जयपुर / बरसी के मौके पर जानें क्या है 32 साल से चल रहा दिवराला सती प्रकरण, 11 सितम्बर को आएगा फैसला

Zoom News : Sep 04, 2019, 11:37 AM
दिवराला की सती रूप कंवर का प्रकरण 32 साल से फैसले का इंतजार कर रहा है। अपनी बरसी 4 सितम्बर से एक दिन पहले फैसला आना था, लेकिन एक बार फिर से मामला तकनीकी कारणों से टल गया है। अब बताया जा रहा है कि 11 सितम्बर को मामले में न्यायालय अपना फैसला सुना देगा। इसी बहाने हम जानते हैं कि वह मामला क्या था, जिसने इतना तूल पकड़ा कि प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भारी भूचाल ला दिया। मामले में आरोपी एक पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और वर्तमान मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी थे, लेकिन वे बरी हो गए। सती के महिमामंडन के आरोपों में कुछ लोग अभी भी हैं और अदालत इस मामले में फैसला सुनाने वाली है।
32 साल पहले हुए रूपकंवर सती मामले में तकनीकी कारणों से जयपुर के सती निवारण विशिष्ठ न्यायालय द्वारा दिया जाने वाला फैसला टल गया है। अभियोजन पक्ष की ओर से अपने पक्ष में कुछ और बिंदुओं पर बहस करने के प्रार्थना पत्र पेश किये जाने पर अदालत में आज फिर से बहस हुई। अब तक इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष की और से बहस करीब पूर्ण हो चुकी थी लेकिन कुछ बिंदुओं पर बहस के प्रार्थना पत्र पर अब इस केस के फैसले में कुछ वक्त और लग सकता है। जयपुर के सती निवारण कोर्ट में इस मामले की 32 साल तक सुनवाई हुई, जिसमें अब तक 11 आरोपी बरी हो चुके हैं। 

राजस्थान के चप्पे चप्पे में दिवराला की सती रूपकंवर का प्रकरण अपने—अपने हिसाब से लोग सुनाते हैं। पुलिस की जांच कहती है उस रोज आग में एक मासूम लड़की को जबरदस्ती ठेला गया। दहशत के मारे विक्षिप्तावस्था में थी। परन्तु वहां मौजूद सैकड़ों लोगों में से एक भी ऐसा नहीं था जो उस कृत्य पर सवाल उठाता। 

राजस्थान के सीकर जिले का यह गांव दिवराला जहां के माल सिंह का विवाह रूप कंवर के साथ हुआ था। सात माह वैवाहिक जीवन के बाद माल सिंह का स्वास्थ्य बिगड़ा और वह सीकर में भर्ती हुआ। 4 सितम्बर 1987 में माल सिंह की तबीयत और बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। गांव में अफवाह फैली रूप कंवर सती होना चाहती हैं। पुरानी प्रथा के अनुसार गांव के कुछ लोगों ने परीक्षा की और अनुमति दे दी। जब रूप कंवर सती हुई तो वहां के लोग यह दावा करते हैं कि आग अपने आप पकड़ी थी। परन्तु आरोप है कि रूप कंवर को जबरन जलाया गया और वहां मौजूद लोगों ने उसमें प्रत्यक्ष—अप्रत्यक्ष सहयोग भी किया। 
पुलिस पहुंची, उसके अनुसार गांव वालों ने जो किया वो भारी जुर्म था। सती प्रथा गैर-कानूनी थी और आईपीसी की धारा 306 का केस लगता था। बाद में गांव वालों पर केस हुआ। जब केस रजिस्टर हुए, मुख्य मुजरिम रूप कंवर के ससुर सुमेर को बनाया गया था। बगल के ढोई पुलिस स्टेशन से एक हेड कॉन्स्टेबल आया मौके पर एक घंटे बाद। उसने खुद FIR लिखी लेकिन एक भी गवाह वहां मौजूद नहीं था। बाद में 39 लोगों के खिलाफ मुकदमा हुआ। पहली गिरफ्तारी 9 सितंबर को हुई पुष्पेंद्र सिंह की। स्टेट गवर्नमेंट की भूमिका बचाव की मुद्रा में रही। मामले के 12 दिन बाद वहां मंदिर बनाया गया और सती माता का महिमामंडन हुआ। उसमें रूप कंवर के पिता बलसिंह भी थे। उस दिन हुए चुनरी महोत्सव में लाखों लोग देशभर से एकत्र हुए। उस जमाने में संचार के माध्यम आज जितने प्रभावी नहीं थे, लेकिन फिर भी मामला पूरे देश में छा गया। जयपुर में इस चुनरी महोत्सव के खिलाफ महिलाओं ने आन्दोलन किया। 
क्या है सती प्रथा
सती, (संस्कृत शब्द 'सत्' का स्त्रीलिंग) कुछ पुरातन भारतीय हिन्दू समुदायों में प्रचलित एक ऐसी प्रथा थी, जिसमें किसी पुरुष की मृत्योपरांत उसकी पत्नी उसके अंतिम संस्कार के दौरान उसकी चिता में स्वयमेव प्रविष्ट होकर आत्मत्याग कर लेती थी। 1829 में अंग्रेजों द्वारा भारत में इसे गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद से यह प्रथा प्राय: समाप्त हो गई थी। राजस्थान में रूप कंवर मामले के बाद ही सती निवारण कानून बनाया गया और सती मामलों के शीघ्र निपटान के लिए विशेष न्यायालय का गठन किया गया। इस मामले में आठ आरोपी श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह, निहाल सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह और दशरथ को लेकर राजस्थान सरकार और आरोपियों के वकील के बीच बहस पूरी हो गई। अब बस इंतजार है तो फैसले का।
सती प्रथा का अन्त
ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया। जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था। अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया। इस प्रकार भारत से सती प्रथा का अन्त हो गया।
हैदरबाद के छठे निज़ाम- महबूब अली खान ने स्वयं 12 नवंबर,1876 को एक चेतावनी घोषणा जारी किया और कहा, अब यह सूचित किया गया है कि यदि भविष्य में कोई भी इस दिशा में कोई कार्रवाई करता है, तो उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। अगर तलुकादार, नवाब, जगदीड़, ज़मीनदार और अन्य इस मामले में लापरवाही और लापरवाही पाए जाते हैं, सरकार द्वारा उनके खिलाफ गंभीर कार्रवाई की जाएगी।

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