दुनिया / अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने पाक पर लगाया सनसनीखेज आरोप

Zee News : Aug 18, 2020, 08:46 AM
नई दिल्ली: अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह (MOHAMMAD NAJIBULLAH) की बेटी हीला नजीबुल्लाह (Heela Najibullah) को लगता है कि उनके पिता की हत्या में पाकिस्तान का हाथ था। स्विट्जरलैंड से Zee News के साथ विशेष बातचीत में हीला ने कहा कि कई रिपोर्टों से यह संकेत मिलता है कि मेरे पिता की हत्या के पीछे पाकिस्तान का हाथ था। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों एक मजबूत, स्वतंत्र अफगानिस्तान की चाह रखने वालों को निशाना बनाया जाता है?

हीला ने कहा कि उनके पिता की मौत की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि पाकिस्तान की सच्चाई सबके सामने आ सके। 1996 में मोहम्मद नजीबुल्लाह की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। उनके शव को राष्ट्रपति भवन के बाहर एक ट्रैफिक लाइट पोल से लटकाया गया था। यह वो वक्त था जब तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी जड़ें मजबूत करना शुरू किया था। 


सिद्धांत सिब्बल: आप वर्तमान अफगानिस्तान को कैसे देखती हैं?

हीला नजीबुल्लाह: हम एक बार फिर अफगानिस्तान के संदर्भ में एक बहुत महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ पर हैं। मैं ऐसा इसलिए कह सकती हूं क्योंकि पिछले ढाई वर्षों से मैं शांति प्रक्रिया को करीब से देख रही हूं। मैं यह भी कह सकती हूं कि इस प्रक्रिया में कई ऐसे तत्व हैं, जो चिंता पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, यह समावेशी नहीं है, इसलिए अफगान सरकार को पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा गया। अफगानों की आवाज को इसमें जगह नहीं दी गई। इसके अलावा सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक और ठोस रणनीति और तंत्र की आवश्यकता है कि सुलह को कैसे आगे बढ़ाया जाए। एक शोधकर्ता के रूप में मैंने इस प्रक्रिया में कई खामियां देखी हैं।


सिद्धांत सिब्बल: क्या आपको लगता है कि अफगानिस्तान में इतिहास दोहराया जा रहा है और क्या हम तालिबान पर भरोसा कर सकते हैं?

हीला नजीबुल्लाह: अगर आप मेरे पिता के कार्यकाल में शांति प्रक्रिया पर गौर करें, तो पायेंगे कि मौजूदा प्रयासों से वह काफी भिन्न थी। 1987 में उनकी सरकार ने राष्ट्रीय सुलह की नीति की घोषणा की और वे मुजाहिदीन के साथ शांति बनाना चाहते थे। उन्होंने उस समय के राजा जहीर शाह, जो रोम से बाहर बस गए थे, से वापस आने का अनुरोध किया था। उनकी कोशिश सभी को साथ लेकर चलने की थी, लेकिन वर्तमान प्रक्रिया को यदि आप देखें तो यह समावेशी नहीं है। 

आज की तारीख में यदि देखा जाए तो जिस नैरेटिव का इस्तेमाल उस समय किया गया था वो मुजाहिदीन और तालिबान द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले नैरेटिव से बहुत मिलता जुलता है। मैं आपको उदाहरण देती हूं कि सरकार गैरकानूनी है, क्योंकि मौजूदा सुरक्षा और रक्षा प्रणाली जिसका वह इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे ख़त्म करना होगा। उन्होंने मेरे पिता से अलग तरह से कई बातें कहने की कोशिश की थीं। यह कुछ ऐसे पॉलिटिकल नैरेटिव हैं, जिन्हें दोहराया जा रहा है और जब आप इस पर गौर करते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा, इस बात से अवगत रहना और सुनिश्चित करना पड़ेगा कि जो भविष्य हम अफगानिस्तान का बना रहे हैं उसमें पुरानी गलतियों को दोहराया न जाए।

सिद्धांत सिब्बल: आपके पिता के साथ जो कुछ हुआ वह आपके लिए दुखदायी रहा, क्या आप उसके बारे में कुछ कहना चाहेंगी?

हीला नजीबुल्लाह: मुझे नहीं पता कि आप क्या चाहते हैं कि मैं किन पहलुओं पर प्रकाश डालूं। पूरी दुनिया जानती है कि मेरे पिता की उनके भाई के साथ कैसे हत्या की गई। उनके शवों को दो दिनों तक लटकाए रखा गया था। हमने संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहयोगियों से लेकर हर संभव दरवाजा खटखटाया कि हमें सम्मान के साथ उनके शव सौंप दिए जाएं और मामले की जांच की जाए, लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ ठोस नहीं हो पाया है।

मुझे याद है कि अपनी हत्या से एक रात पहले उन्होंने मुझसे सैटेलाइट फोन पर बात की थी। उस वक्त  भारतीय समयानुसार 4-5 बजे रहे थे। मुझे यह इसलिए याद है क्योंकि वह भारत में स्कूल में मेरे आखिरी दिन थे। मैंने उनसे पूछा था कि तालिबान आपसे 40 किमी दूर है, इसका क्या मतलब है? इस उन्होंने कहा था कि  मेरे पास ज्यादा बात करने का समय नहीं है, परिवार का ख्याल रखना। मैं बस आपको इतना ही बता सकती हूं, लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगी कि मेरे पिता के साथ जो कुछ भी हुआ वो आज तक रहस्य बना हुआ है।

