AajTak : Apr 20, 2020, 05:13 PM
कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय डटा हुआ है। इस वायरस ने पूरी दुनिया की रफ्तार को थाम दिया है। तमाम देश इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने और इसकी जटिलताओं को समझने के लिए हर तरह का उपाय ढूंढ रहे हैं।
हर दिन थ्योरी और प्रीक्लिनिकल स्टडीज को लेकर बहुत सारे दावे सामने आ रहे हैं। इस तरह की किसी भी रिसर्च के गोल्ड स्टैंडर्ड क्लिनिकल स्टडीज पर निर्भर होते हैं।
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा के आधार पर विभिन्न देशों में COVID-19 से जुड़ी 600 से ज्यादा क्लिनिकल स्टडीज पर हमने नजर डालने की कोशिश की। ये डेटा हर हफ्ते अपडेट किया जा रहा है।
दुनियादुनिया भर में तीन लाख से अधिक क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। इनमें से 657 COVID-19 से जुड़ी हैं। समय बीतने के साथ ये आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।
अमेरिका
महामारी का मौजूदा एपिसेंटर अमेरिका बना हुआ है। किसी भी देश से ज़्यादा यहां COVID-19 से जुड़ी 126 क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। इन स्टडीज़ में स्वास्थ्यप्रद प्लाज्मा से लेकर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ड्रग जैसे हस्तक्षेप जुड़े हैं। इन स्टडीज में मॉडर्ना और इनोवियो फार्मा कंपनियों की दो कैंडिडेट वैक्सीन के ट्रायल भी शामिल हैं।
चीन
महामारी के स्रोत्र चीन में इस वक्त COVID-19 को लेकर 96 क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। यहां दो वैक्सीन कैंडिडेट पहले से ही ट्रायल फेस में हैं।
यूरोप
यूके समेत यूरोपीय देशों में कुल 209 क्लिनिकल स्टडीज लिस्टेड हैं। इनमें सबसे ज्यादा फ्रांस में 76 हैं। इसके बाद इटली (39), स्पेन (26) और जर्मनी (25) का नंबर आता है। संख्या की बात की जाए तो यूके बहुत पीछे है लेकिन ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीट्यूट से “ChAdOx1 nCoV-19” इकलौता कैंडिडेट है, जिसके क्लिनिकल ट्रायल फेज में दाखिल होने के साथ ही बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
भारत
भारत ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ COVID-19 पर चार क्लिनिकल स्टडीज को लिस्ट किया है। इन देशों ने महामारी का ज्यादा असर यूरोप और अमेरिका के कहीं बाद देखा। भारत की लिस्टेड क्लिनिकल स्टडीज में कॉनवलेसेंट प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन शामिल है। ये स्टडी दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर बाइलिएरी साइंसेज की ओर से की जा रही है।
इसके अलावा चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में एंटी-लेप्रोसी ड्रग माइकोबैक्टीरियम का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। भारत WHO के सॉलिडेरिटी ट्रायल में भी शिरकत कर रहा है। इसमें दर्जनों देश COVID-19 हस्तक्षेपों से जुड़ी जानकारी साझा कर रहे हैं। भारत का अभी कोई भी कैंडिडेट वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज तक नहीं पहुंच पाया है।
हर दिन थ्योरी और प्रीक्लिनिकल स्टडीज को लेकर बहुत सारे दावे सामने आ रहे हैं। इस तरह की किसी भी रिसर्च के गोल्ड स्टैंडर्ड क्लिनिकल स्टडीज पर निर्भर होते हैं।
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा के आधार पर विभिन्न देशों में COVID-19 से जुड़ी 600 से ज्यादा क्लिनिकल स्टडीज पर हमने नजर डालने की कोशिश की। ये डेटा हर हफ्ते अपडेट किया जा रहा है।
दुनियादुनिया भर में तीन लाख से अधिक क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। इनमें से 657 COVID-19 से जुड़ी हैं। समय बीतने के साथ ये आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।
अमेरिका
महामारी का मौजूदा एपिसेंटर अमेरिका बना हुआ है। किसी भी देश से ज़्यादा यहां COVID-19 से जुड़ी 126 क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। इन स्टडीज़ में स्वास्थ्यप्रद प्लाज्मा से लेकर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ड्रग जैसे हस्तक्षेप जुड़े हैं। इन स्टडीज में मॉडर्ना और इनोवियो फार्मा कंपनियों की दो कैंडिडेट वैक्सीन के ट्रायल भी शामिल हैं।
चीन
महामारी के स्रोत्र चीन में इस वक्त COVID-19 को लेकर 96 क्लिनिकल स्टडीज चल रही हैं। यहां दो वैक्सीन कैंडिडेट पहले से ही ट्रायल फेस में हैं।
यूरोप
यूके समेत यूरोपीय देशों में कुल 209 क्लिनिकल स्टडीज लिस्टेड हैं। इनमें सबसे ज्यादा फ्रांस में 76 हैं। इसके बाद इटली (39), स्पेन (26) और जर्मनी (25) का नंबर आता है। संख्या की बात की जाए तो यूके बहुत पीछे है लेकिन ऑक्सफोर्ड के जेनर इंस्टीट्यूट से “ChAdOx1 nCoV-19” इकलौता कैंडिडेट है, जिसके क्लिनिकल ट्रायल फेज में दाखिल होने के साथ ही बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
भारत
भारत ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ COVID-19 पर चार क्लिनिकल स्टडीज को लिस्ट किया है। इन देशों ने महामारी का ज्यादा असर यूरोप और अमेरिका के कहीं बाद देखा। भारत की लिस्टेड क्लिनिकल स्टडीज में कॉनवलेसेंट प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन शामिल है। ये स्टडी दिल्ली स्थित मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज और इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर बाइलिएरी साइंसेज की ओर से की जा रही है।
इसके अलावा चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में एंटी-लेप्रोसी ड्रग माइकोबैक्टीरियम का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। भारत WHO के सॉलिडेरिटी ट्रायल में भी शिरकत कर रहा है। इसमें दर्जनों देश COVID-19 हस्तक्षेपों से जुड़ी जानकारी साझा कर रहे हैं। भारत का अभी कोई भी कैंडिडेट वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल फेज तक नहीं पहुंच पाया है।