विशेष / भारत का वह परमवीर, जिसने अमेरिका के वैज्ञानिकों की नींद उड़ा दी थी

Zoom News : Sep 10, 2019, 12:20 PM
आज भारत के एक ऐसे बेटे की शहादत तिथि​ है, जिसने पाकिस्तान के ऐसे छक्के छुड़ाए कि अमेरिका के वैज्ञानिकों की नींद उड़ गई थी। जी हां! हम बात कर रहे हैं कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद मसऊदी की, जो भारतीय सेना में 4 ग्रेनेडियर के एक सिपाही थे, जिन्होंने 10 सितम्बर 1965 को भारत—पाक युद्ध में खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में शहादत पाई। उन्हें मरणोपरांत भारतीय सेना का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया। शहीद होने से पहले हमीद ने अजेय समझे जाने वाले पाकिस्तान के कई पैटन टैंक अपनी एक गन माउंटेन जीप की मदद से उड़ा दिए थे।

क्यों उड़ गई थी वैज्ञानिकों की नींद

पाकिस्तान ने अमेरिका से पैटन टैंक खरीदे थे और उन टैंकों को ध्वस्त करना उस समय के भारतीय हथियारों से नामुमकिन माना जाता था। परन्तु हमीद के हौसले के आगे टैंक नहीं चल पाए। सितम्बर 1965 की सुबह चीमा गांव के गन्ने के खेतों में हमीद ने कवर लिया था। उन्हें थोड़ी देर में टैंक दिखाई देने लगे। उन्होंने अपनी रिकॉयलेस गन की मदद से कई टैंक उड़ा दिए। 

विशेष / देश में सैनिक छावनियों के बाहर खड़े पाकिस्तानी टैंक अब्दुल हमीद और उनकी टीम की ओर से तोहफा है


अब्दुल हमीद पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत ही साधारण परिवार से आते थे लेकिन उन्होंने अपनी वीरता की असाधारण मिसाल कायम करते हुए देश को गौरवान्वित किया था। कहा जाता है कि जब 1965 के युद्ध शुरू होने के आसार बन रहे थे तो वो अपने घर गए थे, लेकिन उन्हें छुट्टी के बीच से वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला। उस दौरान उनकी पत्नी ने उन्हें खूब रोका, लेकिन वे रुके नहीं। रोकने की कोशिश के बाद हमीद ने मुस्कराते हुए कहा था- देश के लिए उन्हें जाना ही होगा।

शहीद होने से पहले परमवीर अब्दुल हमीद मसऊदी ने मात्र अपनी "गन माउन्टेड जीप" से उस समय अजय समझे जाने वाले पाकिस्तान के "पैटन टैंकों" को नष्ट किया था। उनकी गन माउन्टेड जीप पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटन टैंकों के कमजोर हिस्सों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई। वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था।

देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पाकिस्तानी पैटन टैंकों" की कब्रगाह बन गया। लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन 9 सितम्बर को वे शहीद हो गए। आधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर को की गई थी।

इस युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटन टैंकों" की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटन टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी। लेकिन वो अमरीकी "पैटन टैंकों" के सामने केवल साधारण "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" के हौसले को नहीं देख पा रहे थे।

अब्दुल हमीद के साथी बताते हैं कि उन्होंने एक बार में 4 टैंक उड़ा दिए थे। उनके 4 टैंक उड़ाने की खबर 9 सितंबर को आर्मी हेडक्वार्टर्स में पहुंच गई थी। उनको परमवीर चक्र देने की सिफारिश भेज दी गई इसके बाद कुछ ऑफिसर्स ने बताया कि 10 सितंबर को उन्होंने 3 और टैंक नष्ट कर दिए थे। वहीं जब उन्होंने एक और टैंक को निशाना बनाया तो पाकिस्तानी टैंक की नजर उन पर पड़ गई। दोनों टैंकों ने एक-दूसरे पर फायर किया, वह पाकिस्तानी टैंक तो नष्ट हो गया लेकिन अब्दुल हमीद की जीप के भी परखच्चे उड़ गए।

मशीन ने मशीनगन तक

वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में 1 जुलाई 1933 में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम सकीना बेगम और पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था। कुछ समय तक वे सिलाई करते रहे, लेकिन उन्हें यह काम पसंद नहीं आया। हमीद 27 दिसम्बर 1954 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट में भर्ती हुए। बाद में उनकी तैनाती रेजीमेंट के 4 ग्रेनेडियर बटालियन में हुई जहां उन्होंने अपने सैन्य सेवा काल तक अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने अपनी इस बटालियन के साथ आगरा, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, नेफा और रामगढ़ में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दीं।

पत्नी ने जाने से मना किया था

जब युद्ध शुरू होने के बाद हमीद को लौटने का संदेश आया तो वे रवाना हो गए। उन्होंने कहा कि देश के लिए मुझे जाना ही होगा। जब वे अपना बिस्तर बांध रहे थे तब उसे बांधने वाली रस्सी टूट गई। इस पर उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने इसे अपशकुन बताते हुए जाने से मना किया था। परन्तु देश प्रेमी हमीद नहीं रुके और परमवीर बनकर शहादत पाई। रसूलन बीबी का निधन ​अगस्त 2019 में ही हुआ था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया था। अब्दुल हमीद की स्मृतियों को संजोने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। उनकी प्रेरणा से इलाके के सैकड़ों युवाओं ने फौज ज्वाइन की और देश के लिए सेवाएं दी। 

वीडियो में देखें वीर हमीद की पूरी कहानी 

भारत के परमवीर चक्र विजेताओं पर बने सीरियल में हमीद का किरदार प्रसिद्ध अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने निभाया।

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