News18 : Apr 27, 2020, 06:06 PM
न्यूयॉर्क: अमेरिका (America) में न्यूयॉर्क (New York) शहर कोरोना वायरस (Coronavirus) से सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां पर संक्रमण और मौत के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। अब जानकारी सामने आई है कि न्यूयॉर्क के डॉक्टर कोरोना वायरस के इलाज में चोरी चुपके एक दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सीने में जलन होने की स्थिति में लेने वाली दवा का इस्तेमाल कोरोना के इलाज में हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस दवा का इस्तेमाल चीन में भी हुआ है। चीन में बुजुर्गों में कोरोना के इलाज में ये दवा कारगर मानी गई है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अब उस दवा का इस्तेमाल न्यूयॉर्क के डॉक्टर ट्रायल के आधार पर कर रहे हैं। उस दवा को फैमोटिडीन के नाम से जाना जाता है। अमेरिका और ब्रिटेन में ये पेप्सिड के नाम से बिकती है। नॉर्थवेल हॉस्पिटल ने पेप्सिड का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों पर किया है।
अमेरिका में शुरुआती तौर पर किया गया है ट्रायल
बताया जा रहा है कि शुरुआती तौर पर शनिवार को 1,174 मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया है। इनमें से 187 मरीजों की हालत गंभीर थी। साइंस मैग्जीन को दिए एक इंटरव्यू में नॉर्थवेल रिसर्च की इंचार्ज पूर्व न्यूरोसर्जन केविन ट्रेसी ने कहा है कि 391 मरीजों पर दवा के इस्तेमाल के नतीजे कुछ हफ्तों में आ जाएंगे।
इस दवा का इस्तेमाल चीन में भी बुजुर्ग मरीजों को ठीक करने में हुआ है। वुहान में महामारी के दौरान कुछ डॉक्टरों ने देखा कि 80 साल के ऊपर की उम्र के बुजुर्ग जो कोरोना वायरस से बच गए थे, वो सीने की जलन मिटाने की दवा ले रहे थे। उन्होंने देखा की बीमारी शरीर वाले बुजुर्गों की इस दवा के इस्तेमाल की वजह से सर्वाइवल रेट बढ़ा था।
बताया जाता है कि चीन के बुजुर्ग गरीब मरीज फैमोटिडीन का इस्तेमाल इसलिए कर रहे थे क्योंकि ये ओमेप्राजोल से सस्ता था। फैमोटिडीन को पेप्सिड ब्रांड नेम के साथ और ओमेप्राजोल को प्रिलोसेक ब्रांड नेम से बेचा जाता है।
चीन के डॉक्टरों ने रिसर्च के बाद किया था दवा का इस्तेमाल
चीन के डॉक्टरों ने इस पर रिसर्च किया। करीब 6,212 मामलों का रिव्यू किया गया। पता चला ऐसे सिर्फ 14 फीसदी बुजुर्गों की मृत्यु हुई, जो फैमोटिडीन का सेवन कर रहे थे, वहीं ओमेप्राजोल लेने वाले करीब 27 फीसदी बुजुर्गों की मौत हुई। इसी रिसर्च के बाद चीन में बुजुर्गों में फैमोटिडीन का इस्तेमाल बढ़ा।
सीने में जलन होने की स्थिति में लेने वाली दवा का इस्तेमाल कोरोना के इलाज में हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस दवा का इस्तेमाल चीन में भी हुआ है। चीन में बुजुर्गों में कोरोना के इलाज में ये दवा कारगर मानी गई है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक अब उस दवा का इस्तेमाल न्यूयॉर्क के डॉक्टर ट्रायल के आधार पर कर रहे हैं। उस दवा को फैमोटिडीन के नाम से जाना जाता है। अमेरिका और ब्रिटेन में ये पेप्सिड के नाम से बिकती है। नॉर्थवेल हॉस्पिटल ने पेप्सिड का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों पर किया है।
अमेरिका में शुरुआती तौर पर किया गया है ट्रायल
बताया जा रहा है कि शुरुआती तौर पर शनिवार को 1,174 मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया है। इनमें से 187 मरीजों की हालत गंभीर थी। साइंस मैग्जीन को दिए एक इंटरव्यू में नॉर्थवेल रिसर्च की इंचार्ज पूर्व न्यूरोसर्जन केविन ट्रेसी ने कहा है कि 391 मरीजों पर दवा के इस्तेमाल के नतीजे कुछ हफ्तों में आ जाएंगे।
इस दवा का इस्तेमाल चीन में भी बुजुर्ग मरीजों को ठीक करने में हुआ है। वुहान में महामारी के दौरान कुछ डॉक्टरों ने देखा कि 80 साल के ऊपर की उम्र के बुजुर्ग जो कोरोना वायरस से बच गए थे, वो सीने की जलन मिटाने की दवा ले रहे थे। उन्होंने देखा की बीमारी शरीर वाले बुजुर्गों की इस दवा के इस्तेमाल की वजह से सर्वाइवल रेट बढ़ा था।
बताया जाता है कि चीन के बुजुर्ग गरीब मरीज फैमोटिडीन का इस्तेमाल इसलिए कर रहे थे क्योंकि ये ओमेप्राजोल से सस्ता था। फैमोटिडीन को पेप्सिड ब्रांड नेम के साथ और ओमेप्राजोल को प्रिलोसेक ब्रांड नेम से बेचा जाता है।
चीन के डॉक्टरों ने रिसर्च के बाद किया था दवा का इस्तेमाल
चीन के डॉक्टरों ने इस पर रिसर्च किया। करीब 6,212 मामलों का रिव्यू किया गया। पता चला ऐसे सिर्फ 14 फीसदी बुजुर्गों की मृत्यु हुई, जो फैमोटिडीन का सेवन कर रहे थे, वहीं ओमेप्राजोल लेने वाले करीब 27 फीसदी बुजुर्गों की मौत हुई। इसी रिसर्च के बाद चीन में बुजुर्गों में फैमोटिडीन का इस्तेमाल बढ़ा।