सरकार का दावा / लॉकडाउन नहीं होता तो देश में अब तक होते COVID-19 के 70 लाख केस

Zee News : May 22, 2020, 10:55 PM
नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुक्रवार को केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि यदि देश में लॉकडाउन नहीं होता तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते। सांख्यकीय और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की तरफ से प्रवीण श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन (Lockdown) के असर का अनुमान अलग-अलग संस्थाएं लगा रही हैं।

सांख्यकी विभाग के मुताबिक लॉकडाउन नहीं होता तो देश में आज कोरोना के संक्रमण (coronavirus) मामले 36 से 70 लाख तक हो सकते थे। लॉकडाउन के चलते 50 हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचाई गई। कोविड के 23 लाख मामले टाले गए हैं। कुलमिलाकर अनुमान पर देखा गया कि लॉकडाउन की वजह से 14-29 लाख कोविड केस और 37-78 हजार लोगों का जीवन बचाया गया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के मुताबिक देश में रिकवरी रेट बढ़ रहा है। यह लगभग 41% हो गया है। जहां केस ज्यादा आए हैं, वहां सरकार का फोकस है। अभी तक जो देश में 48,534 मरीज कोविड से स्वस्थ्य हुए हैं। 66,330 मरीजों का इलाज चल रहा है।  पिछले 24 घंटों में 3,334 मरीज ठीक हुए हैं। मृत्यु दर 3।02% है। ICMR की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि हर दिन देश में सैंपल टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जा रही है और अभी तक 27 लाख 55 हजार 714 टेस्ट हुए। आज चौथा दिन रहा जब 1 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए। 

30 लाख पीपीई किट राज्यों को दी गईं

नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का ब्योरा देते हुए कहा है कि देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं। डॉ पॉल के मुताबिक 30 लाख पीपीई किट राज्यों को दिए जा चुके हैं। कोविड के केस में वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ती। हम पहले सोचते थे कि वेंटिलेटर की ज्यादा जरूरत होती है।  

देश में 80 फीसदी कोरोना के केस 5 राज्यों में

डॉ। पॉल ने कहा कि देश में 80 फीसदी कोरोना के केस 5 राज्यों में हैं। 90 फीसदी तक केस 10 राज्यों में। 60% केस 5 शहर में, 70% केस 10 शहर में, 80% मौत 5 राज्यों में हैं। उन्होंने कहा, "हमें बहुत सतर्क रहना पड़ेगा। अभी सोशल डिस्टेंसिंग में ढील नहीं दे सकते। देश में कोरोना को तेजी से फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन स्पेशल प्रयास था। जिन्होंने लॉकडाउन नहीं किया वो मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन बहुत दिनों तक चल भी नहीं सकता। जिंदगी भी चलानी है।" 

डॉ। पॉल ने बताया कि देश मे अभी तक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 1 करोड़ लोगों का उपचार हो चुका है। उन्होंने कहा, "भारत ने सोच-समझकर लॉकडाउन का फैसला लिया। कई देशों ने फैसला लिया, लेकिन कईयों ने देर कर दी। हमारे देश ने समय पर फैसला लिया। 3 अप्रैल तक केस आने की स्पीड तेज थी। 4 अप्रैल के आसपास लॉकडाउन की वजह से स्पीड कम हुई। केसेस बढ़ रहे हैं, अभी भी लेकिन अगर वही स्पीड होती तो नंबर बहुत ज्यादा होता। आज 13।3 पर डबलिंग रेट है। 12 से 14 दिन असर आने में लगते हैं। पॉल ने कहा कि अब हमारा फोकस ग्रामीण क्षेत्र पर है। वहां वायरस बढ़ने से रोकना है। 

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