News18 : Apr 20, 2020, 03:17 PM
तेल अवीव। इजरायल (Israel) के तेल अवीव (Tel Aviv) विश्वविद्यालय में कार्यरत एक इजराइली वैज्ञानिक ने कोरोना परिवार (Coronavirus) के वायरसों के लिए वैक्सीन डिजाइन का पेटेंट हासिल कर लिया है। तेल अवीव यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर बताया है कि यह पेटेंटक 'यूनाटेड स्टेट्स पेटेंट एडं ट्रेडमार्क ऑफिस' ने प्रदान किया है। मिली जानकारी के मुताबिक यह वैक्सीन कोरोना वायरस (Covid19) की संरचना पर सीधी चोट कर उसे निष्क्रिय करने में सक्षम है।
बता दें कि ये टीका विश्वविद्यालय के जॉर्ज एस वाइज फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज में स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जोनाथन गरशोनी ने प्रस्तावित की है। बयान में कहा गया है कि दवा के विकास में अभी कई माह लग सकते हैं। इसके बाद इसके क्लीनिकल ट्रायल का चरण शुरू होगा। उधर WHO ने भी आशंका जताई है कि हाल-फिलहाल में जानलेवा कोरोना वायरस के इलाज के लिए किसी कारगर वैक्सीन के विकसित होने की कोई संभावना नहीं है।
गरशोनी ने दी वैक्सीन की जानकारी
गरशोनी ने बताया है कि शोध से पता चला है कि वायरस पहले मानव शरीर की कोशिका के प्रोटीन के साथ संबंध स्थापित करता है और इसके बाद कोशिका की बाहरी परत को भेदकर उसके भीतर दाखिल हो जाता है। इसके बाद वह कोशिका को संक्रमित करना शुरू कर देता है। ऐसा शरीर की लाखों कोशिकाओं में होता है। बता दें कि गरशोनी कोरोना फैमिली के वायरसों पर पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं। उन्होंने सार्स और मर्स वायरस पर भी काफी रिसर्च की है।दो कंपनियों ने पहले भी किया था दावा
बता दें कि इजरायल दुनिया के उन देशों में शामिल है जिन्होंने कोविड-19 की वैक्सीन बनाने का दावा सबसे पहले किया था। बीती 11 अप्रैल को भी दो इजरायली कंपनियों ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रभावी वैक्सीन खोजने का दावा किया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि जून तक इसका मनुष्यों पर परीक्षण शुरू हो जाएगा। बता दें कि भारत और इजरायल इलाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। इजरायल का दावा है कि वह अपनी तकनीक से जल्द कोरोना को हराएगा। वहालांकि WHO के विशेष दूत डेविड नैबैरो ने चेताया है, 'इस बात की कोई गांरटी नहीं कि आने वाले महीनों में जानलेवा वायरस को खत्म करने वाली कोई वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली जाए।' नामचीन संक्रामक रोग विशेषज्ञ का मानना है कि लोगों को वायरस के खतरे के साथ जीने की आदत डालनी होगी। बचाव के उपायों को हर हाल में अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।
बता दें कि ये टीका विश्वविद्यालय के जॉर्ज एस वाइज फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज में स्कूल ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जोनाथन गरशोनी ने प्रस्तावित की है। बयान में कहा गया है कि दवा के विकास में अभी कई माह लग सकते हैं। इसके बाद इसके क्लीनिकल ट्रायल का चरण शुरू होगा। उधर WHO ने भी आशंका जताई है कि हाल-फिलहाल में जानलेवा कोरोना वायरस के इलाज के लिए किसी कारगर वैक्सीन के विकसित होने की कोई संभावना नहीं है।
गरशोनी ने दी वैक्सीन की जानकारी
गरशोनी ने बताया है कि शोध से पता चला है कि वायरस पहले मानव शरीर की कोशिका के प्रोटीन के साथ संबंध स्थापित करता है और इसके बाद कोशिका की बाहरी परत को भेदकर उसके भीतर दाखिल हो जाता है। इसके बाद वह कोशिका को संक्रमित करना शुरू कर देता है। ऐसा शरीर की लाखों कोशिकाओं में होता है। बता दें कि गरशोनी कोरोना फैमिली के वायरसों पर पिछले 15 साल से काम कर रहे हैं। उन्होंने सार्स और मर्स वायरस पर भी काफी रिसर्च की है।दो कंपनियों ने पहले भी किया था दावा
बता दें कि इजरायल दुनिया के उन देशों में शामिल है जिन्होंने कोविड-19 की वैक्सीन बनाने का दावा सबसे पहले किया था। बीती 11 अप्रैल को भी दो इजरायली कंपनियों ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए प्रभावी वैक्सीन खोजने का दावा किया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि जून तक इसका मनुष्यों पर परीक्षण शुरू हो जाएगा। बता दें कि भारत और इजरायल इलाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। इजरायल का दावा है कि वह अपनी तकनीक से जल्द कोरोना को हराएगा। वहालांकि WHO के विशेष दूत डेविड नैबैरो ने चेताया है, 'इस बात की कोई गांरटी नहीं कि आने वाले महीनों में जानलेवा वायरस को खत्म करने वाली कोई वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली जाए।' नामचीन संक्रामक रोग विशेषज्ञ का मानना है कि लोगों को वायरस के खतरे के साथ जीने की आदत डालनी होगी। बचाव के उपायों को हर हाल में अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।