दुनिया / सऊदी को नाराज कर पाकिस्तान ने किया अपना ही भारी नुकसान

AajTak : Aug 12, 2020, 03:38 PM
Delhi: कश्मीर मुद्दे पर भारत को घेरने के चक्कर में पाकिस्तान ने अपने दोस्त सऊदी अरब को ही नाराज कर दिया है। पिछले कुछ दिनों में हुए कई घटनाक्रमों से ये संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले सप्ताह पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुले आम सऊदी अरब की आलोचना कर सबको चौंका दिया था। कुरैशी ने चेतावनी दी थी कि सऊदी कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन की विदेश मंत्री स्तर की बैठक बुलाने में देरी ना करे नहीं तो वह दूसरे मुस्लिम देशों के साथ अलग बैठक बुलाने पर मजबूर हो जाएगा। अपने इस आक्रामक बयान से कुरैशी ने बहुत कुछ दांव पर लगा दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुरैशी के बयान के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कर्ज और उधार में तेल देने की सुविधा खत्म कर दी है। पिछले सप्ताह, पाकिस्तान को सऊदी अरब को 1 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए भी मजबूर होना पड़ा।

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने कर्ज लौटाने की अवधि पूरी होने से पहले ही सऊदी को 1 अरब डॉलर का कर्ज लौटा दिया है। सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि अगर चीन से मदद मिल जाती है तो पाकिस्तान 2 अरब डॉलर का नकद कर्ज भी सऊदी को वापस कर सकता है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को दूसरी बार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस टाल दी जिसके बाद कयास और तेज हो गए हैं। कहा जा रहा है कि कश्मीर मुद्दे को लेकर कुरैशी के बयान पर सऊदी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और कुरैशी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर अपने बयान पर सफाई देना चाहते थे। हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस दूसरी बार टलने के बाद लग रहा है कि ये विवाद अब प्रेस कॉन्फ्रेंस से नहीं सुलझने वाला है।

पाकिस्तानी न्यूज चैनल एआरवाई न्यूज से एक टॉक शो में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था, "मैं एक बार फिर सम्मानपूर्वक ढंग से इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को बताना चाहता हूं कि हमारी अपेक्षा विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक से कम कुछ नहीं है। अगर आप इसे नहीं बुला सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से ये आग्रह करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा कि वो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ खड़े इस्लामिक देशों के साथ अलग से बैठक बुलाएं।"

ओआईसी मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा वैश्विक मंच है। इसके 57 देश सदस्य हैं। भारत के जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के फैसले के बाद से ही पाकिस्तान ओआईसी से बैठक बुलाने की मांग कर रहा है। कुरैशी ने कहा कि कश्मीर पर विदेश मंत्रियों के स्तर की बैठक इसलिए नाकाम रही क्योंकि सऊदी अरब पाकिस्तान के अनुरोध को स्वीकार करने को लेकर अनिच्छुक था। ओआईसी में किसी भी प्रस्ताव को पास कराने के लिए सऊदी का समर्थन बहुत जरूरी है क्योंकि इस संगठन में सऊदी अरब का ही दबदबा है।

कुरैशी से पहले पाकिस्तान में कभी किसी ने सऊदी की सार्वजनिक तौर पर इस तरह से आलोचना नहीं की थी। कुरैशी ने कहा था, "पाकिस्तान पिछले साल दिसंबर में सऊदी के कहने पर ही कुआलालंपुर समिट में शामिल नहीं हुआ था। अब पाकिस्तान के मुसलमान सऊदी को कश्मीर मुद्दे पर नेतृत्व करते देखना चाहते हैं। हमारी अपनी संवेदनाएं हैं और खाड़ी देशों को इस बात को समझना होगा।" कुरैशी ने कहा कि वह भावुक होकर ऐसा नहीं कह रहे हैं बल्कि वे अपने बयान के मायने को अच्छी तरह समझते हुए ऐसा कह रहे हैं। कुरैशी ने कहा, मैं सऊदी अरब के साथ अच्छे संबंधों के बावजूद अपना पक्ष स्पष्ट कर रहा हूं क्योंकि हम कश्मीरियों की प्रताड़ना पर और खामोश नहीं रह सकते हैं।"

हालांकि, पाकिस्तान को सऊदी अरब से खराब रिश्तों की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने फरवरी 2019 में जब पाकिस्तान का दौरा किया था तो करीब 20 अरब डॉलर के समझौतों के एओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए थे। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान ने सऊदी के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा तो सारा निवेश खतरे में पड़ जाएगा।

रणनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान को इस मुद्दे को बेहद सतर्कता के साथ हैंडल करना चाहिए था क्योंकि प्रिंस सलमान युवा है और उनका रवैया आक्रामक भी है।

सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ सालाना 3 अरब डॉलर कैश सपोर्ट और 3।2 अरब डॉलर की तेल आपूर्ति का समझौता किया है। समझौते में इस सुविधा को अगले दो सालों तक बढ़ाए जाने का भी प्रावधान किया गया है। सऊदी के सहयोगी यूएई ने भी दिसंबर 2018 में पाकिस्तान के लिए 6।2 अरब डॉलर के पैकेज का ऐलान किया था जिसमें 3।2 अरब डॉलर की तेल आपूर्ति के जरिए मदद भी शामिल थी। हालांकि, बाद में यूएई ने अपनी आर्थिक सहायता घटाकर 2 अरब डॉलर कर दिया और 3।2 अरब डॉलर की तेल आपूर्ति की योजना भी रद्द कर दी थी।

आर्थिक मदद और पाकिस्तान में निवेश के अलावा, सऊदी अरब में करीब 27 लाख पाकिस्तानी रहते हैं। पिछले साल, सऊदी ने पाकिस्तान की मेडिकल डिग्री पर सवाल खड़े करते हुए कई पाकिस्तानी डॉक्टरों को वापस भेज दिया था जिसके बाद बड़ा विवाद हुआ था। इसके अलावा, हज के लिए भी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी हर साल सऊदी जाते हैं। जाहिर है कि पाकिस्तानी इन सारे फैक्टरों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री के इस बयान की आलोचना उनके देश में ही हो रही है। विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के महासचिव एहसान इकबाल ने कहा कि एक दोस्त देश के बारे में कुरैशी का बयान बेहद गैर-जिम्मेदाराना है और अब तक की सबसे खराब कूटनीति है। पाकिस्तान और सऊदी अरब के ऐतिहासिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं और पाकिस्तान के हर मुश्किल वक्त में सऊदी उसके साथ खड़ा रहा है। इकबाल ने कहा कि सरकार देश के अहम हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है।

पाकिस्तानी पत्रकार आमिर मतीन ने कहा, ऐसी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि सऊदी पाकिस्तान का दोस्त है तो कश्मीर पर उसका रुख अपने आप भारत के खिलाफ ही होगा। ये कोई कॉलेज नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का मामला है। हालांकि, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कुरैशी के बयान को लेकर कहा कि विदेश मंत्री ने कूटनीतिक प्रोटोकॉल के खिलाफ जाकर कुछ नहीं किया है।

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