देश / जानिए कितनी थीं कुंभकर्ण की पत्नियां और उनसे थी कितनी संतानें

News18 : Apr 14, 2020, 03:46 PM
दिल्ली:  दूरदर्शन पर फिर करीब तीन दशक बाद फिर से दिखाए जा रहे रामायण टीवी सीरियल को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इसमें फिलहाल राम-रावण की सेनाओं के बीच युद्ध चल रहा है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा कुंभकर्ण की है। जिस तरह से उसने अपने बड़े भाई रावण को खरी-खरी सुनाई देते हुए कहा कि उसने गलत काम किया है लेकिन इसके बाद भी युद्ध में भाई का साथ भी दिया। कुंभकर्ण का व्यक्तित्व को लेकर लोगों में जिज्ञासा है। हम यहां उसकी पत्नियों और बच्चों के बारे में बताने जा रहे हैं।

कुंभकर्ण रावण का छोटा भाई तथा ऋषि विश्रवा का पुत्र था। देश की प्रामाणिक आनलाइन एनसाइक्लोपीडिया भारत कोश के अनुसार कुंभकर्ण की ऊंचाई छह सौ धनुष (धनुष की लंबाई एक मीटर से डेढ़ मीटर होती थी) तथा मोटाई सौ धनुष थी। उसके नेत्र गाड़ी के पहिये के बराबर थे।

भारत कोश के अनुसार, उसका विवाह वेरोचन की बेटी 'व्रज्रज्वाला' से हुआ था। इसके अलावा करकटी भी उसकी पत्नी थी। इन दोनों से उसे तीन बच्चे थे। इसमें सबसे ज्यादा चर्चित भीमासुर था, जिसका जन्म करकटी से हुआ था।

करकटी राक्षसी और सैयाद्री की राजकुमारी थी, जिस पर मुग्ध होकर कुंभकर्ण से उससे शादी कर ली थी, जिससे भीमासुर का जन्म हुआ था। हालांकि भारत कोश का ये भी कहना है कि कुंभकर्ण का एक तीसरा विवाह भी हुआ था। ये विवाह कुंभपुर के महोदर नामक राजा की कन्या तडित्माला से हुआ था।


पहली पत्नी और बेटे कुंभ व निकुंभ

पौराणिक ग्रंथों और अन्य किताबों के अनुसार कुंभकर्ण को वज्रज्वाला से दो बेटे थे। उनके नाम कुंभ और निकुंभ थे। दोनों राक्षस थे। उनका जिक्र भी कई बार पुराणों, किताबों और रामायण से जुड़ी किताबों में होता है। निकुंभ के बारे में कहा जाता है कि वो भी काफी शक्तिशाली था। उसे कुबेर ने निगरानी का खास दायित्व सौंप रखा था।


भीमासुर भी बहुत शक्तिशाली था

करकेटी से पैदा हुए बेटे भीमासुर के बारे में कहा जाता है कि कुंभकर्ण के मरने के बाद करकेटी उसे लेकर चली गई ताकि उसे देवताओं से दूर रखा जा सके। बाद में बड़ा होने पर जब उसे अपने पिता के मौत के बारे में मालूम हुआ तो उसने देवताओं से बदला लेने का फैसला किया। हालांकि बाद में भगवान शिव से उसका मुकाबला हुआ और शिव ने उसे भस्म कर दिया। वो जहां भस्म हुआ, वहीं शंकर भगवान का प्रसिद्ध मंदिर भीमाशंकर है।


जब एक दिन के लिए जगता था कुंभकर्ण तो क्या करता था

प्राचीन किताबें और पौराणिक ग्रंथ कहते हैं कि कुंभकर्ण जन्म से ही अत्यधिक बलवान था। उसे बहुत भूख लगती थी। जिस कारण जो भी सामने आता था, वो उसका खा लेता था। वह मनुष्यों और पशुओं को खा जाता था। बचपन से ही इसके अंदर बहुत बल था, इतना कि एक बार में यह जितना भोजन करता था उतना कई नगरों के प्राणी मिलकर भी नहीं कर सकते थे।

उससे डरकर प्रजा इन्द्र की शरण में गयी कि यदि यही स्थिति रही तो पृथ्वी ख़ाली हो जायेगी। इन्द्र से कुंभकर्ण का युद्ध हुआ, जिससे इंद्र उसके संबंध हमेशा के लिए खराब हो गए।


कैसे एक वरदान से वह छह महीने सोने लगा

कुंभकर्ण ने घोर तपस्या से ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया। जब वर देने की बारी आई तो मान्यता है कि सरस्वती उसकी जबान पर बैठ गईं, जिससे उसने इंद्रासान की बजाए निद्रासन मांग लिया। लेकिन बड़े भाई रावण के कहने पर ब्रह्मा ने कहा कि कुंभकर्ण छह माह सोता रहेगा। इसके बाद केवल एक दिन के लिए उठेगा।


कैसे वह इतना विद्वान था

कुंभकर्ण के पिता ऋषि विश्रवा विद्वान थे। उन्होंने कुंभकर्ण को शिक्षा दी थी। इसलिए उसे तमाम वेदों और धर्म-अधर्म की जानकारी थी। वह भूत और भविष्य का ज्ञाता था। उसके बारे में ये भी कहा जाता है कि वो अच्छे चरित्र और स्वाभाव का राक्षस था, जिसके बारे में ये भी माना जाता था कि वो महान लड़ाका था, उसे कोई नहीं हरा पाता था। हालांकि जब वो भगवान राम से युद्ध करने पहुंचा तो वहां उसने बड़े पैमान पर सैनिक वानरों को मार दिया। बाद में श्रीराम के बाणों से उसकी मृत्यु हुई। ये कहा जाता है कि एक दिन के लिए जब वो जगता था तो वो तमाम रिसर्च के काम भी करता था।

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