देश / विपक्षी दलों की बैठक में बोलीं सोनिया गांधी- आर्थिक पैकेज देश के साथ क्रूर मजाक

AajTak : May 22, 2020, 09:53 PM
नई दिल्ली | देश में कोरोना वायरस और चक्रवाती तूफान अम्फान संकट के बीच शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में केंद्र सरकार से अम्फान को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई। वहीं सोनिया गांधी ने बैठक की शुरुआत करने के साथ ही कोरोना संकट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका लगा है। प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने बड़े पैमाने पर राजकोषीय प्रोत्साहन दिए जाने की तत्काल आवश्यकता की सलाह दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया और फिर वित्त मंत्री अगले पांच दिनों तक उसका विवरण देती रहीं। यह देश के साथ एक क्रूर मजाक था।

बैठक में सोनिया गांधी ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कोरोना को 21 दिन में खत्म करने की पीएम का दावा धराशायी हुआ। सरकार के पास लॉकडाउन को लेकर कोई प्लान नहीं था। सरकार के पास करोना संकट से बाहर निकलने की कोई नीति नहीं थी। लगातार लॉकडाउन का कोई फायदा नहीं हुआ, नतीजे खराब ही निकले। कोरोना टेस्ट और पीपीई किट के मोर्चे पर भी सरकार विफल रही। अर्थव्यवस्था चरमरा गई, लॉकडाउन के नाम पर क्रूर मज़ाक हुआ। सारी शक्तियां पीएमओ के पास हैं, वो कर्मचारियों और कंपनियों के हितों की सुरक्षा करें।

सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरुआत में उम्मीद जताई थी कि इस पर 21 दिन में काबू पा लिया जाएगा, जबकि उनकी धारणा गलत साबित हुई। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल लॉकडाउन के मानदंडों को लेकर अनिश्चित थी, बल्कि उसके पास इससे निकलने की भी कोई रणनीति नहीं थी। इस क्रमिक लॉकडाउन के नतीजे भी खास नहीं देखने को मिले।

सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना टेस्ट और टेस्टिंग किट के आयात पर भी झटका लगा। लॉकडाउन से उपजे संकट पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नकदी गरीबों को हस्तांतरित की जानी चाहिए, सभी परिवारों को मुफ्त अनाज वितरित किया जाना चाहिए, प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों में वापस जाने के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुरक्षा के लिए वेतन सहायता और मजदूरी संरक्षण निधि स्थापित की जानी चाहिए। सोनिया गांधी ने पीएसयू को बेचने को हरी झंडी देने की निंदा की और श्रम कानूनों को बहाल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सारी शक्ति अब एक कार्यालय, पीएमओ में केंद्रित हो गई है। संघवाद की भावना जो हमारे संविधान का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसे भुला दिया गया है। संसद के दोनों सदनों या स्थायी समितियों को बैठक करने के लिए बुलाया जाएगा या नहीं।।।इसका कोई संकेत नजर नहीं आता है।

सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी रहीं दूर

बता दें कि इस बैठक में विपक्ष के कई बड़े चेहरे शामिल हुए। इनमें एऩसीपी अध्यक्ष शरद पवार, सीताराम येचुरी, तेजस्वी यादव, डीएमके के एमके स्टालिन, और शिवसेना के संजय राउत जैसे नेताओं ने अपने अपने दलों का प्रतिनिधित्व किया। गैर बीजेपी राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी बैठक का हिस्सा रहे। मगर इस बैठक में सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया।

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