बड़ा झटका / कोरोना की वजह से दुनियाभर में जून तक 30 करोड़ से अधिक लोगों की जा सकती हैं नौकरियां

संयुक्तराष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ा दिया है। संगठन के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान महज तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। अगर भारत की बात करें तो देशभर में फैले कोरोना महामारी और उसके चलते लॉकडाउन से बेरोजगारी दर बढ़कर 23.4% पर पहुंच गई है।

Live Hindustan : Apr 30, 2020, 08:55 AM
India Lockdown: संयुक्तराष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की जाने वाली नौकरियों का पूर्वानुमान एक बार फिर से बढ़ा दिया है। संगठन के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान महज तीन महीने में ही करीब 30.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। संगठन ने पिछले पूर्वानुमान में कहा था कि इस महामारी के कारण जून तिमाही में हर सप्ताह औसतन 48 घंटे की कार्यअवधि वाले 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों का नुकसान हो सकता है। संगठन ने कहा कि महामारी पर काबू पाने के लिये दुनिया भर में लॉकडाउन के बढ़ाये जाने से उसे अनुमान में संशोधन करना पड़ा है।

संगठन ने कहा कि इस महामारी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के 1.6 अरब कामगारों के समक्ष जीवनयापन का खतरा उत्पन्न हो चुका है क्योंकि महामारी के कारण उनके रोजी-रोटी के साधन बंद हो चुके हैं।  यह पूरी दुनिया के 3.3 अरब कार्यबल का करीब आधा है। 

वहीं अगर भारत की बात करें तो देशभर में फैले कोरोना महामारी और उसके चलते लॉकडाउन से बेरोजगारी दर बढ़कर 23.4% पर पहुंच गई है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से भारत की शहरी बेरोजगारी दर 30.9% तक बढ़ सकती है, हालांकि कुल बेरोजगारी 23.4% तक बढ़ने का अनुमान है। यह रिपोर्ट अर्थव्यवस्था पर कोरोना के बुरे प्रभाव को दर्शाती है।

8.4% से बढ़कर 23% हो गई बेरोजगारी दर

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) का अनुमान है कि बेरोजगारी दर मार्च महीने के मध्य के 8.4% से बढ़कर 23% हो गई है। सीएमआईई के आंकड़े के अनुसार, शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 15 मार्च 2020 को 8.21 फीसद थी। यह 22 मार्च 2020 को 8.66 फीसद पर आई। फिर 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद इसमें जबरदस्त तेजी आई। 29 मार्च 2020 को यह 30.01 फीसद पर जा पहुंची और फिर 5 अप्रैल 2020 के आंकड़े के अनुसार, यह 30.93 फीसद पर आ गई है।

जनवरी 2020 से गिरावट खास तौर पर देखी गई है। ऐसा लगता है कि पिछले दो वर्षों से स्थिर रहने के लिए संघर्ष करने के बाद मार्च में इसमें तेजी से गिरावट आई. अब ये औंधे मुंह गिर गया है। भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन का कहना है कि लॉकडाउन के केवल दो हफ्तों में लगभग पांच करोड़ लोगों ने नौकरी खो दी है। चूंकि कुछ को अभी के लिए घर भेजा गया है, इसलिए बेरोजगारी का वास्तविक दायरा और भी अधिक हो सकता है