News18 : Apr 22, 2020, 03:03 PM
उत्तर कोरिया: पर तमाम देशों और संयुक्त राष्ट्र ने कई तरह के बैन लगाए हुए हैं। जिसके चलते दूसरे देशों से वहां कोई सामान नहीं पहुंच सकता। सिवाय दवाओं या बहुत जरूरी चीजों के-वो भी संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में भेजा जाता है। फिर उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन हर दो तीन महीनों के बाद विदेशी और महंगी लग्जरी कारें बदलता रहता है। आखिर किस तरह उसके पास दुनियाभर से तमाम लग्जरी आइटम्स और शराब पहुंचती रहती है।
पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि कैसे ये काम होता है। ये रिपोर्ट इसलिए खास है, क्योंकि उसमें बताया गया है कि किस सीक्रेट रूट से बडे़ आराम से किम के पास मर्सिडीज़ और अन्य महंगी गाड़ियां पहुंचती रहती हैं।
किम के काफिले में होती हैं मर्सिडीज मेबैच गाड़ियां
किम को अक्सर अपने सुरक्षा गार्डों के काफिले के साथ मर्सिडीज़ मेबैच S600 पुलमैन गार्ड जैसी आलीशान गाड़ियों में देखा जाता है। ये राज़ बना हुआ था कि किम तक ये गाड़ियां पहुंच कैसे रही हैं। प्रतिबंधों के चलते मर्सिडीज़ बनाने वाली कंपनी डैमलर क्रिसलर साफ कहती रही है कि वह उत्तर कोरिया के साथ कोई कारोबार नहीं करती। डैमलर क्रिसलर ने ये भी कहा था कि जब तक अमेरिका और यूएन के प्रतिबंध जारी रहेंगे, कारोबार नहीं किया जाएगा।एक डार्क और सीक्रेट रूट से होता है ये सब
ऐसे में इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज़ यानी C4ADS के शोधकर्ताओं लूकस कुओ और जेसन आर्टरबर्न ने महीनों तक दस्तावेज़ और डेटा जुटाकर ये जानने की कोशिश की कि कोरियाई तानाशाह तक किस रूट से ये लग्ज़री गाड़ियां पहुंचती हैं। दोनों शोधकर्ताओं ने एक ताज़ा रिपोर्ट जारी करते हुए इस सीक्रेट और डार्क रूट का खुलासा किया है, जिसे दुनिया भर के मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। आप भी इस सीक्रेट रूट के ज़रिए किम की ताकत और रणनीति के बारे में जानें।नीदरलैंड्स से चलीं दो मर्सिडीज़C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक पांच लाख डॉलर यानी करीब 3 करोड़ 44 लाख रुपये प्रति कार कीमत वाली दो मर्सिडीज़ मेबाक S600 पुलमैन गार्ड लग्ज़री गाड़ियां 14 जून 2018 को नीदरलैंड्स के रॉटरडैम से जहाज़ में लोड की गई थीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जहाज़ के ज़रिये ये कारें उत्तरी चीन के डालियन पोर्ट पर पहुंचीं। ये भी गौरतलब है कि एनवायटी ने भी इस बारे में शोध किया कि आखिर ये गाड़ियां किम तक पहुंच किस रास्ते से रही हैं।फिर ये कारें यूं पहुंचीं रूस तक
डालियन में 31 जुलाई तक ये दो कारें पहुंच चुकी थीं और 26 अगस्त को चीन से ये कारें जापान के ओसाका पोर्ट के लिए चलीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो ओसाका से ये दो कारें दक्षिण कोरिया के बुसान पहुंचीं। अब डैमलर क्रिसलर कंपनी का कहना है कि कंपनी अपने एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखती है लेकिन खरीदार के पास कार पहुंचने के बाद वो उसका क्या करता है, कंपनी का इस पर कोई ज़ोर नहीं है। बहरहाल, दक्षिण कोरिया से ये दो कारें रूस के नैकहोदका पहुंचीं। जिस जहाज़ में पहुंचीं, वो मार्शल द्वीप में रजिस्टर्ड डू यंग शिपिंग कंपनी का था।यहां एक दिलचस्प बात हुई। बुसान से रूस के लिए निकलने के 18 दिन बाद ये जहाज़ ट्रैकर की रेंज से गायब हो गया था। एनवायटी का कहना है कि तस्करी या प्रतिबंधों से बचने के लिए ये तरीका अपनाया जाता है। जब ये जहाज़ दक्षिण कोरियाई समुद्री सीमा में दोबारा दिखा तो C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक ये जहाज़ नैकहोदका से कोयला ट्रांसपोर्ट कर रहा था।
उत्तर कोरिया कैसे पहुंचीं ये कारें?
