दुनिया / ईरान-चीन डील का जवाब है इजरायल-यूएई 'दोस्‍ती', भारत के लिए खुशखबरी: विशेषज्ञ

NavBharat Times : Aug 16, 2020, 08:16 AM
तेलअवीव/अबूधाबी/नई दिल्‍ली: दुनिया के दो दुश्‍मन देश इजरायल और संयुक्‍त अरब अमीरात करीब 72 साल बाद 'दोस्‍त' बन गए हैं। अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की मध्‍यस्‍थता के बाद इजरायल और यूएई ने शांति समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू और अबूधाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद अल नहयान के बीच हुए इस समझौते को 'एक वास्‍तविक ऐतिहासिक मौका' करार दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील न केवल ईरान और चीन की दोस्‍ती का जवाब है, बल्कि भारत के लिए भी बड़ी खुशखबरी है।

एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं कि इजरायल और यूएई ने ईरान के बढ़ते खतरे को देखते हुए साथ आने का फैसला किया है। ईरान और चीन के बीच बड़ी डील हुई है। चीन और ईरान के इस गठजोड़ का जवाब देने के लिए यूएई ने इजरायल से हाथ‍ मिलाया है। इजरायल की अब यूएई और सऊदी अरब को काफी जरूरत पड़ रही है। यूएई और सऊदी अरब की पाकिस्‍तान से दूरी बढ़ रही है। इसी वजह से यूएई को फलस्‍तीन का साथ छोड़कर इजरायल का दामन थामना पड़ा है।


पाकिस्‍तान से निर्भरता खत्‍म कर रहे यूएई और सऊदी अरब

आगा ने कहा, 'यमन की जंग में सऊदी अरब बुरी तरह से फंसा हुआ है और पाकिस्‍तानी सेना की मदद के बाद भी जंग खत्‍म नहीं हो पा रही है। हूती की जंग में इजरायल सऊदी अरब की मदद कर सकता है। यही नहीं इजरायल ईरान को काउंटर करने में सऊदी अरब और यूएई की मदद कर सकता है। ईरान स्‍ट्रेट ऑफ होर्मूज में रास्‍ता रोकने की धमकी देता है। इजरायल ईरान को ऐसा करने से रोकने में यूएई की मदद कर सकता है। यूएई की तरह से सऊदी अरब भी भविष्‍य में डील कर सकता है।

उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान पर से सऊदी और यूएई अपनी निर्भरता को खत्‍म कर रहे हैं। सऊदी अरब में बड़ी संख्‍या में पाकिस्‍तानी सैनिक रहते हैं और इस डील के बाद अब वे धीरे-धीरे वापस आ जाएंगे। इनकी जगह पर अब मिस्र और सूडान के सैनिक हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग के ल‍िए सऊदी अरब आ रहे हैं। इजरायल इन सैनिकों को ट्रेनिंग और रणनीतिक मदद दे सकता है। पाकिस्‍तान और सऊदी अरब की दूरियां बहुत बढ़ गई हैं। दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद काफी बढ़ गया है।


खाड़ी में अमेरिका की जगह लेगा इजरायल

आगा ने कहा कि कोरोना वायरस काल के बाद की दुनिया काफी बदल जाएगी। अमेरिका इतने बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती की हैसियत में नहीं रहेगा। वह चाहता है कि पश्चिम एशिया में इजरायल उसकी भूमिका निभाए। यह उसके लिए काफी सस्‍ता रहेगा। इजरायल इसे अच्‍छे से अंजाम भी दे पाएगा। उन्‍होंने कहा कि यूएई को लीबिया में भी बड़ी दिक्‍कत आ रही है। लीबिया में यूएई के समर्थक खलीफा हफ्तार जंग हार रहे हैं। फ्रांस और यूएई हफ्तार का समर्थन कर रहे हैं। लीबिया सरकार को तुर्की की ओर से समर्थन मिल रहा है। अत्‍याधुनिक हथियारों से लैस इजरायल लीबिया में जंग जीतने में यूएई की मदद कर सकता है।


भारत के लिए खुशखबरी है इजरायल-यूएई डील

भारत के अरब देशों और इजरायल दोनों ही देशों से अच्‍छे संबंध है। भारत का ज्‍यादातर तेल अरब से ही आता है। भारत चाहता है कि सऊदी अरब और यूएई में शांति रहे। अगर सऊदी अरब से पाकिस्‍तान से हटता है तो यह भारत के लिए खुशखबरी है। इससे भारत को आर्थिक और रणनीतिक दोनों ही फायदा होगा। सऊदी अरब में भारत का भी प्रभाव और बढ़ सकता है। उन्‍होंने कहा कि इजरायल-यूएई की बीच डील का असर दुनिया में काफी दूर तक होगा। इसमें पश्चिम एशिया, यूरोप और अफ्रीका शामिल हैं।


चीन-ईरान में 400 अरब डॉलर की महाडील

पश्चिम एशिया में अमेरिका के साथ चल रही तनातनी के बीच ईरान और चीन जल्‍द ही एक महाडील पर समझौता कर सकते हैं। इसके तहत चीन ईरान से बेहद सस्‍ती दरों पर तेल खरीदेगा, वहीं इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है। यही नहीं ड्रैगन ईरान की सुरक्षा और घातक आधुनिक हथियार देने में भी मदद करेगा। न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है। हालांकि अभी इसे ईरान की संसद मजलिस से मंजूरी नहीं मिली है। इस डील के 18 पन्‍ने के दस्‍तावेजों से पता चलता है कि चीन बहुत कम दाम में अगले 25 साल तक ईरान से तेल खरीदेगा। इसके बदले में चीन बैंकिंग, आधारभूत ढांचे जैसे दूरसंचार, बंदरगाह, रेलवे, और ट्रांसपोर्ट आदि में निवेश करेगा।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER