जयपुर / नशे-ओवरस्पीड से नियम ही नहीं टूटते, जिंदगी की डाेर छूट जाती है

Dainik Bhaskar : Jul 23, 2019, 12:53 PM
जयपुर. सड़क हादसे में मौत...। हर रोज यह खबर छपती ही है। जितना बड़ा रोड एक्सीडेंट उतनी बड़ी खबर। किसी के लिए यह सिर्फ एक खबर हो सकती है, मगर किसी परिवार के लिए इससे बुरी खबर कुछ नहीं। घर का मुखिया छिन जाता है तो पीछे सबकी जिंदगी संघर्ष बन जाती है। पिता को बच्चों की अर्थियां उठानी पड़ती हैं। दुल्हन के जोड़े पर विधवा का श्राप लग जाता है। ...दुधमुंहे बच्चों के लिए पिता सिर्फ तस्वीर में सिमटा रहता है। ...एेसी है सड़क हादसे में मौत।

वजह- शराब के नशे में ड्राइविंग। रफ्तार का जानलेवा जुनून। कुछ सैकंड्स की जल्दबाजी। या सड़क में ही खोट...। किस चौराहे-तिहारे में रोड सेफ्टी के लिए क्या जरूरी, ये बताएंगे। पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और वाहन चालकों को आगाह करेंगे।

क्योंकि..जेडीए चौराहे पर एक सप्ताह में दो बड़े हादसे हुए। 15 जुलाई को 120 की स्पीड से पीछे से आई कार ने ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े वाहनों को कुचल दिया। जवान भाई पुनीत और विवेक सहित राहगीर सुनीता भी मारी गई। इस हादसे से लोग डरे हुए हैं। ट्रैफिक सिग्नल पर खड़े रहकर क्या गलती की? 19 जुलाई सुबह 6 बजे शराब के नशे में कार सवार ने 130 की स्पीड से स्कूटर सवार को कुचला।

ध्यान रहे- हम कई जिंदगियों को साथ लेकर चल रहे हैं। सिग्नल नहीं देखा, नियम नहीं माना तो दर्द घर तक जाएगा।

सड़क के सबक... तमिलनाडु से सीखें- डीजीपी ने खुद संभाली ट्रैफिक की कमान, साल में 5 हजार जिंदगियां बचा लीं

तमिलानाड़ु के डीजीपी ने सड़क सुरक्षा की कमान खुद संभाली। प्रत्येक जिले में एक एडीशनल एसपी को नोडल ऑफिसर बनाया। एसपी स्तर तक के अधिकारियों के सर्विस रिकॉर्ड में सड़क सुरक्षा को जोड़ा।

लोगों की सुविधा के लिए जीसीटीपी सर्विस सिटीजन एप शुरू किया गया।

पुलिस की सख्ती से 2018 में चेन्नई पुलिस ने नियमों के उल्लघंन के 24 लाख मामले दर्ज किए। 27 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला। परिवहन विभाग ने लाइसेंस जारी करने और फिटनेस के नियमों के पालन में सख्ती दिखाई।

...और नतीजा तमिलनाडु में सड़क हादसों में 2016 में 17,218, 2017 में 16,157 मारे गए। 2018 में आंकड़ा गिरकर 12,216 रह गया। 

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