Pakistan New Map Explainer / कश्मीर ही नहीं, जूनागढ़ और सर क्रीक पर पाकिस्तान ने इसलिए ठोका अपना दावा

navpradesh : Aug 05, 2020, 08:23 AM
पाकिस्तान ने मंगलवार को अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया है। इसके जरिए पाकिस्तान की कोशिश है कि भारत के साथ जिन क्षेत्रों को लेकर उसका विवाद है, उन पर अपना दावा ठोक सके। जाहिर तौर पर इस नक्शे में कश्मीर के क्षेत्र शामिल हैं और सियाचिन पर पाकिस्तान ने खुलकर दावा किया है। हालांकि, हैरान करने वाली बात यह रही कि पाक ने कश्मीर ही नहीं गुजरात के हिस्सों को भी अपना बताया है। यहां तक कि Junagadh और मनवादर, जहां 1948 में जनमतसंग्रह के बाद भारत में विलय कर लिया गया था, उन तक को पाकिस्तान के नक्शे में अपना दिखाया गया है। माना जा रहा है कि समुद्र से जुड़े इन क्षेत्रों की संपदाओं पर पाकिस्तान की नजर है, इसलिए उसने ऐसा कदम उठाया है। यहां जानते हैं कि जूनागढ़, मनवादर और कच्छ के रण में Sir Creek पर पाकिस्तान क्यों कर रहा है दावा-

सर क्रीक पर खुलकर ठोका दावा

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि सर क्रीक में हिंदुस्तान जो दावा करता था, नक्शे में उसे खारिज कर दिया है। पाक का दावा है कि उसकी सीमा पूर्वी तट की ओर है जबकि भारत का दावा है कि यह पश्चिम की ओर है। पाकिस्तान का कहना है कि यहां भारत पाकिस्तान के सैकड़ों किलोमीटर के EEZ पर कब्जा करना चाहता है।

70 साल से सर क्रीक को लेकर विवाद जारी है। कच्छ के रण की दलदल के क्षेत्र में सर क्रीक 96 किमी चौड़ा पानी से जुड़ा मुद्दा है। पहले इसे बाण-गंगा के नाम से जाना जाता था। यह अरब सागर में खुलता है और एक तरह से गुजरात के रण को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है। इसे लेकर कच्छ और सिंध के बीच समुद्री सीमा पर विवाद है।

खास बात यह है कि सर क्रीक मछुआरों के लिए अहम संपदा है और इसे एशिया का सबसे बड़ा फिशिंग ग्राउंड माना जाता है। यही नहीं, मुमकिन है कि यहां तेल और गैस की मौजूदगी भी हो। पाकिस्तान का दावा है कि 1914 में सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हुए बॉम्बे सरकार रेजलूशन के तहत पूरा क्रीक पाकिस्तान का है। रेजलूशन के तहत दोनों क्षेत्रों के बीच सीमा क्रीक के पूर्व की ओर की गई जबकि भारत का दावा है कि 1925 में बने नक्शे के मुताबिक यह बीच में है।


इसलिए बौखलाया है पाकिस्तान

1947 में 15 अगस्त को अंग्रेजों से आजादी से ठीक पहले तक जम्मू-कश्मीर और हैदराबाद के अलावा गुजरात के जूनागढ़ ने भारत में शामिल होने का फैसला नहीं किया था। जूनागढ़ में करीब 80 फीसदी हिंदू आबादी थी और भारत सरकार की कोशिश थी कि जूनागढ़ के नवाब मोहम्मद महाबत खानजी III भारत के साथ आ जाएं लेकिन वह राजी नहीं थे। उन्होंने 15 सितंबर, 1947 को पाकिस्तान में विलय का फैसला किया। इस फैसले से जूनागढ़ की जनता भड़क गई और राज्य के कई हिस्से में नवाब के शासन के खिलाफ लोग उठ खड़े हुए। इससे नवाब अपने परिवार के साथ कराची चले गए। इसके बाद सरदार पटेल ने पाकिस्तान से जूनागढ़ के विलय की मंजूरी को रद्द करने और जनमत संग्रह कराने को कहा। जब पाकिस्तान ने इनकार कर दिया तो सरदार पटेल ने 1 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ में भारतीय सेना भेज दी। इसके बाद उसी साल दिसंबर में वहां जनमत संग्रह हुआ जिसमें 99 फीसदी लोगों ने भारत में रहने को चुना। बावजूद इसके अचानक पाकिस्तान अब इसे अपने नक्शे में शामिल कर दिया है।


मनवादर पर भी दावा

जूनागढ़ की तरह ही मनवादर में भी 22 अक्टूबर 1947 को भारत ने सत्ता संभाल ली और भारतीय पुलिसबल मनवादर पहुंच गया। यहां के खान साहिब गुलाम मोइनुद्दीन खान्जी ने भी पाकिस्तान में शामिल होना स्वीकार कर लिया था। हालांकि, जूनागढ़ के अंतर्गत आने की वजह से मनवादर के पास इसका अलग अधिकार नहीं था। खान साहिब को सोनगढ़ में नजरबंद कर दिया गया। यहां कार्यकारी प्रशासक को तैनात कर दिया गया और फिर रायशुमारी कराई गई जिसमें भारत के समर्थन में वोट पड़े। इसके बाद 15 फरवरी 1948 को इसका भारत में विलय होगा।

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