Live Hindustan : Aug 09, 2020, 07:38 AM
Ladakh: पूर्वी लद्दाख में एलएसी के निकट गतिरोध दूर करने के लगातार प्रयास जारी हैं। इसी सिलसिले में शनिवार को दोनों देशों के सेनाओं के बीच दौलतबेग ओल्डी में मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई जिसमें टकराव टालने के उपायों पर चर्चा हुई। सेना की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों ने सकारात्मक प्रगति होने का दावा किया है।
डेपसांग क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव की मुख्य वजह चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना की गश्त में बाधा डालना है। यह स्थिति वहां गलवान घाटी में तनाव पैदा होने के बाद उत्पन्न हुई थी। चीनी सेना को करारा जवान देते हुए भारतीय सेना ने भी चीनी सैनिकों की गश्त को रोकना शुरू किया था। इसके बाद दोनों तरफ से टकराव बढ़ने लगा और दोनों तरफ सेना का जमावड़ा भी होने लगा। हालांकि, दोनों पक्ष अपने-अपने क्षेत्र में ही रहे। इधर, दोनों पक्ष थोड़ा पीछे भी हटे हैं। सूत्रों के अनुसार सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक शाम साढ़े सात बजे खत्म हुई। इस बैठक में मूलत एक दूसरे की गश्त में बाधा नहीं डालने और पूर्व की भांति उसे जारी रखने तथा अपने-अपने दावे वाले क्षेत्रों की पहचान करने के मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक सिर्फ डेपसांग में उत्पन्न स्थिति पर ही केंद्रीत थी।सरकारी सूत्र इसलिए भी इस बैठक को महत्वपूर्ण मान रहे हैं क्योंकि सैन्य कमांडरों की पिछली बैठकों में यह तय हुआ था कि तनाव वाले हर क्षेत्र में कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच नियमित बैठकें हों और विवाद का समाधान खोजा जाए। इस कड़ी में पहली बार डेपसांग में यह बैठक हुई है। समझा जाता है कि अन्य तनाव वाले क्षेत्रों को लेकर भी अलग से इस प्रकार की बैठकें हो सकती हैं।
डेपसांग क्षेत्र में दोनों देशों के बीच टकराव की मुख्य वजह चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना की गश्त में बाधा डालना है। यह स्थिति वहां गलवान घाटी में तनाव पैदा होने के बाद उत्पन्न हुई थी। चीनी सेना को करारा जवान देते हुए भारतीय सेना ने भी चीनी सैनिकों की गश्त को रोकना शुरू किया था। इसके बाद दोनों तरफ से टकराव बढ़ने लगा और दोनों तरफ सेना का जमावड़ा भी होने लगा। हालांकि, दोनों पक्ष अपने-अपने क्षेत्र में ही रहे। इधर, दोनों पक्ष थोड़ा पीछे भी हटे हैं। सूत्रों के अनुसार सुबह 11 बजे शुरू हुई बैठक शाम साढ़े सात बजे खत्म हुई। इस बैठक में मूलत एक दूसरे की गश्त में बाधा नहीं डालने और पूर्व की भांति उसे जारी रखने तथा अपने-अपने दावे वाले क्षेत्रों की पहचान करने के मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक सिर्फ डेपसांग में उत्पन्न स्थिति पर ही केंद्रीत थी।सरकारी सूत्र इसलिए भी इस बैठक को महत्वपूर्ण मान रहे हैं क्योंकि सैन्य कमांडरों की पिछली बैठकों में यह तय हुआ था कि तनाव वाले हर क्षेत्र में कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच नियमित बैठकें हों और विवाद का समाधान खोजा जाए। इस कड़ी में पहली बार डेपसांग में यह बैठक हुई है। समझा जाता है कि अन्य तनाव वाले क्षेत्रों को लेकर भी अलग से इस प्रकार की बैठकें हो सकती हैं।