AajTak : Apr 13, 2020, 10:27 AM
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूएस स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि देश में एक संभावित महामारी का खतरा मंडरा रहा है लेकिन ट्रंप ने इस चेतावनी की गंभीरता को नजरअंदाज कर दिया था। ये खुलासा अमेरिकी समाचारपत्र न्यूयॉर्क टाइम्स ने किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि इस संदेश पर काम करने के बजाय ट्रंप इस मैसेज को दबाने में रह गए।
न्यूयॉर्क टाइम्स में इस बाबत एक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इसमें कहा गया है कि खुफिया विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से एक संभावित महामारी की चेतावनी ट्रंप को दी गई और उन्हें इसके असर के बारे में भी बताया गया था।ट्रंप को सब कुछ पता चलता रहा
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है, "आंतरिक मतभेद, योजना की कमी और ट्रंप का अपने ही सहज ज्ञान पर न यकीन कर पाने की वजह से इस बीमारी से निपटने की प्रतिक्रिया देने में देरी हुई है।" अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 5 लाख 30 हजार लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
धीमी रही राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
अखबार में कहा गया है कि व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकारों, कैबिनेट के वरिष्ठतम सहयोगियों और खुफिया विभाग ने खतरे की घंटी बजाई और ट्रंप से कहा कि इस चेतावनी पर आक्रामक काम करने की जरूरत है ताकि कोरोना के खतरे को टाला जा सके, लेकिन ट्रंप की प्रतिक्रिया इस पर धीमी रही।
आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में उलझ गए ट्रंपअखबार कहता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जो सिफारिशें आती थीं उस पर आंतरिक चर्चा के दौरान आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा होती थी, नतीजन इस बाबत देर से निर्णय लिए गए। एनवाईटी ने कहा कि नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल के अधिकारियों को जनवरी में ही वुहान से पैदा हुए नए वायरस के संभावित खतरों की चेतावनी मिल गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है, "स्टेट डिपार्टमेंट के महामारी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि ये वायरस महामारी का रूप ले सकता है। डिफेंस इंटेलिजेंस से जुड़ी एक संस्था नेशनल सेंटर फॉर मेडिकल इंटेलिजेंस ने भी ऐसी ही राय दी थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स में इस बाबत एक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इसमें कहा गया है कि खुफिया विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से एक संभावित महामारी की चेतावनी ट्रंप को दी गई और उन्हें इसके असर के बारे में भी बताया गया था।ट्रंप को सब कुछ पता चलता रहा
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है, "आंतरिक मतभेद, योजना की कमी और ट्रंप का अपने ही सहज ज्ञान पर न यकीन कर पाने की वजह से इस बीमारी से निपटने की प्रतिक्रिया देने में देरी हुई है।" अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 5 लाख 30 हजार लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
धीमी रही राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया
अखबार में कहा गया है कि व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकारों, कैबिनेट के वरिष्ठतम सहयोगियों और खुफिया विभाग ने खतरे की घंटी बजाई और ट्रंप से कहा कि इस चेतावनी पर आक्रामक काम करने की जरूरत है ताकि कोरोना के खतरे को टाला जा सके, लेकिन ट्रंप की प्रतिक्रिया इस पर धीमी रही।
आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में उलझ गए ट्रंपअखबार कहता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जो सिफारिशें आती थीं उस पर आंतरिक चर्चा के दौरान आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा होती थी, नतीजन इस बाबत देर से निर्णय लिए गए। एनवाईटी ने कहा कि नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल के अधिकारियों को जनवरी में ही वुहान से पैदा हुए नए वायरस के संभावित खतरों की चेतावनी मिल गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है, "स्टेट डिपार्टमेंट के महामारी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि ये वायरस महामारी का रूप ले सकता है। डिफेंस इंटेलिजेंस से जुड़ी एक संस्था नेशनल सेंटर फॉर मेडिकल इंटेलिजेंस ने भी ऐसी ही राय दी थी।