News18 : Apr 09, 2020, 04:37 PM
नई दिल्ली। एशियाई मार्केट में चावल के दाम पिछले 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुके हैं। कोरेाना वायरस आउटब्रेक (Coronavirus Outbreak) की वजह से एक तरफ लोग अपने घर में चावल स्टॉक (Stockpiling) कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ निर्यात (Export of Grains) प्रभावित होने की वजह से शिपमेंट नहीं पहुंच पा रहा है। एक थाई एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 25 मार्च से 1 अप्रैल के बीच 5 फीसदी टूटे चावल की कीमत में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है। रॉयटर्स की एक डेटा के मुताबिक, यह भाव अप्रैल 2013 के बाद से सबसे अधिक है।
निर्यात पर प्रतिबंध
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से भारत और वियतनाम ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दोनों देश ही चावल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं। बता दें कि दुनियाभर में कुल चावल का 90 फीसदी हिस्सा एशिया में ही उत्पादित किया जाता है और इसकी सबसे अधिक खपत भी एशिया में ही होती है।नहीं साइन हो रहे नए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट
भारत में चावल व्यापारियों ने मजदूरों की कमी और लॉजिस्टिक्स प्रभावित होने के बाद नए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट साइन करना बंद कर दिया है। भारतीय एक्सपोर्टर्स का कहना है कि मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करना ही उनके लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। वहीं, वियतनाम सरकार ने पहले से ही निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मार्च के पहले की बात करें तो पिछले साल की अंत से ही चावल की कीमतों में तेजी आनी शुरू हो गइ थी। दरअसल, इस दौरान थाईलैंड में भीषण सूखे पड़ा था और एशियाई व अफ्रीकी देशों में चावल की मांग में इजाफा भी हुआ था। भारत और वियनाम के बाद सबसे अधिक चावल थाईलैंड से ही निर्यात होता है।
पर्याप्त उत्पादन के बाद भी क्यों बढ़ रहे दाम?
एक जानकार का कहना है कि इस साल चावल उत्पादन में इजाफा होने की उम्मीद है, लेकिन इसके बाद भी कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। चावल और गेहूं के स्टॉक्स पहले से ही अधिक है। जानकारों का कहना है स्टॉक्स तो पर्याप्त हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मजूदरों की कमी होने की वजह इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अन्य सेक्टर्स से इतर, कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन की अवधि से नहीं बल्कि इसके समय से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, यही समय होता है जब पुरानी फसल काटी जाती है और नई फसल लगाई जाती है। अगर यह समय निकल जाता है तो संभव है कि पूरे साल अनाज की परेशानी हो सकती है।
निर्यात पर प्रतिबंध
दरअसल, कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) की वजह से भारत और वियतनाम ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दोनों देश ही चावल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं। बता दें कि दुनियाभर में कुल चावल का 90 फीसदी हिस्सा एशिया में ही उत्पादित किया जाता है और इसकी सबसे अधिक खपत भी एशिया में ही होती है।नहीं साइन हो रहे नए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट
भारत में चावल व्यापारियों ने मजदूरों की कमी और लॉजिस्टिक्स प्रभावित होने के बाद नए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट साइन करना बंद कर दिया है। भारतीय एक्सपोर्टर्स का कहना है कि मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करना ही उनके लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। वहीं, वियतनाम सरकार ने पहले से ही निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मार्च के पहले की बात करें तो पिछले साल की अंत से ही चावल की कीमतों में तेजी आनी शुरू हो गइ थी। दरअसल, इस दौरान थाईलैंड में भीषण सूखे पड़ा था और एशियाई व अफ्रीकी देशों में चावल की मांग में इजाफा भी हुआ था। भारत और वियनाम के बाद सबसे अधिक चावल थाईलैंड से ही निर्यात होता है।
पर्याप्त उत्पादन के बाद भी क्यों बढ़ रहे दाम?
एक जानकार का कहना है कि इस साल चावल उत्पादन में इजाफा होने की उम्मीद है, लेकिन इसके बाद भी कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। चावल और गेहूं के स्टॉक्स पहले से ही अधिक है। जानकारों का कहना है स्टॉक्स तो पर्याप्त हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मजूदरों की कमी होने की वजह इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अन्य सेक्टर्स से इतर, कृषि क्षेत्र को लॉकडाउन की अवधि से नहीं बल्कि इसके समय से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, यही समय होता है जब पुरानी फसल काटी जाती है और नई फसल लगाई जाती है। अगर यह समय निकल जाता है तो संभव है कि पूरे साल अनाज की परेशानी हो सकती है।