इस सवाल पर आकर एनवायटी और C4ADS, दोनों के ही शोध जवाब दे देते हैं। अंदाज़ा ये है कि ये कारें रूस पहुंचीं और फिर वहां से उत्तर कोरिया पहुंचीं। लेकिन, एक थ्योरी ये भी है कि जिस समय के बीच दक्षिण कोरिया से चला जहाज़ ट्रैकर की रेंज से गायब हुआ था, संभव है कि डायरेक्ट उत्तर कोरिया तक उसी दौरान कारें डिलीवर की गई हों। लेकिन, इस समुद्री सफर का कोई रिकॉर्ड नहीं है इसलिए इसे सीक्रेट या 'डार्क वोयेज' का नाम दिया जा रहा है। अब कुछ और ज़रूरी बातें भी जानें।कंपनी करती है ग्राहक की पूरी पड़ताल
C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक मर्सिडीज़ निर्माता कंपनी डैमलर क्रिसलर का साफ कहना है कि वह ऐसी गाड़ियों के खरीदारों के बारे में पूरी हिस्ट्री जुटाकर ही सौदा करती है और देशों के प्रमुखों या प्रमुख लोगों को ही ये कारें बेची जाती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मर्सिडीज़ मेबाक S600 पुलमैन गार्ड लग्ज़री गाड़ियों में लैमिनेटेड शीशे होते हैं। पूरी कार बुलट प्रूफ होती है, इसमें राइफल्स और कुछ विस्फोटकों का भी इंतज़ाम होता है। कंपनी का कहना है कि ये कारें अपराधियों के हाथ न लगें इसलिए कंपनी खरीदार का बैकग्राउंड चेक करती है।कुछ खास किस्म के प्लेन भी पहुंचते हैं
एनवायटी की रिपोर्ट है कि इन मर्सिडीज़ कारों में किम जोंग के काफिले को इस साल जनवरी में देखा गया था। लेकिन, इससे पहले पिछले साल 7 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के एयर कोर्यो के कार्गो जेट रूस के नैकहोदका के पास उड़ान भरते हुए भी देखे गए थे। इन प्लेनों का इस्तेमाल करते हुए पहले किम जोंग को स्पॉट किया जा चुका था। तो ये राज़ गहरा है कि किम जोंग के पास आलीशान कारें और कुछ खास किस्म के प्लेन कहां से और कैसे पहुंच रहे हैं, लेकिन एक बड़े रूट का खुलासा हो चुका है।दूसरी ओर, ये भी एक सवाल है कि किम जोंग के पास जो कारें पहुंची, क्या वो वही दो कारें थीं जो नीदरलैंड्स के रॉटरडैम से ट्रांसपोर्ट हुई थीं या इतने बड़े और सीक्रेट रास्ते में किसी किस्म का कुछ फेरबदल हुआ। इस बारे में दोनों ही रिपोर्टों में शक ज़ाहिर करते हुए यकीन के साथ कुछ भी कहना नामुमकिन बताया गया है। लेकिन सच्चाई यही है कि किम जोंग के पास दुनियाभर से लग्जरी कारें और सामान पहुंचते रहते हैं। वो आऱाम से इनका इस्तेमाल करता है।
पिछले दिनों एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि कैसे ये काम होता है। ये रिपोर्ट इसलिए खास है, क्योंकि उसमें बताया गया है कि किस सीक्रेट रूट से बडे़ आराम से किम के पास मर्सिडीज़ और अन्य महंगी गाड़ियां पहुंचती रहती हैं।
किम के काफिले में होती हैं मर्सिडीज मेबैच गाड़ियां
किम को अक्सर अपने सुरक्षा गार्डों के काफिले के साथ मर्सिडीज़ मेबैच S600 पुलमैन गार्ड जैसी आलीशान गाड़ियों में देखा जाता है। ये राज़ बना हुआ था कि किम तक ये गाड़ियां पहुंच कैसे रही हैं। प्रतिबंधों के चलते मर्सिडीज़ बनाने वाली कंपनी डैमलर क्रिसलर साफ कहती रही है कि वह उत्तर कोरिया के साथ कोई कारोबार नहीं करती। डैमलर क्रिसलर ने ये भी कहा था कि जब तक अमेरिका और यूएन के प्रतिबंध जारी रहेंगे, कारोबार नहीं किया जाएगा।एक डार्क और सीक्रेट रूट से होता है ये सब
ऐसे में इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज़ यानी C4ADS के शोधकर्ताओं लूकस कुओ और जेसन आर्टरबर्न ने महीनों तक दस्तावेज़ और डेटा जुटाकर ये जानने की कोशिश की कि कोरियाई तानाशाह तक किस रूट से ये लग्ज़री गाड़ियां पहुंचती हैं। दोनों शोधकर्ताओं ने एक ताज़ा रिपोर्ट जारी करते हुए इस सीक्रेट और डार्क रूट का खुलासा किया है, जिसे दुनिया भर के मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। आप भी इस सीक्रेट रूट के ज़रिए किम की ताकत और रणनीति के बारे में जानें।नीदरलैंड्स से चलीं दो मर्सिडीज़C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक पांच लाख डॉलर यानी करीब 3 करोड़ 44 लाख रुपये प्रति कार कीमत वाली दो मर्सिडीज़ मेबाक S600 पुलमैन गार्ड लग्ज़री गाड़ियां 14 जून 2018 को नीदरलैंड्स के रॉटरडैम से जहाज़ में लोड की गई थीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जहाज़ के ज़रिये ये कारें उत्तरी चीन के डालियन पोर्ट पर पहुंचीं। ये भी गौरतलब है कि एनवायटी ने भी इस बारे में शोध किया कि आखिर ये गाड़ियां किम तक पहुंच किस रास्ते से रही हैं।फिर ये कारें यूं पहुंचीं रूस तक