31 मई 2020 को मेरी मां ने आधिकारिक तौर पर अफगान सरकार और संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध करते हुए एक बयान जारी किया कि उनके पति और भाई की हत्या की जांच की जाए। इस पर विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि सत्य और न्याय के बिना शांति संभव नहीं है।


सिद्धांत सिब्बल: आप अपने पिता की हत्या के लिए किसे ज़िम्मेदार मानती हैं?  रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान इसके पीछे हो सकता है।

हीला नजीबुल्लाह: एक या दो  नहीं, बल्कि कई रिपोर्टें बताती हैं कि इस हत्याकांड के पीछे पाकिस्तान का हाथ था। यहां तक कि अमेरिकियों ने भी इस बारे में लिखा है। पिछले एक साल में मैंने अफगान टीवी चैनल पर तालिबान के सदस्यों के कई इंटरव्यू सुने और उन्होंने यही कहा है कि उन्होंने मेरे पिता को नहीं मारा। 

यह सवाल अब भी कायम है कि एक मजबूत, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अफगानिस्तान की चाह रखने वाले नेता को आखिरकार किसने मारा? इस विषय पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि  सत्य और न्याय के बिना शांति संभव नहीं है।


सिद्धांत सिब्बल: व्यक्तिगत रूप से, क्या आपको लगता है कि इसके लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है? 

हीला नजीबुल्लाह: जब आप राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, तो आपको अनगिनत साजिशों का सामना करना पड़ता है, लेकिन मुझे यह कहना होगा कि अफ़गान युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका, शीत युद्ध के बाद से बहुत विनाशकारी रही है। अगर मेरे पिता को मारने में उसका हाथ है, तो दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। पीटर थॉमसन ने अपनी किताब में इसका उल्लेख किया है। एक अमेरिकी दूत द्वारा इसका उल्लेख करना क्या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को कोई संकेत नहीं देता? क्या उन्हें यह पता नहीं लगाना चाहिए कि आखिरी उसे इस बारे में कैसे पता चला? 


सिद्धांत सिब्बल: अफगानिस्तान जाने की कोई योजना है?

हीला नजीबुल्लाह: जब समय सही होगा, मैं वहां जरूर जाउंगी जहां मेरे पिता और चाचा दफन हैं। यह एक वजह है जिसके चलते मैं वापस जरूर जाउंगी। मेरे पास अपने पिता की उपलब्धियां हैं और मुझे उन पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि एक न एक दिन अफगानिस्तान के युवाओं को यह अहसास होगा कि मेरे पिता के मूल्य अफगानिस्तान के विकास के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। मेरे पिता द्वारा दिया गया नारा watanya kafan, आज भी अफगान में सुनाई दे सकता है। तो यह एक ऐसी चीज है जो युवाओं को प्रोत्साहित करती है कि उन्हें एक स्वतंत्र और मजबूत अफगानिस्तान की स्थापना के लिए आगे बढ़ना है, लेकिन इसके लिए उनके पास एक स्ट्रक्चर होना चाहिए। उन्हें आवाज उठाने और अपने विचारों पर अमल करने के लिए राजनीतिक संभावना की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, मैं अपने पिता के सहयोगियों से पूछ रही थी कि वे मौजूदा स्थिति के बारे में क्यों नहीं बात करते, और उनका कहना था कि पार्टी के पंजीकरण की अनुमति नहीं मिली। भले ही पिछले 19 वर्षों से हम लोकतंत्र में रहे, लेकिन अपनी आवाज उठाना आज भी सबसे मुश्किल काम है।  


सिद्धांत सिब्बल: भारत को आप कैसे देखती हैं, आप यहां रह भी चुकी है?

हीला नजीबुल्लाह: मैं भारत में बड़ी हुई, मैंने अपनी स्कूली पढ़ाई भारत से की है। मैं भले ही अब भारत में नहीं हूं, लेकिन मैंने उससे बहुत कुछ सीखा है। भारत और अफगानिस्तान एक बहुत ही गहरा इतिहास और संस्कृति साझा करते हैं। व्यक्तिगत रूप से कहूं तो यदि अफगानिस्तान ने मुझे जड़ें दीं, तो भारत ने मुझे उड़ान भरने के लिए पंख दिए और मुझे पोषित किया। 

मेरे लिए, भारत ने 2001 से एक बहुत रचनात्मक भूमिका निभाई, जिस तरह की परियोजनाएं उसने अफगानिस्तान में संचालित कीं, उनसे अफगानिस्तान को काफी मदद मिली। अफगान सरकार के साथ नई दिल्ली ने जिस तरह का संबंध स्थापित किया, मैं उसकी सराहना करती हूं। भारत ने न केवल वहां पुस्तकालय बनवाये, बल्कि, क्रिकेट मैदान से लेकर संसद भवन के निर्माण में भी उसकी अहम् भूमिका रही है। इसके अलावा, जो सड़कें अफगानिस्तान को जोड़ती हैं, उनके निर्माण में भी भारत का महत्वपूर्ण योगदान है। आज अफगानिस्तान में कई ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने भारत में अध्ययन किया। मेरे लिए भारत एक दोस्त की तरह है, अफगानिस्तानी उसके योगदान को हमेशा याद रखेंगे।

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