Dainik Bhaskar : Aug 15, 2019, 07:02 PM
डूंगरपुर. आज की यह कहानी बड़ी मार्मिक है। दर्द है। बेचैनी है। सालों की पीड़ा है। बहनों के लिए भाई शब्द तो था। पर, राखी बांधने के लिए कलाई नहीं थी। खुशी इस बात कि है कि इस कहानी का पटाक्षेप खुशियों से भरा हुआ आया। यहां पुलिस का भी मानवीय चेहरा सामने आया है।छह साल पहले एक बच्चा खो गया। जांच दर जांच अधिकारी बदले। पर, सबकी जांच में यह खोया बच्चा पहली प्राथमिकता पर रहा और आखिरकार छह साल पहले स्कूल जाते वक्त गुम हुए बच्चे को पुलिस ने परिवार से मिलाया। छह साल में चेहरा बदला, पर भाव नहीं बदले। छह साल का बच्चा 12 साल का हो गया। पर, यह मां को देखकर दूर से पहचान गया। दोनों जब आमने सामने हुए तो बच्चा मां को देखकर ठिठका। एक पल में दोनों एक-दूसरे को पहचान गए।बच्चें की आंख से आंसू बहने लगे और दौड़ कर मां के आंचल से लिपट गया। मां की आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। यह नजारा देखकर कठोर माने जाने वाले पुलिसकर्मियों की आंखें भी भर आई। घटना सितंबर 2013 की है। स्कूल पढऩे के लिए जा रहा भेहाबेड़ी गांव का छह वर्षीय बच्चा हरीश वापस अपने घर पर नहीं लौटा था।