका मानना है कि वह एक सेफ पैसेज के जरिए चीन और भारत से एक-साथ व्यापार कर सकता है। हालांकि, देश में कुछ संगठन ऐसे भी हैं जो भारत सरकार के साथ संबंधों के पक्ष में नहीं हैं।


भारत का समर्पण जांच रहा ईरान

तेहरान के एक पॉलिटिकल साइंस प्रफेसर का कहना है कि ईरान चाबहार के बहाने यह देखना चाहता था कि भारत ईरान की शिकायतों पर क्या कार्रवाई करता है। जब चाबहार से भारत को बाहर करने की बात आई तो भारत के राजदूत गद्दाम धर्मेंद्र ईरान की संसद के स्पीकर और सड़क और रेल मंत्रालय के डेप्युटी मिनिस्टर से मिले। माना जा रहा है कि ईरान यह देखना चाहता था कि भारत ईरान के विरोधियों के प्रति अपनी नीति से परे होकर ईरान के साथ कैसे व्यवहार करता है। उसका मानना है कि अब भारत इस प्रॉजेक्ट में और ज्यादा दिलचस्पी लेगा।


भारत से संबंध तोड़ने से होगा नुकसान

दूसरी ओर, भारत के चाबहार प्रॉजेक्ट से जुड़े होने की वजह से अमेरिका ने प्रतिबंधों में छूट दे रखी है। कोरोना वायरस महामारी के बीच ईरान के लिए यह निवेश का एक मौका है जिससे उसे राहत मिली है। ऐसे में ईरान यह नहीं चाहेगा कि भारत इस प्रॉजेक्ट से बाहर हो क्योंकि इससे प्रतिबंधों में छूट भी हाथ से जा सकती है। हालांकि, ईरान में एक धड़ा है जो मानता है कि अगर भारत से ईरान को फायदा नहीं हो रहा है तो दोनों के बीच संबंधों का मतलब नहीं है।


रहे हैं ऐतिहासिक-सांस्कृतिक संबंध

दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृति संबंध रहे हैं जिनकी वजह से दोनों के बीच संबंध बेहतर होने की उम्मीद कायम है। जनवरी में अमेरिकी हमले में मारे गए ईरान के कमांडर कासिम सुलेमान भारत से मजबूत रिश्तों के पक्षधर थे और माना जाता है कि उनकी नीतियों का रेवलूशनरी गार्ड्स में अभी भी पालन किया जाता है। ईरान के लिए भारत सैन्य उपकरणों का संभावित स्रोत भी है। वहीं, चीन के साथ मजबूत होते संबंधों के बीच भारत से भी रिश्ते कायम रखने से ईरान यह भी साबित कर सकेगा कि वह चीन के हाथों में मोहरा नहीं है।

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