जयपुर / 6वीं से 12वीं क्लास तक फिर लागू होगा एनसीईआरटी का सिलेबस, अगले सत्र से बदलाव

Dainik Bhaskar : Sep 12, 2019, 07:57 AM
जयपुर. सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम पर बड़ा निर्णय लिया है। प्रदेश में आठ साल बाद एक बार फिर छठी से बारहवीं कक्षा तक एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होगा। बदलाव की शुरुआत अगले सत्र 2020-21 से होगी।

पहले चरण में आगामी सत्र से कक्षा 6 से 9 और 11वीं में नया सिलेबस लागू हाेगा। इस सत्र में 10वीं और 12वीं का सिलेबस यथावत रहेगा। इसके बाद सत्र 2021-22 से दसवीं और बारहवीं में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होगा। पहली से पांचवीं तक के सिलेबस में कोई बदलाव नहीं होगा। यह घोषणा शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने की।

सरकार बदलते ही सिलेबस बदलने का सिलसिला पिछले 22 साल से चल रहा है। इन सालों में कांग्रेस सरकार चौथी बार सिलेबस में बदलाव करेगी। वर्तमान सरकार ने चालू सत्र में भी कई किताबों में बदलाव कर दिया था। अब अगले सत्र से फिर बदलाव होगा। भाजपा सरकार भी दो बार सिलेबस में बदलाव कर चुकी है। पिछले साल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही सिलेबस में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई थी। इसके लिए पाठ्यक्रम समीक्षा समिति बनाई गई। लेकिन तब केवल चार किताबों में बदलाव किया गया। अब समिति की सिफारिश के बाद छठी से 12वीं तक का पूरा सिलेबस ही एनसीईआरटी का लागू किया जाएगा।

पहली से पांचवीं के तक सिलेबस को यथावत रखा जाएगा। बदलाव की शुरुआत पहली बार 1998 में बनी कांग्रेस सरकार ने की थी। दूसरी ओर, शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बताया कि एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होने के बाद भी विद्यार्थियों को राजस्थान के इतिहास, भूगोल और संस्कृति से अवगत कराने के लिए अलग से किताबें लागू की जाएगी।

कक्षा 6 में हमारा राजस्थान भाग प्रथम, सातवीं में हमारा राजस्थान भाग दो और आठवीं में हमारा राजस्थान भाग तीन पढ़ाया जाएगा। नवीं में राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परंपरा, दसवीं में राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति, 11वीं में आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत भाग एक और 12वीं में आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत भाग दो लागू किया जाएगा। राजस्थान शिक्षक संघ (सियाराम) कि प्रदेश प्रवक्ता प्रभा शर्मा का कहना है कि सरकार पाठ्यक्रमों को ज्ञानवर्द्धन बनाएं।

जानिए...इस प्रकार बदलता गया स्कूली पाठ्यक्रम

कांग्रेस शासन (1998 से 2003) : भाजपा सरकार में पढ़ाए जा रहे सिलेबस को बदला। तर्क दिया कोई राजनीतिक नहीं है। सीएम के फोटो के साथ नारे कवर पृष्ठ पर आए। कांग्रेस का इतिहास भी शामिल।

भाजपा शासन (2003 से 2008) : कांग्रेस शासन में शामिल कई चैप्टर बदले गए। सिलेबस में संघ के विचारकों को स्थान मिला। इसमें मुख्य रूप से दीनदयाल उपाध्याय और श्यामाप्रसाद मुखर्जी हैं।

कांग्रेस शासन (2008 से 2013 तक) : 2011-12 में एनसीईआरटी सिलेबस लागू। 2009 में 9वीं की किताब से दीनदयाल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम हटा दिया गया था। ग्यारहवीं की संस्कृत की किताब से संघे शक्ति कलयुगे को भी पूरी तरह से हटा दिया गया था।

भाजपा सरकार  (2013 से 2018) : एनसीईआरटी का सिलेबस हटाया। नया सिलेबस लागू किया गया। अकबर महान की जगह महाराणा प्रताप महान जोड़ा गया। कक्षा 6 से प्रसिद्ध कविता खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.... और कक्षा 7 से सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... को हटा दिया गया था।

वर्तमान कांग्रेस सरकार ( 2018 से...) : 2019-20 में कुछ किताबों में बदलाव। 10वीं के एक चैप्टर में वीर सावरकर को वीर बताने वाली लाइन हटाते हुए जेल यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार के पास चार बार दया याचिका पेश करने वाला बताया गया है। आठवीं की अंग्रेजी के कवर पेज पर जौहर के फोटो को हटाकर किले का फोटो प्रकाशित किया गया है। लेकिन अब चौथी बार अगले सत्र 2020-21 से फिर सिलेबस बदलेगा और एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होगा।

सिलेबस बदलने के पीछे समिति ने बच्चों के लिए ये फायदे गिनाए हैं 

सिलेबस उच्च माध्यमिक के  लिए उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का आधार बनता है।

विषय अनुसार ही चित्र और नक्शे इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।

विद्वानों के तार्किक विश्लेषण से सरल भाषा में समझाया जाता है।

विषय से संबंधित सामग्री क्रमबद्ध तरीके से संग्रहित की जाती है। जो विद्यार्थी को गूढ जानकारी देती है।

स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। राजस्थान बोर्ड से जुड़े सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी सिलेबस लागू होने से यह विद्यार्थी सीबीएसई के विद्यार्थियों से मुकाबला कर सकेंगे।

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