AajTak : Apr 10, 2020, 03:46 PM
न्यूजीलैंड: दुनिया के कुछ देश कोरोना वायरस से लड़ाई में बाकी देशों से काफी आगे निकल चुके हैं। इनमें न्यूजीलैंड भी शामिल है। न्यूजीलैंड में लगातार चार दिनों से कोरोना वायरस के मामलों में कमी आ रही है। गुरुवार को न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 29 नए और संभावित केस रिपोर्ट किए। न्यूजीलैंड में अब तक संक्रमण के कुल 1332 मामले सामने आ चुके हैं और 2 मौतें हुई हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित 317 लोग रिकवर भी हो चुके हैं।
न्यूजीलैंड की आबादी महज 50 लाख है। यहां 15 दिनों का लॉकडाउन पूरा हो चुका है और वह इससे लड़ाई में काफी हद तक कामयाब भी दिखाई दे रहा है। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने गुरुवार को दिए भाषण में कहा, हम धीरे-धीरे हालात काबू करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं और हमारी योजना काम कर रही है।
जहां बाकी देश कोरोना वायरस से थोड़ी सी राहत मिलने पर लॉकडाउन हटाने और नियमों में ढील देने जैसे कदम उठाने को तत्पर हैं, न्यूजीलैंड ऐसी किसी जल्दबाजी में नहीं है। डेनमार्क में कोरोना वायरस संक्रमण के 5597 मामले हैं और 218 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। डेनमार्क ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस के मामलों में स्थिरता आती है तो अगले सप्ताह से वह लॉकडाउन हटाना शुरू कर देगा।
हालांकि, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने गुरुवार को कहा कि वह बॉर्डर पर प्रतिबंध और सख्त कर रही हैं। आर्डेन ने कहा कि जो भी देश में बाहर से प्रवेश करेंगे, उन्हें दो हफ्ते के लिए घर के बजाय सरकारी फैसिलिटी में क्वारंटीन किया जाएगा। यह नियम सिर्फ न्यूजीलैंड के निवासियों पर ही लागू होगा, विदेशी नागरिकों की एंट्री 20 मार्च से ही बैन है।
आर्डेन ने कहा, 15 दिनों के लॉकडाउन को देखते हुए मैं ये कहना चाहती हूं कि न्यूजीलैंड के लोगों ने बहुत बड़ा काम किया है। आप सब लोगों ने मिलकर फैसला लिया और एक-दूसरे को सुरक्षित किया। आप लोगों ने कई जानें बचाईं। हालांकि, जैसा मैंने कहा है कि अभी हमारे सामने पूरी मैराथन बाकी है।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में न्यूजीलैंड के पास दो अहम हथियार हैं- भौगोलिक स्थिति और सही वक्त पर फैसले। 28 फरवरी को न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस सामने आया था जबकि अमेरिका में ठीक एक महीने बाद कोरोना वायरस ने दस्तक दी। 29 मार्च को अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस सामने आया था लेकिन उसके बाद से मौत का सिलसिला फिर रूका ही नहीं।
ओटेगा यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर माइकल बेकर ने कोरोना वायरस की रोकथाम में न्यूजीलैंड सरकार की मदद की है। उन्होंने सीएनएन से बातचीत में कहा, मुझे लगता है कि हमारे पास सोचने के लिए पर्याप्त वक्त था और चीन के उदाहरण से भी हमने बहुत कुछ सीखा।
ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट सियॉक्सी वाइल्स ने कहा, न्यूजीलैंड एक आइलैंड है और दुनिया से काफी कटा हुआ है। बाकी देशों की तुलना में न्यूजीलैंड में काफी कम फ्लाइट्स आती हैं। आर्डेन ने भी इसे प्लस पॉइंट बताया। गुरुवार को आर्डेन ने कहा कि वायरस की रोकथाम में न्यूजीलैंड का आइलैंड होना काफी मददगार साबित हुआ। बेकर कहते हैं, हालांकि असली वजह है कि न्यूजीलैंड में वैज्ञानिक नजरिए और अच्छे नेतृत्व ने मिलकर इस महामारी पर काबू पा लिया। न्यूजीलैंड ने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग कराई, आज की तारीख में न्यूजीलैंड 51,165 टेस्ट करा चुका है। जबकि न्यूजीलैंड से 13 गुनी आबादी वाले देश यूके में अभी तक 2 लाख टेस्ट ही हुए हैं।
