Dainik Bhaskar : Sep 04, 2019, 02:45 PM
कोटा। शहर में बंदरों का आतंक है। मंगलवार को न्यायालय परिसर में बंदरों ने मुकदमों की पेशियों पर आए लोगों को घेर लिया। इनमें एक टाइपिस्ट को लहूलुहान कर दिया, जिसका एमबीएस अस्पताल में उपचार जारी है। कोटा शहर की सड़कों पर मवेशी खड़े रहते हैं। इससे वाहन चालकों को रास्तों से निकलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां तक कि झूंड में आवारा कुत्ते सड़कों पर बैठे रहते हैं और रास्ते पर निकलने वालों के पीछे दौड़ते हैं। मंगलवार को अचानक बड़ी संख्या में लाल मुंह के बंदर न्यायालय परिसर पहुंचे। यहां शाम साढे़ चार बजे लोगों को घेर लिया, उनके पीछे पड़ गए। जैसे-तैसे लोगों ने जान बचाई, लेकिन टाइपिस्ट सुनील गोस्वामी बंदरों की चपेट में आ गया। बंदरों ने उसे लबूर लिया। गोस्वामी एमबीएस अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा है। पूर्व में भी आदेश हो चुका है बंदरों कोशहर से बाहर भेजने का न्यायालय परिसर में लाल मुंह के बंदरों की रोकथाम के मामले में स्थाई लोक अदालत ने एक जनहित याचिका पर लाल मुंह के बंदरों को कोटा शहर से बाहर भेजने का आदेश दे चुका है। वकील अशोक गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जनहित याचिका स्थाई लोक अदालत में दायर की थी। इसमें जिला कलेक्टर, निगम अायुक्त, वन विभाग को पार्टी बनाया था। गुप्ता ने बताया कि संबंधित विभाग के कर्मचारियों ने बंदरों को कोटा शहर के बाहर छोड़ दिया था, लेकिन बाद में घूम फिर कर बंदर वापस कोटा शहर में आ गए।
यहां तक कि झूंड में आवारा कुत्ते सड़कों पर बैठे रहते हैं और रास्ते पर निकलने वालों के पीछे दौड़ते हैं। मंगलवार को अचानक बड़ी संख्या में लाल मुंह के बंदर न्यायालय परिसर पहुंचे। यहां शाम साढे़ चार बजे लोगों को घेर लिया, उनके पीछे पड़ गए। जैसे-तैसे लोगों ने जान बचाई, लेकिन टाइपिस्ट सुनील गोस्वामी बंदरों की चपेट में आ गया। बंदरों ने उसे लबूर लिया। गोस्वामी एमबीएस अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा है। पूर्व में भी आदेश हो चुका है बंदरों कोशहर से बाहर भेजने का न्यायालय परिसर में लाल मुंह के बंदरों की रोकथाम के मामले में स्थाई लोक अदालत ने एक जनहित याचिका पर लाल मुंह के बंदरों को कोटा शहर से बाहर भेजने का आदेश दे चुका है। वकील अशोक गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जनहित याचिका स्थाई लोक अदालत में दायर की थी। इसमें जिला कलेक्टर, निगम अायुक्त, वन विभाग को पार्टी बनाया था। गुप्ता ने बताया कि संबंधित विभाग के कर्मचारियों ने बंदरों को कोटा शहर के बाहर छोड़ दिया था, लेकिन बाद में घूम फिर कर बंदर वापस कोटा शहर में आ गए।