कोरोना वायरस / डेल्टा प्लस की वजह से तीसरी लहर के आने के सबूत नहीं: भारत के शीर्ष जीनोम सीक्वेंसर

Zoom News : Jun 24, 2021, 04:41 PM
नई दिल्ली: कोविड-19 के डेल्टा वैरिएंट के बाद अब डेल्टा प्लस का संक्रमण भी दिखने लगा है। पूरे देश में डेल्टा प्लस के लगभग 30 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 21 अकेले महाराष्ट्र में हैं। लेकिन, एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। अभी तक की स्टडी में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है जिससे डेल्टा की तुलना में डेल्टा प्लस ज्यादा खतरनाक हो। एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा प्लस की वजह से तीसरी लहर आएगी, ऐसा नहीं लग रहा।

इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट में भी अब नया बदलाव देखा जा रहा है, जिसे डेल्टा प्लस कहा जा रहा है। अभी दो डेल्टा प्लस वैरिएंट नजर आ रहे हैं, जिसे डेल्टा वैरिएंट की तरह AY.1 और AY.2 का नाम दिया गया है। इन दोनों में एक और नई म्यूटेशन नजर आई है जिसे AK417N नाम दिया गया है।

इस म्यूटेशन की अहमियत देखी जाए, तो डेल्टा प्लस भी डेल्टा जैसा ही है, बहुत फर्क नहीं है। अभी ऐसा लग रहा है कि जहां-जहां डेल्टा वैरिएंट फैल चुका है, वहां पर डेल्टा प्लस फैलने की आशंका बहुत कम है। महाराष्ट्र में भी यह बहुत ज्यादा नहीं फैला है। अभी ऐसा नहीं लग रहा कि डेल्टा प्लस ज्यादा खतरनाक होगा। यह डेल्टा जैसा ही है। थोड़े-बहुत का फर्क हो सकता है। लेकिन, डेल्टा अपने आप में ही काफी तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है। डेल्टा प्लस, डेल्टा के बराबर भी होना चिंता की बात है। अपने देश में तो पहले से ही डेल्टा फैला हुआ है तो डेल्टा प्लस भी बहुत ज्यादा असर नहीं कर पाएगा। लेकिन, अगर किसी और देश में यह पहुंच जाए, जहां पर डेल्टा नहीं था, तो वहां पर इसका ज्यादा असर हो सकता है। जीनोम सिक्वेंसिंग करते रहना जरूरी है।

डॉ. अनुराग ने कहा, मुझे नहीं लगता कि देश में डेल्टा प्लस की वजह से कोरोना की तीसरी लहर आएगी। बहुत ज्यादा फर्क वाला वैरिएंट आता है, तो ही तीसरी लहर आ सकती है। डेल्टा प्लस से ज्यादा लोगों को इस बात की चिंता करनी चाहिए कि दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। डेल्टा का असर अभी चल रहा है। दूसरी लहर अभी भी खतरनाक साबित हो सकती है। उसकी चिंता ज्यादा करें, डेल्टा प्लस और तीसरी लहर की चिंता कम करें।

नहीं हैं बहुत ज्यादा अलग लक्षण

इस वैरिएंट में भी पिछले वैरिएंट जैसा ही लक्षण है। लेकिन यह तेजी से फैलता है और एंटीबॉडी के असर को कम कर देता है। सीवियरिटी भी अलग से कुछ ज्यादा नहीं है। डेल्टा को झेल चुके हैं, तो डेल्टा प्लस से डरने की जरूरत नहीं है।

सारे वैरिएंट में इलाज एक जैसा

कोरोना वायरस के खिलाफ कोई दवा नहीं है। अभी इससे होने वाले संक्रमण के बाद उभरते लक्षण का इलाज होता है। इसलिए नए वैरिएंट में भी वही इलाज है, जो पहले हो रहा था। इलाज के तरीके में कोई बदलाव नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि मास्क पहनें। मास्क पहनने से संक्रमण से बचाव होगा और वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा सबसे ज्यादा अहम चीज है कि जब भी मौका मिले, वैक्सीनेशन जरूर कराएं।

ऐसे समझें वायरस के बदलते रूप को

वायरस के जेनेटिक कोड में जब बदलाव आता है तो उसे म्यूटेशन कहते हैं। जिस वायरस के अंदर म्यूटेशन आए, उसे म्यूटेंट कहा जाता है। और जब किसी म्यूटेशन वाले वायरस का कई सारा क्लस्टर बन जाए तो उसे वैरिएंट कहते हैं। यानी जब एक ही वायरस के रूप बार-बार मिलने लगें तो यह समझा जाता है कि उस वाले वायरस का नया वैरिएंट फैलने लगा है। हर वायरस के कई सारे वैरिएंट होते हैं, लेकिन जब यह बार-बार मिलने लगता है तो इसे वैरिएंट का फैलाव मान लिया जाता है।

तीसरी लहर का खतरा नहीं, एक्सपर्ट्स बोले

देश के टॉप वायरोलॉजिस्ट और महामारी एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर अभी नहीं आने वाली। ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार नहीं जो बताए कि अगली लहर कभी भी आ सकती है। बता दें कि कई अनुमानों में अक्टूबर तक तीसरी लहर आने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की पूर्व प्रफेसर और वायरोलॉजिस्ट डॉ. विजया कहती हैं, कोविड मामलों में नए सिरे से उछाल के अनुमान के पीछे कोई वैज्ञानिक आंकड़ा या तकनीकी आधार नहीं है। हालांकि हमें इस बात पर फिक्रमंद होना चाहिए कि अगर लोगों ने ऐहतियात बरतनी छोड़ दी तो मौजूदा लहर में जो मामले कम हो रहे हैं, वे फिर से बढ़ सकते हैं। कर्नाटक के मामले पर स्टेट कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ एमके सुदर्शन कहते हैं, अक्टूबर से पहले कोई ताजा लहर आने की संभावना कम है। राज्य के अधिकारियों ने महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स के सदस्यों से संपर्क किया और वहां से भी यही पता लगा कि अभी लहर आने का कोई सबूत नहीं है।

नए वैरिएंट पर आएगी तीसरी लहर

जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जेकब जॉन कहते हैं, देश में तब तक तीसरी लहर नहीं आएगी, जब तक कि कोरोना का नया वैरिएंट सामने नहीं आता। मौजूदा वैरिएंट नई लहर को जन्म नहीं दे सकता। वह कहते हैं, डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट एक जैसे ही हैं, बस थोड़ा सा फर्क है। जुलाई के अंत तक यह महामारी अंत की ओर होगी क्योंकि तब संक्रमण के मामले बहुत कम होंगे और बेहतर वैक्सिनेशन से हम इस साल कोविड से निजात पा लेंगे। वह कहते हैं, कई स्टडी, सीरो सर्वे बताते हैं कि ज्यादातर भारतीय वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और बड़ी तादाद में मामले सामने आए ही नहीं। ऐसे में ज्यादातर आबादी के भीतर नैचुरल इम्यूनिटी है और अब वैक्सीन कवरेज भी बढ़ जाने से भविष्य में संक्रमण बहुत कम ही फैल सकेगा।

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