Live Hindustan : Jul 04, 2020, 04:20 PM
China-Pak: पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प की घटना के बाद अब पाकिस्तान के ऊपर इस बात का भारी दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह चीन को लेकर या तो अपनी नीति की समीक्षा करे अन्यथा वैश्विक बहिष्कार और आलोचना झेलने के लिए तैयार हो जाए।समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विदेश मंत्रालय ने इमरान खान के प्रधानमंत्री कार्यालय को बताया कि या तो वह चीन के साथ अपने संबंधों को लेकर फौरन अपनी नीति सही करे या नहीं तो फिर उसे उन आर्थिक महाशक्तियों के गुस्सा का खामियाजा भुगतना होगा जो कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के साथ चीन के आक्रामक तेवर के चलते उसे अलग-थलग करने को लेकर संकल्पित है।इस बात का पहला संकेत उस वक्त मिला जब चीन की हर बात में समर्थन करने वाले पाकिस्तान की एयरलाइन पीआईए को यूरोपीय यूनियन ने बैन लगाते हुए यूरोप में उसके विमान को लैंडिंग करने की इजाजत नहीं दी। पाकिस्तान ने यूरोपीय यूनियन को यह पूरी तरह से समझाने का प्रयास किया कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्वालीफाईड पायलट्स ही उन मार्गों में उड़ान भरेंगे लेकिन ईयू ने सुनने से साफ इनकार कर दिया।भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक तेवर के बाद यूरोपीय यूनियन अब बीजिंग को कूटनीतिक स्तर पर अलग-थलग करने पर लगा है। ऐसे में पाकिस्तानी सूत्रों को ऐसा लगा रहा है कि पाकिस्तान का इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। पाकिस्तान में चीन के खिलाफ पहले से ही काफी गुस्सा है, खासकर बलूचिस्तान और गिलगित बाल्टिस्तान में जिस तरह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपैक) को लेकर पाकिस्तानी संसधानों का दोहन किया जा रहा है और स्थानीय लोगों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। बलूच और गिलगित बालटिस्तान के लोगों को स्थानीय नौकरियां नहीं दी जाती है, बल्कि चीन की कंपनियां इस काम के लिए चाइनीज मजदूरों को प्राथमिकता देती है।इसके अलावा, चीन की कंपनियां स्थानीय परंपरा और रीति-रिवाजों से बेपरवाह हैं और स्थानीय लोगों से खुद को अलग किए हुए हैं। इसलिए, वे उन्हें शक की निगाहों से देखते हैं। यह बात भी फैली है कि चीन ने भारत की जमीन हड़प ली और वह पाकिस्तान के अग्रिम हिस्से में भी ऐसा कर सकता है। चीनी सरकार की तरफ से उइगर मुसलमानों पर जुल्मों सितम भी कई धार्मिक व्हाट्सएप् ग्रुप में चर्चा के विषय बना हुआ है।