News18 : Aug 27, 2020, 03:59 PM
काठमांडू। भारत-नेपाल (India-Nepal Border Dispute) के बीच सीमा विवाद हो या अन्य मुद्दों पर आई दूरियों के पीछे नेपाल में चीन की राजदूत होउ यांगकी (Chinese Ambassador Hou Yanqi) का नाम बार-बार निकलकर सामने आ रहा था। इसके आलावा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) की कुर्सी बचाने के लिए भी यांगकी ने कई बार पार्टी के बड़े नेताओं से बातचीत की थी। हालांकि एक डिप्लोमेट की देश की राजनीति में इस तरह के दखल का विरोध हुआ था जिसका असर अब नए कानून के तौर पर सामने आ रहा है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। ओली की सरकार ने दबाव के बाद अब 'डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट' बदलने का फैसला किया है। इस नए कानून के तहत अब कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट किसी भी नेता से सीधे मुलाकात नहीं कर सकेगा। इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया या प्रॉपर डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल और चैनल होगा और इजाजत के बिना ये संभव नहीं होगा। नेपाल के राजनीतिक संकट के दौरान चीन की राजदूत होउ यांगकी ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी, जिसके बाद इस पर काफी सवाल उठे थे।
देश के आंतरिक मामलों में न हो दखलकाठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक नेपाल की फॉरेन मिनिस्ट्री चाहती है कि डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए। साथ ही नेपाल के आंतरिक मामलों से अन्य देशों के डिप्लोमेट्स को दूर रखा जाए। इसलिए अब ये तय किया गया है कि नेपाल में भी वही नियम होने चाहिए जो दूसरे देशों में हैं। विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने माना है कि कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। 2016 में कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार हुआ था लेकिन चीन के दबाव में ही ये प्रस्ताव लटका हुआ था।इस नए कंडक्ट को लागू करने के लिए फॉरेन मिनिस्ट्री ने सात प्रांतों में अपने सात सेक्शन ऑफिसर भी भेज दिए हैं। इन सेक्शन ऑफिसर की यह जिम्मेदारी होगी कि कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट राज्य के किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री से प्रोटोकॉल तोड़कर मुलाकात न कर पाए। इस नियम के दायरे में सभी राजनीतिक दल और नेता आएंगे। अप्रैल और जुलाई की शुरुआत में चीन की राजदूत हो होउ यांगकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से सीधे मुलाकात की थी। एनपीसीपी के कई नेताओं और प्रधानमंत्री ओली से भी उन्होंने प्रोटोकॉल के उलट मुलाकात की। इसके बाद चीन की खुली दखलंदाजी को लेकर नेपाली मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी ओली सरकार की काफी आलोचना हुई थी।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने विदेशी राजनयिकों के लिए नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है। ओली की सरकार ने दबाव के बाद अब 'डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट' बदलने का फैसला किया है। इस नए कानून के तहत अब कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट किसी भी नेता से सीधे मुलाकात नहीं कर सकेगा। इसके लिए दूसरे देशों की तरह एक तय प्रक्रिया या प्रॉपर डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल और चैनल होगा और इजाजत के बिना ये संभव नहीं होगा। नेपाल के राजनीतिक संकट के दौरान चीन की राजदूत होउ यांगकी ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के कई नेताओं के अलावा राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी तक से सीधे मुलाकात की थी, जिसके बाद इस पर काफी सवाल उठे थे।
Amid criticism for its failure to monitor the frequent meetings between the political leadership and foreign diplomats, the Ministry of Foreign Affairs is once again working to revise and reactivate its diplomatic code of conduct. https://t.co/wIMwhjUxeL — by @anilkathmandu
— The Kathmandu Post (@kathmandupost) August 27, 2020
देश के आंतरिक मामलों में न हो दखलकाठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक नेपाल की फॉरेन मिनिस्ट्री चाहती है कि डिप्लोमैटिक प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाए। साथ ही नेपाल के आंतरिक मामलों से अन्य देशों के डिप्लोमेट्स को दूर रखा जाए। इसलिए अब ये तय किया गया है कि नेपाल में भी वही नियम होने चाहिए जो दूसरे देशों में हैं। विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने माना है कि कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। 2016 में कोड ऑफ कंडक्ट में बदलाव का प्रस्ताव तैयार हुआ था लेकिन चीन के दबाव में ही ये प्रस्ताव लटका हुआ था।इस नए कंडक्ट को लागू करने के लिए फॉरेन मिनिस्ट्री ने सात प्रांतों में अपने सात सेक्शन ऑफिसर भी भेज दिए हैं। इन सेक्शन ऑफिसर की यह जिम्मेदारी होगी कि कोई भी फॉरेन डिप्लोमैट राज्य के किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री से प्रोटोकॉल तोड़कर मुलाकात न कर पाए। इस नियम के दायरे में सभी राजनीतिक दल और नेता आएंगे। अप्रैल और जुलाई की शुरुआत में चीन की राजदूत हो होउ यांगकी ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से सीधे मुलाकात की थी। एनपीसीपी के कई नेताओं और प्रधानमंत्री ओली से भी उन्होंने प्रोटोकॉल के उलट मुलाकात की। इसके बाद चीन की खुली दखलंदाजी को लेकर नेपाली मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी ओली सरकार की काफी आलोचना हुई थी।