Russia-US / अब क्या रूस अमेरिका का चुनाव भी हैक करने वाला है?

News18 : Jul 19, 2020, 03:45 PM
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी से उम्मीदवार जो बिडेन (Joe Biden) ने डर जताया है कि रूस राष्ट्रपति चुनावों को हैक कर सकता है। बता दें कि अमेरिका में नवंबर में चुनाव होने जा रहे हैं। इसी को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति बिडेन ने खुफिया एजेंसियों के हवाले से ये डर जताया। उन्होंने कहा कि रूस चुनाव में दखल देने की बड़ी कोशिश कर सकता है ताकि वे न जीत सकें। वैसे खुफिया एजेंसियों की ये बात अहम इसलिए भी है कि इससे पहले भी साल 2016 में चुनाव में रूस पर ऐसा आरोप लगा था। उस साल भी ट्रंप ही जीतकर आए थे।


रूस को ट्रंप क्यों हैं पसंद

अब सवाल ये आता है कि ट्रंप से आखिर रूस को कोई फायदा है जो वो कथित तौर पर इलेक्शन में हस्तक्षेप का खतरा ले रहा है। इसका जवाब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक वाक्य से समझ आता है, जो उन्होंने हेलसिंकी में एक प्रेस वार्ता के दौरान कही थी। पुतिन ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि हां वे चाहते थे ट्रंप अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतें। पुतिन को यकीन था कि ट्रंप की विदेश नीतियां रूस के लिए ज्यादा दोस्ताना होंगी। बता दें कि अमेरिका और रूस का रिश्ता दो शक्तिशाली देशों के बीच मनोवैज्ञानिक लड़ाई जैसा रहा। अमेरिका एक ओर अपने बाजार के कारण सुपर पावर की तरह उभरा और स्थापित हुआ, वहीं रूस पहले से ही ताकतवर रहा था। हालांकि आर्थिक लड़ाई में वो अमेरिका की तरह आक्रामक साबित नहीं हो सका इसलिए पिछड़ गया।

ट्रंप रूस के लिए ज्यादा दोस्ताना

रूस और अमेरिका के बीच सीधी लड़ाई न होकर, दो महाशक्तियों के बीच की अप्रत्यक्ष लड़ाई है। वहीं ट्रंप का रवैया अक्सर रूस के लिए नर्म दिखता है। यही वजह है कि रूस ने साल 2016 में चुनाव जीतने के लिए ट्रंप की मदद की। कथित तौर पर ट्रंप का पूरा खजाना खुला हुआ था ताकि रूस चुनाव में दखल दे सके। हालांकि चुने जाने के बाद हेलसिंकी मीटिंग में ही ट्रंप ने कहा था कि उन्हें डर था कि रूस उन्हें नहीं आने देगा क्योंकि वे यानी ट्रंप सबसे पहले आते ही अपना सैन्य बल बढ़ाएंगे।

पुतिन और क्लिंटन का बैर

ट्रंप से पिछली बार के चुनाव में रूस का एक और हित सधता था। तब ट्रंप के खिलाफ हिलेरी क्लिंटन उम्मीदवार थीं। और पुतिन क्लिंटन्स को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। ये बिल्कुल खुली हुई बात थी। साल 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पुतिन ने संसदीय चुनावों में धोखाधड़ी के बाद सरकार विरोधी आंदोलनों के लिए अमेरिका और सेक्रेटरी ऑफ स्टेट क्लिंटन को दोषी ठहराया था। इसके उलट ट्रंप पुतिन की खुले तौर पर तारीफ करते थे। यहां तक कि उन्होंने ट्विटर पर भी ये उम्मीद जताई थी कि वे उनके नए सबसे अच्छे दोस्त बन जाएंगे।

नया नहीं है चुनावों में हस्तक्षेप

वैसे रूस का चुनावों में छिपकर दखल देना कुछ नया नहीं। उस पर ये आरोप लगते ही रहे हैं। कोल्ड वार के समय से इसकी शुरुआत हो चुकी थी। दूसरे विश्व युद्ध के बाद सभी बड़े देश एक-दूसरे से संबंधों के आधार पर चुनावों पर असर डालने की कोशिश करते थे। रूस भी इनमें से एक था। और अमेरिका भी अलग नहीं था।

साल 1996 में अमेरिका चाहता था कि रूस के प्रेसिडेंट बोरिस येल्तसिन दोबारा चुने जाएं। इसके लिए अमेरिका से कई महीनों पहले रूस के चुनावी एक्सपर्ट आए गए और येल्तसिन के पक्ष में माहौल तैयार किया। रूस भी अपने कैंडिडेट के मुताबिक अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करता रहा। जैसे साल 2016 में हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ ट्रंप की जीत के बाद भी कहा गया कि रूस ने ऐसा करवाया है।


कैसे करता है रूस चुनाव को प्रभावित

रूस तकनीकी रूप से काफी जानकार देश है। वो तकनीक के जरिए ही चुनावों पर असर डालता है। इसके लिए उसकी कई तरह की रणनीतियां हैं। जैसे सीएनएन की एक रिपोर्ट में एफबीआई डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने कहा कि इसके लिए वे सोशल मीडिया, फेक न्यूज, प्रोपेगंडा जैसी बातों का सहारा लेते हैं। इसी तरह से वोटर अगर कम जानकार है तो उसे गलत बातों से तुरंत प्रभावित किया जा सकता है। कुल मिलाकर भ्रम पैदा करके अपने पक्ष में माहौल बनाया जाता है। इस बार कहा जा रहा है कि रूस की सैन्य एजेंसियां अपने हैकर्स के जरिए अमेरिकी चुनाव की बड़ी जानकारियां हैक कर सकती हैं। ऐसे में पिछली बार के कथित चुनावी दखल के बाद जांच एजेंसियां काफी सतर्क हो चुकी हैं।

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