Japan-China Relation / जापान ने चीन को बताया खतरा, कहा- कोरोना से धमका रहा ड्रैगन

NavBharat Times : Jul 15, 2020, 09:01 AM
टोक्यो: जापान ने चीन की विस्तारवादी नीतियों को लेकर जमकर भड़ास निकाली है। जापानी सरकार ने देश के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में चीन और उत्तर कोरिया को संभावित खतरा बताया है। इतना ही नहीं, जापान की सरकार ने यह भी कहा कि चीन स्थानीय समुद्रों में क्षेत्रीय दावे करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। इस समय चीन और जापान में ईस्ट चाइना सी में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। ऐसे समय में जापान के इस बयान से एशिया में तनाव और गहराने के आसार हैं।

 दादागिरी के लिए कोरोना का उपयोग कर रहा चीन

जापान ने कहा कि चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने और सामरिक वर्चस्व कायम करने के लिए कोरोनो वायरस महामारी का भी उपयोग कर रहा है। इस कारण जापान और इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। पूर्वी चाइना सी को लेकर चीन का सभी पड़ोसी देशों से विवाद है। जिसे दबाने के लिए चीनी नेवी इस क्षेत्र में लगातार युद्धाभ्यास भी कर रही है। जिसके कारण आसपास के देशों को जानबूझकर समुद्र में जाने से रोका जा रहा है।

अमेरिका ने साउथ चाइना सी पर चीन के दावों को किया खारिज

प्रधानमंत्री शिंजो आबे के मंत्रिमंडल ने रक्षा से संबंधित सरकार की प्राथमिकताओं को रेखांकित करती एक रिपोर्ट को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। इससे कुछ ही घंटे पहले अमेरिका ने साउथ चाइना सी में चीन के सभी महत्वपूर्ण समुद्री दावों को खारिज कर दिया था, जिससे अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

जापान के लिए चीन और उत्तर कोरिया खतरा

आबे सरकार के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में चीन और उत्तर कोरिया से संभावित खतरों को रेखांकित किया गया है। जापान अपनी रक्षा क्षमता को और अधिक बढ़ाना चाहता है। आबे के नेतृत्व में जापान ने अपने रक्षा बजट और क्षमताओं में तेजी से वृद्धि की है और अमेरिका से महंगे हथियार भी खरीदे हैं।

चीन ने कोरोना को लेकर फैलाई गलत सूचनाएं!

श्वेत पत्र में चीन पर कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर गलत सूचनाएं फैलाने समेत दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय व्यवस्था को अपने लिये और अधिक अनुकूल बनाने तथा अपने प्रभाव का विस्तार करने के इच्छुक देशों के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को उजागर और तेज कर सकती है। हमें अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले उनके कदमों को गंभीरता से लेते हुए करीबी नजर रखने की जरूरत है।

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