बेकर ने कहा कि वह बेहद निराश हैं कि सीमित संसाधन वाले न्यूजीलैंड की तुलना में यूएस और यूके जैसे देश कोरोना वायरस की चुनौती से नहीं निपट पाए जबकि इन देशों के पास दुनिया के महान वैज्ञानिक हैं। बेकर ने कहा, हमें जो पता था वो पूरी दुनिया को पता था। पूरी दुनिया को आभास हो गया था कि ये एक सुनामी है जिसकी गति धीमी करनी होगी। जहां यूके प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने नागरिकों को चेतावनी दे रहे थे कि उन्हें अपने करीबियों को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं, आर्डेन ने कहा कि वह लोगों पर अर्थव्यवस्था को तरजीह नहीं देगी। आर्डेन ने कोरोना वायरस के खतरे का तेजी से जवाब दिया।आर्डेन ने 14 मार्च को कहा कि देश में आने वाले हर शख्स को दो सप्ताह के लिए सेल्फ क्वारंटीन करना होगा। पूरी दुनिया में उस वक्त तक ऐसी सख्त पाबंदियां लागू नहीं की गई थीं। न्यूजीलैंड में तब कोरोना वायरस संक्रमण के सिर्फ 6 मामले ही थे। 19 मार्च को जब आर्डेन ने विदेशियों की अपने देश में एंट्री बैन की तो वहां सिर्फ 28 केस ही थे। 23 मार्च को आर्डेन ने ऐलान किया कि देश में लॉकडाउन लागू करने जा रही हैं। लॉकडाउन की घोषणा के वक्त 102 मामले थे और एक भी मौत नहीं हुई थी। वाइल्स कहते हैं, न्यूजीलैंड में हमारे पास बहुत सारे आईसीयू बेड नहीं हैं। इसलिए आर्डेन ने बहुत तेजी से फैसले लिए और कड़े कदम उठाए। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस से संक्रमण से अब तक सिर्फ दो मौतें हुई हैं। न्यूजीलैंड में कम मृत्यु दर के पीछे युवा आबादी भी एक फैक्टर है। कोरोना वायरस से दुनिया भर में सबसे ज्यादा बुजुर्गों की मौत हो रही हैं। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस के पुष्ट और संभावित मामलों में 25 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। जबकि 15 फीसदी मामले 30-39 उम्र वालों के हैं। वहीं अमेरिका में 2500 मरीजों पर हुए एक स्टडी में पाया गया कि 29 फीसदी कोरोना संक्रमितों की उम्र 20 से 44 के बीच है। बेकर का कहना है कि यहां के युवा स्वस्थ भी हैं जिससे कोरोना वायरस की रोकथाम में मदद मिल रही है।
न्यूजीलैंड की आबादी महज 50 लाख है। यहां 15 दिनों का लॉकडाउन पूरा हो चुका है और वह इससे लड़ाई में काफी हद तक कामयाब भी दिखाई दे रहा है। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने गुरुवार को दिए भाषण में कहा, हम धीरे-धीरे हालात काबू करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं और हमारी योजना काम कर रही है।
जहां बाकी देश कोरोना वायरस से थोड़ी सी राहत मिलने पर लॉकडाउन हटाने और नियमों में ढील देने जैसे कदम उठाने को तत्पर हैं, न्यूजीलैंड ऐसी किसी जल्दबाजी में नहीं है। डेनमार्क में कोरोना वायरस संक्रमण के 5597 मामले हैं और 218 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। डेनमार्क ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस के मामलों में स्थिरता आती है तो अगले सप्ताह से वह लॉकडाउन हटाना शुरू कर देगा।
हालांकि, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने गुरुवार को कहा कि वह बॉर्डर पर प्रतिबंध और सख्त कर रही हैं। आर्डेन ने कहा कि जो भी देश में बाहर से प्रवेश करेंगे, उन्हें दो हफ्ते के लिए घर के बजाय सरकारी फैसिलिटी में क्वारंटीन किया जाएगा। यह नियम सिर्फ न्यूजीलैंड के निवासियों पर ही लागू होगा, विदेशी नागरिकों की एंट्री 20 मार्च से ही बैन है।
