दुनिया / नेपाल में चीनी राजदूत की दखलंदाजी अब नहीं चलेगी! नया कानून लागू करने की तैयारी

Zee News : Aug 27, 2020, 08:45 PM
काठमांडू: नेपाल की राजनीति में चीन का दखल किसी से छिपा नहीं है। चीनी राजदूत होउ यांगकी (Hou Yanqi) नेपाल में काफी सक्रिय हैं और बेरोक-टोक नेताओं से मुलाकात करती रहती हैं। माना जाता है कि भारत के साथ काठमांडू के सीमा विवाद में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। हालांकि, अब शायद उनके लिए नेपाल की राजनीति में दखल देना उतना आसान न रहे।

नेपाल में बीजिंग के बढ़ते दखल को लेकर हुए विरोध के मद्देनजर सरकार ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। नेपाल के अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय  डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट बदलाव करने जा रहा है। नए कानून के तहत किसी भी विदेशी राजनयिक को  किसी भी नेता से सीधे मुलाकात करने की इजाजत नहीं होगी। इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया का पालन करना होगा।

बार-बार मुलाकात पर उठे थे सवाल

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि सियासी संकट के दौरान विदेशी राजनयिकों की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेताओं के साथ हुई बार-बार मुलाकात को लेकर सवाल उठे थे। इसी के मद्देनजर विदेश मंत्रालय ने डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का फैसला लिया है। मालूम हो कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी बचाने के लिए चीनी राजदूत होउ यांगकी ने जमीन-आसमान एक कर दिया था। उन्होंने हर वह संभावना तलाशी जिससे ओली को कुर्सी न गंवानी पड़े और वह अपने मिशन में कामयाब भी रहीं। यांगकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी। 

2015 से धूल खा रहा है प्रस्ताव

भारत विरोधी रुख के चलते अपनी ही पार्टी में जबरदस्त विरोध झेलने के बावजूद यदि ओली सत्ता में बने हुए हैं, तो इसमें चीनी राजदूत का बहुत बड़ा हाथ है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का प्रस्ताव 2015 में ही तैयार हो गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। प्रस्ताव तभी से प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय में धूल खा रहा है। अब जब चीनी दखलंदाजी को लेकर बवाल मचा हुआ है, तो इसे अमल में लाने की कवायद शुरू हो गई है।

यह आएंगे दायरे में

नए कंडक्ट को लागू करने के लिए विदेश मंत्रालय ने सात प्रांतों में अपने सात सेक्शन ऑफिसर भेजे हैं। न सेक्शन ऑफिसरों पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि कोई भी विदेशी राजनयिक राज्य के किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री से प्रोटोकॉल तोड़कर मुलाकात न कर पाए। इस नियम के दायरे में सभी राजनीतिक दल, नेता आएंगे, संवैधानिक संस्थाएं और चुनिंदा सरकारी अधिकारी आएंगे। विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा कि जवाबदेही तय करने के लिए कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं।

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