Power Crisis / कोयले पर हाहाकार, अंधेरे में डूबने का डर, समझिए संकट कितना बड़ा है

Zoom News : Oct 09, 2021, 09:41 PM
Power Crisis | देश बिजली के बड़े संकट की चपेट में जाता दिख रहा है। राज्यों ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है तो पावर सप्लाई करने वाली कंपनियां भी ग्राहकों से सोच समझकर बिजली खर्च करने को कह रही हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर ये स्थिति क्यों बन गई। इसका देश की इकोनॉमी और आप पर क्या-क्या असर पड़ सकता है। आइए सिलसिलेवार समझते हैं। 

क्यों है बिजली संकट: हमारे देश में करीब 72 फीसदी बिजली की मांग कोयले के जरिए पूरी की जाती है। कोयले से बिजली उत्पादन के बाद कंपनियां इंडस्ट्री से लेकर आम लोगों तक को सप्लाई करती हैं। इसके एवज में कंपनियां अपने ग्राहकों से यूनिट के हिसाब से बिजली बिल लेती हैं। 

असल वजह क्या है: देश में कोयले की कमी आ गई है। इस कमी की वजह खपत का बढ़ जाना है। अगस्त 2021 से बिजली की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है। अगस्त 2021 में बिजली की खपत 124 बिलियन यूनिट (बीयू) थी जबकि अगस्त 2019 में (कोविड अवधि से पहले) खपत 106 बीयू थी। यह लगभग 18-20 प्रतिशत की वृद्धि है।  

खतप क्यों बढ़ी है: खपत बढ़ने की कई वजह है। सबसे पहली वजह अनलॉक की प्रक्रिया है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब देश की इंडस्ट्रियां लगभग पूरी तरह से काम कर रही हैं। इनका विस्तारिकरण हो रहा है। इसके अलावा सरकार का दावा है कि  'सौभाग्य' कार्यक्रम के तहत 28 मिलियन से अधिक घरों को बिजली से जोड़ा गया था और ये सभी नए उपभोक्ता पंखे, कूलर, टीवी आदि जैसे उपकरण खरीद रहे हैं। इस वजह से भी बिजली की खपत बढ़ी है। गर्मी की वजह से खपत को बूस्ट मिला है।

अचानक संकट क्यों आया: ये संकट अचानक नहीं है। पिछले कई महीनों से हालात ठीक नहीं है। दरअसल, भारत में कोयले की स्टोरेज सीमित अवधि के लिए है। बिजली संयंत्रों में कोयले का औसत स्टॉक 3 अक्टूबर 2021 को लगभग चार दिनों के लिए था। हालांकि, यह एक रोलिंग स्टॉक है, कोयला खदानों से थर्मल पावर प्लांट तक हर दिन रेक के माध्यम से कोयला भेजा जाता है। 

एक तथ्य ये भी है कि अगस्त और सितंबर 2021 के महीनों में कोयले वाले क्षेत्रों में लगातार बारिश हुई थी जिससे इस अवधि में कोयला खदानों से कम कोयला बाहर गया। आपको बता दें कि भारत दुनिया में कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार है। हालांकि, खपत के मामले में भी हम कुछ कम नहीं हैं। यही वजह है कि भारत कोयला आयात करने में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। यही वजह है कि सरकार कोयले के आयात में भी कमी लाने पर जोर दे रही है। हालांकि, इसके बावजूद कोयले का आयात बढ़ता ही जा रहा है। 

उपाय क्या है: इसका तात्कालिक उपाय कोयले के आयात और बिजली खपत में कमी का है। इसके अलावा देश में कोयले के उत्पादन को बढ़ाना होगा। वहीं, वैकल्पिक एनर्जी की ओर भी तेजी से रुख करना होगा। हालांकि, ये सबकुछ इतना आसान नहीं है।

अभी के संकट का आप पर असर: बहरहाल, इस संकट का पावर सप्लाई करने वाली कंपनियां महंगे दाम पर कोयले की खरीदारी करेंगी तो वसूली का जोखिम उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। मतलब ये कि बिजली के दाम महंगे हो सकते हैं। ये हो सकता है कि आपको प्रति यूनिट बिजली इस्तेमाल करने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े। 

इकोनॉमी पर क्या असर होगा: त्योहारी सीजन के दौर में बिजली का संकट देश की इकोनॉमी के लिए बुरी खबर है। कोरोना के झटके से उबर रही इकोनॉमी में सुस्ती आ सकती है। दरअसल, बिजली संकट की वजह से इंडस्ट्री में प्रोडक्शन, सप्लाई, डिलीवरी समेत वो सबकुछ प्रभावित होगा जो इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज होती हैं। इसका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर महंगाई से जोड़कर देखा जा सकता है।

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