दुनिया / भारत को तेवर दिखाना PAK को पड़ रहा भारी, विरोध में उतरीं दवा कंपनियां

AajTak : May 15, 2020, 03:05 PM
पाकिस्तान भारत से दुश्मनी निभाने के चक्कर में खुद ही तमाम मुश्किलों में फंस गया है। अगस्त महीने में जब नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर पूरी तरह से बैन लगाने जैसा आत्मघाती कदम उठा लिया। कोरोना वायरस की महामारी के दौर में अब पाकिस्तान की ही दवा कंपनियां अपनी सरकार को भारत से आयात बैन करने को लेकर आगाह कर रही हैं।

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में भारत से दवाओं के आयात को लेकर हंगामा मचा हुआ है। भारत से व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान ने जीवनरक्षक दवाओं के आयात को लेकर छूट दे दी थी। हालांकि, जीवनरक्षक दवाओं की आड़ में भारत से विटामिन्स से लेकर सरसों का तेल भी मंगाया जाने लगा। जब ये बात सामने आई तो पाकिस्तान की सरकार सवालों के घेरे में आ गई। विवाद बढ़ने पर पाकिस्तान की सरकार ने पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि, पाकिस्तान सरकार की संभावित कार्रवाई को लेकर वहां की फार्मा इंडस्ट्री में खलबली मच गई है।

पाकिस्तान की फार्मा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने सरकार को चेतावनी दी है कि भारत के कच्चे माल पर भारी निर्भरता को देखते हुए इसके आयात पर बैन लगाने का कदम ना उठाया जाए। एसोसिएशन ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो दवाओं के उत्पादन में 50 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे ना केवल पाकिस्तान में दवाओं की किल्लत होगी बल्कि कोरोना वायरस से देश की लड़ाई भी कमजोर पड़ जाएगी।

फार्मा एसोसिएशन (पीपीएमए) के वाइस चेयरमैन सैय्यद फारूक बुखारी ने कहा कि जब देश में कोरोना वायरस के मरीज बढ़ रहे हैं तो केंद्रीय कैबिनेट को भारत या किसी भी दूसरे देश से दवाओं और उसके लिए जरूरी कच्चे माल के आयात को बैन करने जैसा कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।

बुखारी ने कहा, ऐसे वक्त में जब केंद्र और प्रांतीय सरकारें देश में बढ़ते कोरोना के मामलों से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर्स, आइसोलेशन फैसिलिटी और अस्पतालों में विशेष वार्ड बनाने में जुटी हुई है, तो कोरोना मरीजों के लिए जरूरी दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित किए जाने की भी सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, कोरोना से निपटने के लिए पाकिस्तान की फार्मा इंडस्ट्री को अपनी पूरी क्षमता से दवाओं का उत्पादन करना होगा लेकिन इसके लिए अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट से कच्चे माल की आपूर्ति जारी रखनी होगी।

उन्होंने कहा, भारत से फार्मा उद्योग के लिए जरूरी कच्चे माल का आयात तमाम नियामक संस्थाओं और प्रशासन की निगरानी में किया जा रहा था। भारत से आयात को वाणिज्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) से भी मंजूरी मिली थी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस सप्लाई चेन को बाधित किया जाता है तो इससे पाकिस्तान में कोरोना वायरस के इलाज पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।

पीपीएमए के पूर्व चेयरमैन डॉ। केसर वहीद ने भी सरकार को आगाह किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 95 फीसदी ड्रग (दवा) उत्पादन दूसरे देशों से लाए गए कच्चे माल पर निर्भर है। इसमें से भारत की हिस्सेदारी 50 फीसदी है जबकि बाकी चीन और कुछ यूरोपीय देशों से भी आयात किया जाता है। भारत से बहुत कम रेडीमेड दवाएं आती हैं, इनमें वैक्सीन इत्यादि शामिल हैं।

उन्होंने कहा, भारत से दवा आयात के पूरे मामले को सरकार के सामने ठीक तरह से पेश नहीं किया जा सका। स्वस्थ शरीर और मन के लिए सभी दवाइयां जरूरी होती हैं। विटामिन्स भी दूसरी दवाओं की तरह ही जरूरी हैं क्योंकि उनकी कमी से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

पाकिस्तान की संसद में विपक्षी दल इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान पर हमलावर हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सेक्रेटरी जनरल नैय्यर हुसैन बुखारी ने कहा कि भारत से व्यापार बैन के बावजूद अरबों रुपये की दवाइयों के आयात कराने की संसदीय समिति द्वारा जांच होनी चाहिए। बुखारी ने कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

इससे पहले, पाकिस्तान की मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ भी दवाओं के घोटाले को लेकर संसदीय समिति से जांच की मांग कर चुके हैं। विपक्षी नेता ने कहा कि अगर उनकी सरकार के दौरान ऐसा कुछ होता तो इमरान खान ने उनकी सरकार के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा कर दिया होता।

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