Coronavirus / कोरोना वायरस से संक्रमित होने के लिए आगे आए 30 हजार से ज्यादा लोग, जानें क्या है कारण

News18 : Jul 05, 2020, 10:48 PM
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया हुआ है। इस घातक महामारी का फिलहाल कोई कारगर इलाज नहीं मिल सका है। कोविड-19 (Covid-19) को खत्म करने के लिए दुनिया भर में वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बनाने का काम तेजी से किया रहा है। किसी वैक्सीन को बनाने के लिए वैसे तो काफी समय और संसाधन खर्च होते हैं लेकिन पूरे विश्व में कोरोना से मची त्रासदी को देखते हुए इस काम को तेजी से पूरा करने की कोशिश की जा रही है। इस काम में मदद के लिए लोग भी आगे आ रहे हैं। ऐसे में एक संस्था ने एक कैंपेन शुरू किया है जिसके तहत ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है जो वैक्सीन ट्रायल के लिए खुद कोरोना संक्रमित होने के लिए तैयार हैं।

वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस अनोखे कैंपेन को शुरू करने वाली संस्था का नाम 1 डे सूनर है। ये संस्था अपनी वेबसाइट के जरिये दुनिया भर से वॉलेंटियर्स बनने के लिए आवेदन स्वीकार कर रही है। इस संस्था से अब तक 30 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं और कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण कराने के लिए कोरोना संक्रमित होने के लिए राजी हो गए हैं।

इसलिए होती है वैक्सीन बनने में देरी

हालांकि ये बात भी सामने आई है कि अधिकतर लोगों पर ट्रायल करने के लिए उन्हें संक्रमित नहीं किया जाता जबकि स्वस्थ लोगों का ही टीकाकरण कर दिया जाता है। इसके बाद व्यक्ति के संक्रमित होने का इंतजार किया जाता है जिससे कि व्यक्ति के शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया का पता चल सके। इस प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है और व्यक्ति संक्रमित होगा या नहीं इस पर भी संशय बना रहता है। जिसके चलते वैक्सीन बनने में काफी समय लग सकता है।

तो ऐसे वैक्सीन तैयार करने में आएगी तेजी?

ऐसे में 1 डे सूनर नाम की ये संस्था वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए लोगों को संक्रमित करने के पक्ष में है। संस्था का कहना है कि जो लोग खुद से वैक्सीन के ट्रायल के लिए आगे आ रहे हैं उन्हें संक्रमित कर खुराक दी जाए। जिससे लाखों लोगों की जान को होने वाले खतरे को कम किया जा सके।

रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल किसी भी देश ने वैक्सीन ट्रायल के लिए लोगों को जानबूझकर संक्रमित करने की अनुमति नहीं दी है। इसका कारण है कि ये कई लोगों के लिए जानलेवा प्रयोग हो सकता है। हालांकि इस संस्था का मानना है कि ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी दिए जाने से वैक्सीन जल्दी बन जाएगी और दुनिया भर के लाखों लोगों की जान भी बचाई जा सकेगी।

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