NavBharat Times : Aug 01, 2020, 10:44 AM
काठमांडू: कोरोना के नाम पर दक्षिण एशिया के तीन देशों नेपाल, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ चीन की बैठक के बाद कुछ ही दिन बाद शुक्रवार को नेपाल ने कहा कि वह गुटनिरपेक्ष रहेगा। नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने चारों देशों को मिलाकर उपक्षेत्रीय गुट बनाने के विचार को खारिज कर दिया। इसी बैठक में चीन ने नेपाल और अफगानिस्तान को अपने 'आयरन ब्रदर' पाकिस्तान की तरह से बनने के लिए कहा था।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने कहा, 'चार देशों के साथ वर्चुअल कान्फ्रेंस पूरी तरह से कोरोना वायरस पर सहयोग को लेकर थी। यह अनावश्यक और गलत होगा कि इन चारों देशों के बीच किसी अन्य तरह का समन्वय किया जाए। नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के सदस्य हैं और चीन सार्क में पर्यवेक्षक देश है। हम पहले ही एक संगठन के हिस्सा हैं।'ज्ञवली ने कहा, 'इसकी कोई संभावना नहीं है, इच्छा या योजना नहीं है कि एक उपक्षेत्रीय अलायंस या संगठन इन चारों देशों को मिलाकर बनाया जाए। यह पूरी तरह से कोविड-19 से निपटने पर बैठक थी।' बता दें कि चीन और पाकिस्तान के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान पेइचिंग ने चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर और ट्रांस-हिमालयन कनेक्टविटी नेटवर्क को तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया था। चीन ने सीपीईसी को अफगानिस्तान तक बढ़ाने का भी समर्थन किया था।
नेपाली विदेश मंत्री का भारत पर निशानानेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया कि कोरोना काल में भारत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और चीन समेत कई देशों से बातचीत कर रहा है, लेकिन हम से नहीं। उन्होंने दावा किया कि इसी कारण हमारे पास देश का नक्शा प्रकाशित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। नेपाली विदेश मंत्री ने दावा किया कि जब भारत ने नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक मानचित्र के 8 वें संस्करण को प्रकाशित किया, तो इसमें नेपाल का कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा का क्षेत्र शामिल था।ज्ञवली ने कहा कि निश्चित रूप से नेपाल ने राजनीतिक बयानों और राजनयिक नोटों के माध्यम से इसका विरोध किया था। उस समय हमने अपने भारतीय दोस्तों को औपचारिक रूप से इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कूटनीतिक बातचीत शुरू करने के लिए कहा। हमने संभावित तारीखों का भी प्रस्ताव रखा लेकिन हमारे प्रस्ताव का समय पर जवाब नहीं दिया गया।
चीन पर भी नेपाल ने दिया 'ज्ञान'नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने कहा कि चीन और भारत का उदय साथ-साथ कैसे जुड़ते हैं, उनकी साझेदारी कैसे आगे बढ़ेगी और कैसे वे अपने मतभेदों को दूर करेंगे। इससे निश्चित रूप से एशिया या कम से कम इस क्षेत्र का भविष्य निश्चित होगा। उन्होंने कहा कि वुहान समिट ने दोनों देशों के बीच साझेदारी को गहरा किया लेकिन गलवान घाटी में संघर्ष के बाद तनाव बना हुआ है। दोनों देश तनाव दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि यह मुश्किल है।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली ने कहा, 'चार देशों के साथ वर्चुअल कान्फ्रेंस पूरी तरह से कोरोना वायरस पर सहयोग को लेकर थी। यह अनावश्यक और गलत होगा कि इन चारों देशों के बीच किसी अन्य तरह का समन्वय किया जाए। नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन के सदस्य हैं और चीन सार्क में पर्यवेक्षक देश है। हम पहले ही एक संगठन के हिस्सा हैं।'ज्ञवली ने कहा, 'इसकी कोई संभावना नहीं है, इच्छा या योजना नहीं है कि एक उपक्षेत्रीय अलायंस या संगठन इन चारों देशों को मिलाकर बनाया जाए। यह पूरी तरह से कोविड-19 से निपटने पर बैठक थी।' बता दें कि चीन और पाकिस्तान के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान पेइचिंग ने चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर और ट्रांस-हिमालयन कनेक्टविटी नेटवर्क को तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया था। चीन ने सीपीईसी को अफगानिस्तान तक बढ़ाने का भी समर्थन किया था।
नेपाली विदेश मंत्री का भारत पर निशानानेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया कि कोरोना काल में भारत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और चीन समेत कई देशों से बातचीत कर रहा है, लेकिन हम से नहीं। उन्होंने दावा किया कि इसी कारण हमारे पास देश का नक्शा प्रकाशित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। नेपाली विदेश मंत्री ने दावा किया कि जब भारत ने नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक मानचित्र के 8 वें संस्करण को प्रकाशित किया, तो इसमें नेपाल का कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा का क्षेत्र शामिल था।ज्ञवली ने कहा कि निश्चित रूप से नेपाल ने राजनीतिक बयानों और राजनयिक नोटों के माध्यम से इसका विरोध किया था। उस समय हमने अपने भारतीय दोस्तों को औपचारिक रूप से इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कूटनीतिक बातचीत शुरू करने के लिए कहा। हमने संभावित तारीखों का भी प्रस्ताव रखा लेकिन हमारे प्रस्ताव का समय पर जवाब नहीं दिया गया।
चीन पर भी नेपाल ने दिया 'ज्ञान'नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने कहा कि चीन और भारत का उदय साथ-साथ कैसे जुड़ते हैं, उनकी साझेदारी कैसे आगे बढ़ेगी और कैसे वे अपने मतभेदों को दूर करेंगे। इससे निश्चित रूप से एशिया या कम से कम इस क्षेत्र का भविष्य निश्चित होगा। उन्होंने कहा कि वुहान समिट ने दोनों देशों के बीच साझेदारी को गहरा किया लेकिन गलवान घाटी में संघर्ष के बाद तनाव बना हुआ है। दोनों देश तनाव दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि यह मुश्किल है।