7th Pay Commission / करीब सवा लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों से 37,530 करोड़ रुपए लेगी मोदी सरकार

केंद्र सरकार ने कोरोना के संकट के चलते राजस्व में आई कमी से निपटने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों के डीए को रोकने का फैसला लिया है। सरकार की ओर से कुल 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों के डीए को जुलाई 2021 तक के लिए रोक दिया गया है। यही नहीं 13 मार्च को ही जनवरी से जुलाई, 2020 के लिए बढ़े 4 फीसदी डीए के भुगतान को भी रोक दिया गया है।

Jansatta : Apr 24, 2020, 01:16 PM
7th Pay Commission DA latest news 2020: केंद्र सरकार ने कोरोना के संकट के चलते राजस्व में आई कमी से निपटने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों के डीए को रोकने का फैसला लिया है। सरकार की ओर से कुल 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों के डीए को जुलाई 2021 तक के लिए रोक दिया गया है। यही नहीं 13 मार्च को ही जनवरी से जुलाई, 2020 के लिए बढ़े 4 फीसदी डीए के भुगतान को भी रोक दिया गया है। हालांकि पहले से मिल रहा 17 फीसदी महंगाई भत्ता मिलना जारी रहेगा।

अनुमान के मुताबिक सरकार को महंगाई भत्ते में रोक से 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी। यही नहीं यदि राज्य सरकारें भी केंद्र का अनुसरण करती हैं तो वे डीए में इजाफे पर रोक के जरिए 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकती हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद ज्यादातर राज्यों में डीए को लेकर फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही बढ़े हुए डीए के भुगतान पर रोक लगा दी है।

एक सरकारी सूत्र ने सरकार के इस फैसले को सही करार देते हुए कहा, ‘कोरोना के इस संकट से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे पर सरकार को बड़े पैमाने पर खर्च करने की जरूरत है। इसके अलावा गरीब तबके के लिए चलने वाली कल्याणकारी योजनाओं के बजट आवंटन को भी बढ़ाना पड़ रहा है। ऐेसे में फंड की व्यवस्था के लिए सरकार के लिए ऐसा फैसला करना जरूरी हो गया था।’ वेतन भत्तों के भुगतान आदि के फैसलों पर केंद्र सरकार का अकसर राज्य सरकारें अनुसरण करती रही हैं, ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि ज्यादातर राज्यों की ओर से भी डीए पर रोक के फैसले लिए जाएं। यदि ऐसा होता है तो राज्यों को इससे करीब 82,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

टैक्स कलेक्शन में आई बड़ी कमी: एक तरफ सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को तेजी देने के लिए पैकेज जारी करना का दबाव है तो दूसरी तरफ वह टैक्स कलेक्शन में कमी का भी सामना कर रही है। प्रत्यक्ष कर के संग्रह की ही बात करें तो 2019-20 के लिए सरकार की ओर से 10.27 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 9.6 पर्सेंट की कमी रह गई। इस तरह सरकार के रेवेन्यू में टैक्स कलेक्शन की हिस्सेदारी 1.42 लाख करोड़ रुपये कम रह गई।