AMAR UJALA : Oct 02, 2019, 07:27 AM
Birthday special | 2 अक्टूबर 2019 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 116वीं जयंती है। सादगी भरी जीवन जीने वाले शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को जन्मे शास्त्री जी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। एक गरीब परिवार से निकलकर और सबसे बड़े लोकतंत्र का कुशल नेतृत्व कर शास्त्री जी ने दुनिया को इतना तो जता दिया कि अगर इंसान के अंदर आत्मविश्वास हो तो वो कोई भी मंजिल पा सकता है।
लाल बहादुर शास्त्री जी अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में पूरे देश से हफ्ते में एक दिन व्रत रखने की अपील की थी। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद पूरे देशवासियों के अंदर एक ही सवाल था कि अब अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? नेहरू जी के निधन के दो हफ्ते के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लालबहादुर शास्त्री ने देश को कई संकटों से उबारा।साल 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध लग गया था। उस समय देश की बागडोर लाल बहादुर शास्त्री के हाथों में थी। युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना तनख्वाह लेना बंद कर दिया। उन्होंने अपने घर पर काम करने आने वाली बाई को भी काम पर आने से मना कर दिया और घर का सारा काम खुद से करने लगें।देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी थी। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील किया कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। यही नहीं उन्होंने देशवासियों के सामने मिसाल पेश करते हुए कहा कि उनके परिवार में, "कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा।" उनकी इस घोषणा का ऐसा असर हुआ कि उसके बाद कुछ दिनों तक अधिकतर रेस्तरां और होटलों तक में भी इसका पालन हुआ।
लाल बहादुर शास्त्री जी अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में पूरे देश से हफ्ते में एक दिन व्रत रखने की अपील की थी। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह...स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद पूरे देशवासियों के अंदर एक ही सवाल था कि अब अगला प्रधानमंत्री कौन होगा? नेहरू जी के निधन के दो हफ्ते के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लालबहादुर शास्त्री ने देश को कई संकटों से उबारा।साल 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध लग गया था। उस समय देश की बागडोर लाल बहादुर शास्त्री के हाथों में थी। युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना तनख्वाह लेना बंद कर दिया। उन्होंने अपने घर पर काम करने आने वाली बाई को भी काम पर आने से मना कर दिया और घर का सारा काम खुद से करने लगें।देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था। अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी थी। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील किया कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें। यही नहीं उन्होंने देशवासियों के सामने मिसाल पेश करते हुए कहा कि उनके परिवार में, "कल से एक हफ्ते तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा।" उनकी इस घोषणा का ऐसा असर हुआ कि उसके बाद कुछ दिनों तक अधिकतर रेस्तरां और होटलों तक में भी इसका पालन हुआ।