देश / SSC, बैंकिंग और रेलवे के लिए नहीं देनी होगी अलग-अलग परीक्षा, एक ही टेस्ट से पाएं सिलेक्शन

Zee News : Aug 19, 2020, 05:38 PM
नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे युवाओं के लिए केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। सरकार ने 'राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी' को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत अब युवाओं को केंद्र की सरकारकी नौकरियों के लिए अलग-अलग परीक्षा नहीं देनी होगी बल्कि इसके लिए सामान्य योग्यता परीक्षा ली जाएगी। जिससे देश के करोड़ों युवाओं को फायदा मिलेगा। केंद्रीय मंत्री  प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने बुधवार को कहा कि आज कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। आइए जानते हैं सरकार के इस फैसले के क्या मायने हैं और किन्हें इसका फायदा मिलेग। 

क्या है सरकार का फैसला

दरअसल, पहले सरकारी नौकरी के लिए युवाओं को कई परीक्षाएं देनी पड़ती थीं, इसे समाप्त करने के लिए सरकार राष्ट्रीय भर्ती संस्था की स्थापना करेगी। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय भर्ती संस्था कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) लेगी जिसका करोड़ों युवाओं को फायदा मिलेगा। 

इस फैसले के बाद रेलवे, बैंकिंग और SSC की प्राथमिक परीक्षा के लिए अलग-अलग परीक्षा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन तीनों के लिए एक एजेंसी बनाई जाएगी। एक ही आवेदन, एक ही शुल्क, एक ही परीक्षा होगी। इस परीक्षा का स्कोर तीन साल के लिए मान्य होगा। अभी तक केवल दो भाषाओं में ही परीक्षा देने की इजाजत थी, लेकिन इसके जरिए परीक्षार्थी 12 भाषाओं में परीक्षा दे सकता है।

तीन संस्थाओं के लिए होगा कॉमन टेस्ट

फिलहाल नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी केवल तीन संस्थाओं (रेलवे, बैंकिंग और SSC) के लिए परीक्षा लेगी, लेकिन भविष्य में सभी केंद्रीय संस्थाओं की परीक्षा यही एजेंसी लेगी। इन तीन संस्थाओं में लगभग ढाई करोड़ विद्यार्थी भाग लेते हैं। सरकार के सचिव सी। चंद्रमौली ने बताया कि केंद्रीय सरकार में लगभग 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां ​​हैं। अभी हम केवल तीन एजेंसियों की परीक्षा कॉमन कर रहे हैं, समय के साथ हम सभी भर्ती एजेंसियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट करेंगे। 

युवाओं के लिए वरदान

वर्तमान में, सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को पात्रता की समान शर्तें निर्धारित किए गए विभिन्नपदों के लिए अलग-अलग भर्ती एजेंसियों द्वारा संचालित अलग-अलग परीक्षाओं में सम्मिलित होना पड़ता है। उन्होंन अलग-अलग परीक्षा शुल्क भी देना पड़ता है। इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां तय करनी पड़ती हैं। अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं केवल उम्मीदवारों ही नहीं बल्कि संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ होती हैं। इन परीक्षाओं में औसतन, अलग से 2।5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं। 'राष्ट्रीय भर्ती नीति' लागू होने के बाद ये उम्मीदवार एक सामान्य योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे। 

गरीब उम्मीदवारों को बड़ी राहत

वर्तमान में उम्मीदवारों को बहु-एजेंसियों द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेना होता है। परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त उम्मीदवारों को यात्रा, रहने-ठहरने और अन्य पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है। ऐसे में एकल परीक्षा से उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ काफी हद तक कम होगा। 

महिला उम्मीदवारों को और अधिक लाभ

महिला उम्मीदवारों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिला उम्मीदवारों, को अलग-अलग परीक्षाओं में शामिल होने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें बहुत दूर वाले स्थानों में परिवहन और रुकने की व्यवस्था करनी होती है। इसके अलावा कई बार उन्हें दूरस्थ स्थानों पर स्थित परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए अपने साथ किसी को ले जाना पड़ता है। इसे देखते हुए सरकार ने प्रत्येक जिले में परीक्षा केंद्र बनाने की तैयारी की है जिससे महिला उम्मीदवारों की बड़ी राहत मिलेगी। 

3 वर्षों के लिए वैध होगा स्कोर

उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में प्राप्त स्कोर परिणाम घोषित होने की तिथि से 3 वर्षों के लिए वैध होंगे। वैध उपलब्ध अंकों में से सबसे उच्चतम स्कोर को उम्मीदवार का वर्तमान अंक माना जाएगा। उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में भाग लेने के लिए अवसरों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी। 

मानक परीक्षाएं

राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी द्वारा गैर-तकनीकी पदों के लिए स्नातक, उच्च माध्यमिक (12वीं पास) और मैट्रिक (10 वीं पास) वाले उम्मीदवारों के लिए अलग से सीईटी का संचालन किया जाएगा। जिसके लिए वर्तमान में कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे भर्ती बोर्ड और बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान द्वारा भर्ती की जाती है। सीईटी के अंक स्तर पर की गई स्क्रीनिंग के आधार पर, भर्ती के लिए अंतिम चयन के लिए अलग से विशेष परीक्षा ली जाएगी। जिसे संबंधित भर्ती एजेंसी द्वारा संचालित किया जाएगा। इन परीक्षाओं का पाठ्यक्रम सामान्य होने के साथ-साथ मानक भी होगा। यह उन उम्मीदवारों के बोझ को कम करेगा, जो वर्तमान में प्रत्येक परीक्षा के लिए अलग-अलग सिलेबस के अनुसार अलग-अलग तैयारियां करते हैं।

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