विश्व / खामनेई ने सुलेमानी के लिए पढ़ी आखिरी नमाज, बेटी ने ट्रंप को मूर्खता का प्रतीक बताया

AMAR UJALA : Jan 06, 2020, 03:15 PM
तेहरान | ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने देश के शीर्ष सैन्य कमांडर कासfम सुलेमानी के ताबूत पर आखिरी नमाज पढ़ी। तेहरान में सोमवार को बेहद भावनात्मक आयोजन में खामनेई ने सैन्य कमांडर को अंतिम विदाई दी।

सुलेमानी की बेटी ने ट्रंप को मूर्खता का प्रतीक बताया

कासिम सुलेमानी की बेटी जैनब ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पागल और मुर्खता का प्रतीक बताया। उसने कहा कि मेरे पिता की मौत अमेरिका और इजराइल के लिए बुरे दिन लेकर आएगी। पिता के अंतिम संस्कार के जुलूस में भीड़ को संबोधित करते हुए जैनब सुलेमानी ने कहा कि मेरे पिता और इराक के मिलिशिया नेता अबु महदी अल-मुहांदिस की हत्या कर इराक और ईरान के बीच अलगाव पैदा करने की ट्रंप की योजना नाकाम रही। इसका एकमात्र कारण दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक एकता का होना है, जिससे अमेरिका नफरत करता है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की मौत उन्हें तोड़ नहीं पाई और अमेरिका को यह जान ले कि उनका खून बेकार नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि वह जानती हैं कि हिजबुल्ला नेता हसन नस्त्रल्लाह उनके पिता की मौत का बदला लेंगे।

बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में सुलेमानी की मौत हो गई। हमला ईरान के लिए बहुत बड़ा झटका है और इसने पश्चिम एशिया में नए सिरे से युद्ध की आशंकाओं बढ़ा दिया है।

ईरान के लिए थे कितने अहम थे सुलेमानी

अमेरिका के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान के लिए जनरल कासिम सुलेमानी बेहद महत्वपूर्ण थे। पश्चिम एशिया के सभी अभियानों को वही अंजाम दिया करते थे। जनरल सुलेमानी को अपने देश और देश के बाहर एक महत्वपूर्ण हस्ती का दर्जा मिला हुआ था। सीरिया और इराक युद्ध में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती थी।  

मिडिल ईस्ट में बढ़ाया ईरान का प्रभाव 

मिडिल ईस्ट में ईरानी प्रभाव बढ़ाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। इसके चलते अमेरिका के समर्थक देशों सऊदी अरब और इस्राइल को ईरान का मुकाबला करने में दिक्कते आने लगीं। इससे पहले भी उन्हें मारने की कई कोशिशें हुईं, लेकिन वह हर बार बच निकले। 20 सालों के दौरान पश्चिम, इस्राइल और अरब देशों की खुफिया एजेंसियां उनके पीछे पड़ी रहीं। 

अमेरिका के लिए सिरदर्द थे सुलेमानी

इराक में सुलेमानी की काफी अहम भूमिका थी। इस्लामिक स्टेट के आतंक से बगदाद को बचाने के लिए उनके नेतृत्व में ईरान समर्थित फोर्स का गठन हुआ था। जिसका नाम पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स था। जनरल सुलेमानी अमेरिका के बहुत पुराने दुश्मन थे। 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच हुई खूनी जंग में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।

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