डालियन में 31 जुलाई तक ये दो कारें पहुंच चुकी थीं और 26 अगस्त को चीन से ये कारें जापान के ओसाका पोर्ट के लिए चलीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की मानें तो ओसाका से ये दो कारें दक्षिण कोरिया के बुसान पहुंचीं। अब डैमलर क्रिसलर कंपनी का कहना है कि कंपनी अपने एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखती है लेकिन खरीदार के पास कार पहुंचने के बाद वो उसका क्या करता है, कंपनी का इस पर कोई ज़ोर नहीं है। बहरहाल, दक्षिण कोरिया से ये दो कारें रूस के नैकहोदका पहुंचीं। जिस जहाज़ में पहुंचीं, वो मार्शल द्वीप में रजिस्टर्ड डू यंग शिपिंग कंपनी का था।यहां एक दिलचस्प बात हुई। बुसान से रूस के लिए निकलने के 18 दिन बाद ये जहाज़ ट्रैकर की रेंज से गायब हो गया था। एनवायटी का कहना है कि तस्करी या प्रतिबंधों से बचने के लिए ये तरीका अपनाया जाता है। जब ये जहाज़ दक्षिण कोरियाई समुद्री सीमा में दोबारा दिखा तो C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक ये जहाज़ नैकहोदका से कोयला ट्रांसपोर्ट कर रहा था।
उत्तर कोरिया कैसे पहुंचीं ये कारें?
इस सवाल पर आकर एनवायटी और C4ADS, दोनों के ही शोध जवाब दे देते हैं। अंदाज़ा ये है कि ये कारें रूस पहुंचीं और फिर वहां से उत्तर कोरिया पहुंचीं। लेकिन, एक थ्योरी ये भी है कि जिस समय के बीच दक्षिण कोरिया से चला जहाज़ ट्रैकर की रेंज से गायब हुआ था, संभव है कि डायरेक्ट उत्तर कोरिया तक उसी दौरान कारें डिलीवर की गई हों। लेकिन, इस समुद्री सफर का कोई रिकॉर्ड नहीं है इसलिए इसे सीक्रेट या 'डार्क वोयेज' का नाम दिया जा रहा है। अब कुछ और ज़रूरी बातें भी जानें।कंपनी करती है ग्राहक की पूरी पड़ताल
C4ADS की रिपोर्ट के मुताबिक मर्सिडीज़ निर्माता कंपनी डैमलर क्रिसलर का साफ कहना है कि वह ऐसी गाड़ियों के खरीदारों के बारे में पूरी हिस्ट्री जुटाकर ही सौदा करती है और देशों के प्रमुखों या प्रमुख लोगों को ही ये कारें बेची जाती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मर्सिडीज़ मेबाक S600 पुलमैन गार्ड लग्ज़री गाड़ियों में लैमिनेटेड शीशे होते हैं। पूरी कार बुलट प्रूफ होती है, इसमें राइफल्स और कुछ विस्फोटकों का भी इंतज़ाम होता है। कंपनी का कहना है कि ये कारें अपराधियों के हाथ न लगें इसलिए कंपनी खरीदार का बैकग्राउंड चेक करती है।कुछ खास किस्म के प्लेन भी पहुंचते हैं
एनवायटी की रिपोर्ट है कि इन मर्सिडीज़ कारों में किम जोंग के काफिले को इस साल जनवरी में देखा गया था। लेकिन, इससे पहले पिछले साल 7 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के एयर कोर्यो के कार्गो जेट रूस के नैकहोदका के पास उड़ान भरते हुए भी देखे गए थे। इन प्लेनों का इस्तेमाल करते हुए पहले किम जोंग को स्पॉट किया जा चुका था। तो ये राज़ गहरा है कि किम जोंग के पास आलीशान कारें और कुछ खास किस्म के प्लेन कहां से और कैसे पहुंच रहे हैं, लेकिन एक बड़े रूट का खुलासा हो चुका है।दूसरी ओर, ये भी एक सवाल है कि किम जोंग के पास जो कारें पहुंची, क्या वो वही दो कारें थीं जो नीदरलैंड्स के रॉटरडैम से ट्रांसपोर्ट हुई थीं या इतने बड़े और सीक्रेट रास्ते में किसी किस्म का कुछ फेरबदल हुआ। इस बारे में दोनों ही रिपोर्टों में शक ज़ाहिर करते हुए यकीन के साथ कुछ भी कहना नामुमकिन बताया गया है। लेकिन सच्चाई यही है कि किम जोंग के पास दुनियाभर से लग्जरी कारें और सामान पहुंचते रहते हैं। वो आऱाम से इनका इस्तेमाल करता है।