Share Market News / बाजार धड़ाम, निवेशक लहूलुहान! अब क्या लौटेगी तेजी या और गिरेगा मार्केट?

सितंबर में भारतीय शेयर बाजार ने उछाल देखा, लेकिन निफ्टी 50 अब 13% गिर चुका है। ट्रम्प की टैरिफ नीतियां, मैक्रोइकॉनॉमिक अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, छोटे निवेशकों की घबराहट और रुपये की कमजोरी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। विशेषज्ञ रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन बुल रन की संभावना कम है।

Share Market News: सितंबर में जब भारतीय शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचा, तब विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की थी कि निफ्टी 50 जल्द ही 28,000 अंक छू सकता है। लेकिन वास्तविकता अलग रही। अब निफ्टी 50 अपने उच्चतम स्तर से 13% गिर चुका है। निवेशक चिंतित हैं और बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है। आइए जानते हैं वे प्रमुख कारक जो इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं।

1. वैश्विक व्यापार तनाव

अमेरिका की व्यापार नीतियों और टैरिफ विवादों ने वैश्विक बाजारों को हिला कर रख दिया है। अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों ने विदेशी निवेशकों की धारणा को कमजोर किया है, जिससे भारतीय बाजार पर भी असर पड़ा है।

2. आर्थिक सुस्ती और कमजोर विकास दर

भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि देखी जा रही है। कमजोर औद्योगिक उत्पादन, घटता उपभोक्ता खर्च, और धीमी निवेश गति ने बाजार की संभावनाओं को सीमित कर दिया है। आगामी वित्त वर्ष में विकास दर 6.4% रहने की उम्मीद है, जो निवेशकों को सतर्क बना रही है।

3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली

पिछले कुछ महीनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयरों में भारी बिकवाली की है। बढ़ती अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर की मजबूती के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है।

4. खुदरा निवेशकों की घबराहट

मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में गिरावट के कारण खुदरा निवेशकों में घबराहट बढ़ी है। अगर घरेलू निवेशकों का समर्थन कमजोर पड़ता है और वे भी बिकवाली करने लगते हैं, तो बाजार और नीचे जा सकता है।

5. रुपये की कमजोरी

रुपये की गिरती कीमत भी चिंता का कारण बनी हुई है। कमजोर रुपया विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकता है और इससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना रह सकता है।

क्या रिकवरी संभव है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि बाजार ओवरसोल्ड ज़ोन में पहुंच गया है, जिससे निकट भविष्य में कुछ रिकवरी संभव है। हालांकि, एक नया बुल रन जल्द शुरू होने की संभावना कम है। निवेशकों को सतर्क रहने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।