आर्डेन ने कहा, 15 दिनों के लॉकडाउन को देखते हुए मैं ये कहना चाहती हूं कि न्यूजीलैंड के लोगों ने बहुत बड़ा काम किया है। आप सब लोगों ने मिलकर फैसला लिया और एक-दूसरे को सुरक्षित किया। आप लोगों ने कई जानें बचाईं। हालांकि, जैसा मैंने कहा है कि अभी हमारे सामने पूरी मैराथन बाकी है।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में न्यूजीलैंड के पास दो अहम हथियार हैं- भौगोलिक स्थिति और सही वक्त पर फैसले। 28 फरवरी को न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस सामने आया था जबकि अमेरिका में ठीक एक महीने बाद कोरोना वायरस ने दस्तक दी। 29 मार्च को अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस सामने आया था लेकिन उसके बाद से मौत का सिलसिला फिर रूका ही नहीं।
ओटेगा यूनिवर्सिटी में पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर माइकल बेकर ने कोरोना वायरस की रोकथाम में न्यूजीलैंड सरकार की मदद की है। उन्होंने सीएनएन से बातचीत में कहा, मुझे लगता है कि हमारे पास सोचने के लिए पर्याप्त वक्त था और चीन के उदाहरण से भी हमने बहुत कुछ सीखा।
ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजिस्ट सियॉक्सी वाइल्स ने कहा, न्यूजीलैंड एक आइलैंड है और दुनिया से काफी कटा हुआ है। बाकी देशों की तुलना में न्यूजीलैंड में काफी कम फ्लाइट्स आती हैं। आर्डेन ने भी इसे प्लस पॉइंट बताया। गुरुवार को आर्डेन ने कहा कि वायरस की रोकथाम में न्यूजीलैंड का आइलैंड होना काफी मददगार साबित हुआ। बेकर कहते हैं, हालांकि असली वजह है कि न्यूजीलैंड में वैज्ञानिक नजरिए और अच्छे नेतृत्व ने मिलकर इस महामारी पर काबू पा लिया। न्यूजीलैंड ने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग कराई, आज की तारीख में न्यूजीलैंड 51,165 टेस्ट करा चुका है। जबकि न्यूजीलैंड से 13 गुनी आबादी वाले देश यूके में अभी तक 2 लाख टेस्ट ही हुए हैं।
बेकर ने कहा कि वह बेहद निराश हैं कि सीमित संसाधन वाले न्यूजीलैंड की तुलना में यूएस और यूके जैसे देश कोरोना वायरस की चुनौती से नहीं निपट पाए जबकि इन देशों के पास दुनिया के महान वैज्ञानिक हैं। बेकर ने कहा, हमें जो पता था वो पूरी दुनिया को पता था। पूरी दुनिया को आभास हो गया था कि ये एक सुनामी है जिसकी गति धीमी करनी होगी। जहां यूके प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने नागरिकों को चेतावनी दे रहे थे कि उन्हें अपने करीबियों को खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं, आर्डेन ने कहा कि वह लोगों पर अर्थव्यवस्था को तरजीह नहीं देगी। आर्डेन ने कोरोना वायरस के खतरे का तेजी से जवाब दिया।आर्डेन ने 14 मार्च को कहा कि देश में आने वाले हर शख्स को दो सप्ताह के लिए सेल्फ क्वारंटीन करना होगा। पूरी दुनिया में उस वक्त तक ऐसी सख्त पाबंदियां लागू नहीं की गई थीं। न्यूजीलैंड में तब कोरोना वायरस संक्रमण के सिर्फ 6 मामले ही थे। 19 मार्च को जब आर्डेन ने विदेशियों की अपने देश में एंट्री बैन की तो वहां सिर्फ 28 केस ही थे। 23 मार्च को आर्डेन ने ऐलान किया कि देश में लॉकडाउन लागू करने जा रही हैं। लॉकडाउन की घोषणा के वक्त 102 मामले थे और एक भी मौत नहीं हुई थी। वाइल्स कहते हैं, न्यूजीलैंड में हमारे पास बहुत सारे आईसीयू बेड नहीं हैं। इसलिए आर्डेन ने बहुत तेजी से फैसले लिए और कड़े कदम उठाए। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस से संक्रमण से अब तक सिर्फ दो मौतें हुई हैं। न्यूजीलैंड में कम मृत्यु दर के पीछे युवा आबादी भी एक फैक्टर है। कोरोना वायरस से दुनिया भर में सबसे ज्यादा बुजुर्गों की मौत हो रही हैं। न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस के पुष्ट और संभावित मामलों में 25 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच है। जबकि 15 फीसदी मामले 30-39 उम्र वालों के हैं। वहीं अमेरिका में 2500 मरीजों पर हुए एक स्टडी में पाया गया कि 29 फीसदी कोरोना संक्रमितों की उम्र 20 से 44 के बीच है। बेकर का कहना है कि यहां के युवा स्वस्थ भी हैं जिससे कोरोना वायरस की रोकथाम में मदद मिल रही है।